Sardar Vallabhbhai Patel Death Anniversary: 562 रियासतों को एक करने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल ऐसे बने थे लौह पुरुष

Sardar Vallabhbhai Patel
ANI

भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल स्वतंत्र भारत के पहले उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री थे। आज ही के दिन यानी की 15 दिसंबर को दिल का दौरा पड़ने से सरदार पटेल का निधन हो गया था।

आज ही के दिन यानी की 15 दिसंबर को भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल का निधन हुआ था। सरदार वल्लभभाई पटेल आजादी के समय देश के एकीकरण जैसे कार्यों को अंजाम देने के लिए जाना जाता है। सरदार पटेल देश के पहले गृहमंत्री थे। इन्होंने देश की आजादी के बाद भारत-पाकिस्तान के बंटवारे की प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाया और देशभर में चलने वाले हिंदू-मुस्लिम दंगों से निपटने के लिए अविस्मरणीय योगदान दिया। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर सरदार वल्लभ भाई पटेल के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जन्म और शिक्षा

गुजरात के नाडियाद में 31 अक्तूबर 1875 वल्लभभाई पटेल का जन्म हुआ था। वह अपने माता-पिता की 6 संतानों में से चौथी संतान थे। हालांकि उनकी औपचारिक शिक्षा समय से पूरी नहीं हो सकी थी। उन्होंने 22 साल की उम्र में मैट्रिक की परीक्षा पास की। फिर वल्लभभाई पटेल ने खुद के खर्चे पर पढ़ाई की योजना बनाई और इंग्लैंड जाकर बैरिस्टर बनने का सपना पाला। उन्होंने अपने इस सपने को खुद पूरा भी किया।

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सरदार पटेल के प्रमुख योगदान

स्वतंत्र भारत के पहले उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल भारत को एकजुट करने के लिए कई प्रयास किए। साथ ही उन्होंने इसके लिए कई सराहनीय कदम भी उठाए। सरदार पटेल के योगदान का यह परिणाम रहा कि आजादी से पहले जो देश छोटी-छोटी रियासतों में बंटा था, वह लोकतांत्रिक सरकार के अंतर्गत आ गया।


सरदार पटेल को क्यों कहते हैं लौह पुरुष

सरदार वल्लभभाई पटेल ने 562 देशी रियासतों को भारतीय संघ में विलय करावाया और भारत को एकता के सूत्र में बांधने जैसा महान कार्य किया। उनके इस योगदान की वजह से उन्हें 'भारत का लौह पुरुष' कहा जाने लगा। वह अपने अनुशासन और दृढ़ता के लिए फेमस थे। सरदार पटेल निर्णय लेने में अडिग थे और किसी भी बाधा से घबराते नहीं थे। सरदार पटेल की यह दृढ़ता देश के एकीकरण में मददगार साबित हुई।

बारदोली सत्याग्रह से मिली सरदार की उपाधि

बता दें कि सरदार पटेल ने स्वतंत्रता संग्राम की आग को तेजी देते हुए सरदार 1928 में गुजरात के बारदोली क्षेत्र में किसानों के नेतृत्व में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ एक सफल आंदोलन का नेतृत्व किया। इसी आंदोलन के बाद उनको 'सरदार' की उपाधि मिली। वहीं बारदोली सत्याग्रह के दौरान सरदार पटेल के नेतृत्व की काफी प्रशंसा हुई।

राष्ट्रीय एकता के प्रतीक

बता दें कि सरदार वल्लभभाई पटेल ने हमेशा भारत की एकता और अखंडता को प्राथमिकता दी। इसलिए सरदार पटेल के सम्मान में गुजरात के केवड़िया में विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' बनाई गई। जो देश के लिए उनके योगदान का प्रतीक है।

मृत्यु

सरदार पटेल की सेहत 02 नवंबर 1950 को बहुत ज्यादा खराब हो गई थी। साथ ही वह अपनी चेतना भी खोने लगे थे। वह ज्यादा से ज्यादा समय बिस्तर पर बिताने लगे। वहीं स्वास्थ्य अधिक खराब होने पर 12 दिसंबर को दिल्ली से मुंबई लाया गया था। फिर 15 दिसंबर 1950 को दिल का दौरा पड़ने से सरदार वल्लभभाई पटेल का निधन हो गया।

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