Paramahansa Yogananda Birth Anniversary: भारत के इस योगी से दुनिया ने सीखा था योग, जानिए परमहंस योगानंद के जीवन से जुड़ी रोचक बातें

Paramahansa Yogananda
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उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में 05 जनवरी को जन्मे संत परमहंस योगानंद दुनिया में योग के पहले ब्रांड एंबेसडर बने थे। उन्होंने ही देश-दुनिया को क्रिया योग के बारे में बताया था। उनका असली नाम मुकुंद नाथ घोष था।

बीसवीं सदी के एक आध्यात्मिक गुरू, योगी और संत परमहंस योगानंद का 05 जनवरी को जन्म हुआ था। वह उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के रहने वाले थे। उन्होंने ही देश-दुनिया को योग के बारे में बताया था। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि वह दुनिया में योग के पहले ब्रांड एंबेसडर बने थे। उनका असली नाम मुकुंद नाथ घोष था, जोकि बाद में परमहंस योगानंद के नाम से जाने गए थे। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर योगी और संत परमहंस योगानंद के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जन्म और परिवार

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के मुफ्तीपुर मोहल्ले में 05 जनवरी 1893 को परमहंस योगानंद का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम भगवती चरण घोष था, जोकि एक रेलवे कर्मचारी थे। वह मूलत: बंगाल के निवासी थे और उनकी पोस्टिंग गोरखपुर में थी। 

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गुरु से मुलाकात

प्राप्त जानकारी के अनुसार, परमहंस योगानंद शुरूआत से ही सधुक्कड़ी मिजाज के थे। महज 17 साल की उम्र में परमहंस योगानंद की मुलाकात स्वामी युक्तेश्वर गिरि से हुई थी। फिर परमहंस योगानंद युक्तेश्वर गिरि के शिष्य बन गए और उनके साथ रहने लगे।

अमेरिका जाने का विचार

बता दें कि साल 1915 में परमहंस योगानंद ने यूनिवर्सिटी ऑफ कलकत्ता से ग्रेजुएशन किया। ग्रेजुएशन पूरा होने के बाद वह अपने गुरु के पास वापस लौट आए और योग का प्रशिक्षण लिया। फिर साल 1917 में परमहंस योगानंद ने छात्रों को योग और ध्यान सिखाने के लिए पश्चिम बंगाल के दिहिका में एक योग प्रशिक्षण संस्थान खोला। हालांकि 1 साल बाद यह स्कूल रांची शिफ्ट हो गया था। फिर कुछ समय बाद योगानंद को यह एहसास हुआ कि पश्चिम देशों में भारत के आध्यात्मिक ज्ञान को लाने का यह सही समय है।

अमेरिका में किया भारत का प्रतिनिधित्व

फिर साल 1920 में वह अमेरिका चले गए और वहां पर बोस्टन में इंटरनेशनल कांग्रेस ऑफ रिलीजियस लिबरल्स में योगानंद ने भारत का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने अमेरिका में रहकर योग को लेकर लोगों को जागरुक करना शुरूकर दिया। फिर साल 1924 में लॉस एंजेलिस पहुंचे और साल 1925 में माउंट वॉशिंगटन होटल खरीदकर वहां एक संस्था शुरू की। यह संस्था सेल्फ रियलाइजेशन फेलोशिप के नाम से थी। साल 1920 से लेकर 1952 तक उन्होंने अमेरिका में रहकर योग का प्रचार किया। परमहंस योगानंद के कारण ही यूरोप में योग को लेकर जागरुकता बढ़ी। उस दौरान अमेरिका और यूरोप के प्रभावशाली लोग योगानंद से योग का प्रशिक्षण लेते थे।

मृत्यु

बता दें कि 07 मार्च 1952 को लॉस एंजिल्स कैलिफोर्निया में स्पीच देते हुए परमहंस योगानंद की मृत्यु हो गई। वह 32 सालों तक अमेरिका में रहे थे। परमहंस योगानंद को ही क्रिया योग को पूरी दुनिया में फैलाने का सबसे ज्यादा श्रेय जाता है। 

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