Pandit Ravi Shankar Birth Anniversary: विश्व संगीत के गॉडफादर कहे जाते थे पंडित रविशंकर, अंतिम सांस तक नहीं छूटा सितार से नाता

Pandit Ravi Shankar
Image source: instagram/anoushkashankarofficial

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में 07 अप्रैल 1920 को पंडित रविशंकर का जन्म हुआ था। उनका असली नाम रविंद्र शंकर चौधरी था। रविशंकर ने धमार, ध्रुपद और ख्याल के साथ-साथ रूद्र वीणा, रुबाब और सुरसिंगार जैसे संगीत शैलियों का अध्ययन किया।

शास्त्रीय संगीत की बात हो तो सितार वादक पंडित रविशंकर का जिक्र न हो, ऐसा तो नहीं हो सकता है। आज ही के दिन यानी की 07 अप्रैल को पंडित रविशंकर का जन्म हुआ था। पंडित रविशंकर को विश्व संगीत का गॉडफादर कहा जाता था। उन्होंने पूरी दुनिया में भारतीय शास्त्रीय संगीत को अलग पहचान दिलाई। वहीं रविशंकर ने अपनी पूरी जिंदगी सितार के नाम कर दी थी। वहीं उन्होंने अपने आखिरी समय तक सितार को खुद से दूर नहीं होने दिया। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर पंडित रविशंकर के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जन्म और परिवार

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में 07 अप्रैल 1920 को पंडित रविशंकर का जन्म हुआ था। उनका असली नाम रविंद्र शंकर चौधरी था। रविशंकर ने धमार, ध्रुपद और ख्याल के साथ-साथ रूद्र वीणा, रुबाब और सुरसिंगार जैसे संगीत शैलियों का अध्ययन किया। उन्होंने मैहर के उस्ताद अलाउद्दीन खान से दीक्षा ली। फिर साल 1939 में रविशंकर ने अपना सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन शुरू किया।

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ऐसे शुरू हुआ ये सफर

उन्होंने संगीत की शुरूआत सरोद वादक अली अकबर खान के साथ जुगलबंदी के साथ की। फिर 25 साल की उम्र में पंडित रविशंकर ने लोकप्रिय गीत 'सरे जहां से अच्छा' को फिर से संगीतबद्ध किया। उन्होंने पूरी दुनिया में संगीत का प्रदर्शन किया। वहीं पंडित रविशंकर का संगीत देश की सरहदों का कभी मोहताज नहीं रहा। भारत के अलावा विदेशों में भी रविशंकर के संगीत को खास अहमियत दी गई थी। विश्व संगीत जगत में दिए जाने वाले सबसे प्रसिद्ध अवॉर्ड 'ग्रेमी' को तीन बार अपने नाम किया।

इसके अलावा पंडित रविशंकर ने ऑल इंडिया रेडियो के लिए भी अपनी सेवा दी। साल 1949 से 1956 में उन्होंने आकाशवाणी के लिए म्यूजिक डायरेक्शन भी किया। वहीं संसद में भी संगीतकार रविशंकर ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। वह साल 1986 से लेकर 1992 तक राज्यसभा के सांसद रहे। वहीं साल 1999 में उनको देश के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था।

मृत्यु

वहीं अमेरिका के सैन डिएगो के एक अस्पताल में 12 दिसंबर 2012 में पंडित रविशंकर का निधन हो गया था।

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