Ramanand Sagar Death Anniversary: रामायण बनाने वाले रामानंद सागर कभी करते थे चपरासी की नौकरी, फिर यूं चमकी किस्मत

Ramanand Sagar
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आज ही के दिन यानी की 12 दिसंबर को रामानंद सागर ने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था। वह डायरेक्टर होने के साथ स्क्रिप्ट राइटर, डायलॉग राइटर, उम्दा लेखक और प्रोड्यूसर भी थे।

मायथोलॉजिकल शो में रामानंद सागर के 'रामायण' सीरियल की बराबरी आज भी नहीं है। आज भी लोग 80 के दशक के इस सीरियल को देखना पसंद करते हैं। इस सीरियल को बनाने के वाले रामानंद सागर की प्रतिभा का अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि वह डायरेक्टर होने के साथ स्क्रिप्ट राइटर, डायलॉग राइटर, उम्दा लेखक और प्रोड्यूसर भी थे। आज ही के दिन यानी की 12 दिसंबर को रामानंद सागर ने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर रामानंद सागर के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जन्म और परिवार

पाकिस्तान के लाहौर में 29 दिसंबर 1917 को रामानंद सागर का जन्म हुआ था। इनका असली नाम चंद्रमौली चोपड़ा था। वहीं इनकी नानी ने इन्हें रामानंद नाम दिया था। देश के बंटवारे के बाद रामानंद का परिवार भारत आ गया। उस समय उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। ऐसे में परिवार की मदद के लिए रामानंद ने कम उम्र से काम करना शुरूकर दिया था। वहीं यह भी कहा जाता है कि उन्होंने चपरासी और ट्रक क्लीनर की नौकरी भी की थी।

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जब मुंबई में चमकी किस्मत

थोड़े समय बाद रामानंद सागर मुंबई आ गए और उन्होंने बतौर राइटर अपने करियर की शुरूआत की। वह कहानी और स्क्रीन प्ले लिखा करते थे। जल्द ही वह कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ने लगे। वहीं साल 1950 में रामानंद सागर ने सागर आर्ट कॉरपोरेशन प्रोडक्शन कंपनी की शुरुआत की।

रामायण

इस प्रोडक्शन कंपनी के बैनर तले 25 जनवरी 1987 को रामायण सीरियल की शुरूआत हुई, जोकि जुलाई 1988 तक चला। जहां उस समय दूरदर्शन पर इस शो को 45 मिनट तक के लिए टेलीकास्ट किया जाता था, तो वहीं अन्य सीरियल्स को 30 मिनट का स्लॉट मिलता था। जब रामानंद सागर की रामायण का टेलीकास्ट होता था, तो उस दौरान सड़कों पर कर्फ्यू जैसा माहौल बना जाता था। जिसकी आज के दौर में कल्पना भी नहीं की जा सकती है।

फिल्ममेकर बनकर कमाई शोहरत

मुंबई आने के बाद रामानंद सागर को काफी ज्यादा संघर्ष करना पड़ा। शुरूआती दिनों में वह पृथ्वी थिएटर में पृथ्वीराज कपूर के साथ असिस्टेंट स्टेज मैनेजर के रूप में काम करते थे। वहीं कपूर के गाइडेंस में वह थिएटर के लिए कुछ नाटकों का निर्देशन भी किया करते थे। करियर के शुरूआती दिनों में रामानंद सागर ने क्लैपर ब्वॉय के तौर पर साइलेंट फिल्म रेडर्स ऑफ द रोल में काम किया।

इसके अलावा उन्होंने राजकपूर की हिट फिल्म 'बरसात' की कहानी भी लिखी थी। रामानंद सागर ने कई फिल्मों का डायरेक्शन किया था। उनकी निर्देशित फिल्म 'आंखें' में अभिनेता धर्मेंद्र और अभिनेत्री माला सिन्हा थीं। यह फिल्म ब्लॉकबस्टर हिट थी। इस फिल्म के लिए रामानंद सागर को बेस्ट डायरेक्टर का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला।

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