Sanjay Gandhi Death Anniversary: संजय गांधी के इस शौक ने ले ली थी उनकी जान, राजनीति में रखते थे खासी पकड़

Sanjay Gandhi
Prabhasakshi

नई दिल्ली में 14 दिसंबर 1946 को संजय गांधी का जन्म हुआ था। संजय गांधी देश की पहली महिला पीएम इंदिरा गांधी के बेटे और राजीव गांधी के भाई थे। उनकी शुरूआती शिक्षा दिल्ली के सेंट कोलंबा स्कूल से पूरी हुई। इसके बाद उन्होंने देहरादून के वेल्हम बॉयज स्कूल से पढ़ाई की।

आज के दिन यानी की 23 जुलाई को देश के सबसे पुराने राजनीतिक गांधी परिवार को बड़ा दर्द मिला था। यह दर्द देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और मेनका गांधी के लिए सबसे ज्यादा असहनीय था। दरअसल 23 जुलाई को इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी की विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। इस घटना ने पूरे देश को झझकोर कर रख दिया था। संजय गांधी राजनीति में बिना किसी महत्वपूर्ण पद के भी अहम रुतबा रखते थे। उनका सीधे तौर पर राजनीतिक फैसलों में हस्तक्षेप होता था। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर संजय गांधी के जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में...

जन्म और शिक्षा

नई दिल्ली में 14 दिसंबर 1946 को संजय गांधी का जन्म हुआ था। संजय गांधी देश की पहली महिला पीएम इंदिरा गांधी के बेटे और राजीव गांधी के भाई थे। उनकी शुरूआती शिक्षा दिल्ली के सेंट कोलंबा स्कूल से पूरी हुई। इसके बाद उन्होंने देहरादून के वेल्हम बॉयज स्कूल से पढ़ाई की। फिर उन्होंने ऑटोमोटिव इंजीनियरिंग को बतौर करियर चुना और तीन साल के लिए इंग्लैंड के क्रेवे में रोल्स रॉयस के साथ ट्रेनिंग हासिल की थी।

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विमान कलाबाजी में रुचि

साल 1976 में संजय गांधी को पायलट का लाइसेंस मिल गया था। उनको विमान कलाबाजी में दिलचस्पी थी और संजय गांधी ने उस खेल में कई पुरस्कार भी जीते थे। वह विमान को कार की तरह चलाया करते थे। हवा में कलाबाजियां करना संजय गांधी का शौक हुआ करता था। इसके साथ ही उनको स्पोर्ट्स कारों में भी खासी दिलचस्पी थी।

राजनीति में रुतबा

बता दें कि साल 1966 में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मौत के बाद इंदिरा गांधी देश की पीएम बनीं। वहीं संजय गांधी भी अपनी इंटर्नशिप को बीच में छोड़कर भारत वापस आ गए। जिसके बाद वह राजनीति में आ गए और देश के कोने-कोने में वह अपना दबदबा कायम करने लगे। वह इंदिरा गांधी द्वारा लिए गए हर फैसले में शामिल रहते थे। आपातकाल के दौरान संजय गांधी राजनैतिक तौर पर सक्रिय हुए और वह देश की पीएम इंदिरा गांधी के बतौर सलाहकार पहचाने गए।

इसके अलावा संजय गांधी की दूसरे मंत्रालयों और विभागों में भी सीधे तौर पर दखल देते थे। वहीं देश में आपातकाल में लिए गए कड़े फैसलों के लिए भी अकेले संजय गांधी को ही जिम्मेदार माना जाता है। उनकी पहचान एक ऐसे बेटे के तौर पर बनीं, जिसके अपनी मां की सत्ता का इस्तेमाल अपने लिए अधिक किया।

मौत

वहीं 23 जून 1980 के दिन आम दिनों की तरह पीएम आवास के बाहर लोगों की भीड़ जुट रही थी। लेकिन संजय गांधी विमान की कलाबाजी दिखाने के लिए उत्सुक थे। ऐसे में उन्होंने सुरक्षा नियमों को दरकिनार कर रिहायशी इलाके के ऊपर ही तीन लूप लगाए। जब वह विमान में चौथी लूप लगाने वाले थे, उसी दौरान विमान के कैप्टन सक्सेना के सहायक ने नीचे देखा कि विमान के इंजन ने काम करना बंद कर दिया है। थोड़ी ही देर में उनका विमान से कंट्रोल खत्म हो गया और विमान बुरी तरह से क्रैश हो गया। 23 जून 1980 को संजय गांधी की विमान दुर्घटना में मौत हो गई।

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