Ram Vilas Paswan Birth Anniversary: देश की राजनीति के मौसम वैज्ञानिक थे रामविलास पासवान, ऐसे शुरू किया राजनीतिक सफर
रामविलास पासवान ने पुलिस की नौकरी छोड़कर राजनीति में एंट्री की थी। साल 1969 में पहली बार कांग्रेस-विरोधी मोर्चा की ओर से संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से वह विधायक बनें। फिर साल 1974 में वह लोकदल पार्टी के महासचिव बने। देश में आपातकाल लगा तो उनको जेल यात्रा भी करनी पड़ी।
आज ही के दिन यानी की 05 जुलाई को देश और बिहार के सबसे कद्दावर नेताओं में शुमार रामविलास पासवान जन्म हुआ था। उन्होंने राजनीति में करीब 50 साल से अधिक समय बिताया था। पासवान को देश की राजनीति का मौसम वैज्ञानिक भी कहा जाता था। सरकार किसी भी पार्टी की हो, लेकिन पासवान उस सरकार में मंत्री जरूर रहे हैं। राजनीति में उन्होंने सभी के साथ अपने रिश्ते को बेहतर बनाए रखा। वहीं चुनाव से पहले माहौल भांपने की पासवान की कला ने उनको राजनीति में बड़ा पद दिलाया। लेकिन उनका यह सफर इतना भी आसान नहीं रहा। आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर रामविलास पासवान के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और शिक्षा
बिहार के खगड़िया जिले के शहरबन्नी गांव में 05 जुलाई 1946 को रामविलास पासवान का जन्म हुआ था। उन्होंने शुरूआती शिक्षा पूरी करने के बाद कोसी कालेज और पटना यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी की। वहीं साल 1969 में वह डीएसपी बनें। लेकिन पुलिस की नौकरी में उनका मन नहीं लगा तो उन्होंने राजनीति में आने का फैसला किया।
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पहली बार बने विधायक
बता दें कि रामविलास पासवान ने पुलिस की नौकरी छोड़कर राजनीति में एंट्री की थी। साल 1969 में पहली बार कांग्रेस-विरोधी मोर्चा की ओर से संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से वह विधायक बनें। फिर साल 1974 में वह लोकदल पार्टी के महासचिव बने। देश में आपातकाल लगा तो उनको जेल यात्रा भी करनी पड़ी। आपातकाल खत्म होने के बाद उन्होंने साल 1977 में हाजीपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा। इस दौरान पासवान ने चार लाख से अधिक वोटों से जीते, जो वर्ल्ड रिकॉर्ड बना था।
6 PM के कैबिनेट में रहे मंत्री
साल 2019 में रामविलास पासवान ने राजनीति में अपने 50 साल पूरे कर लिए थे। इसके बाद भी वह राजनीति में सक्रिय रहे। अपने जीवन के अंतिम दौर में पासवान पीएम मोदी की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। अपने 50 साल के राजनीतिक जीवन में पासवान 6 प्रधानमंत्रियों के मंत्रिपरिषद में कैबिनट मंत्री रहे। बता दें कि वह विश्वनाथ प्रताप सिंह, एचडी देवगौड़ा, इंद्र कुमार गुजराल, मनमोहन सिंह, वाजपेयी और मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। एक समय पर उनको राजनीति का मौसम वैज्ञानिक का तमगा भी दिया गया था। माना जाता था कि सरकार किसी भी पार्टी की हो, लेकिन रामविलास पासवान मंत्री जरूर बनेंगे।
थामा यूपीए का दामन
गुजरात दंगे के बाद साल 2002 में पासवान ने एनडीए का साथ छोड़कर संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन का दामन थाम लिया। वहीं दो साल बाद यूपीए की सरकार बनीं और मनमोहन सिंह देश के अगले प्रधानमंत्री बनें। इस दौरान पासवान रसायन एवं उर्वरक मंत्री बनाए गए। हालांकि यूपीए 2 के दौरान पासवान के कांग्रेस के साथ रिश्ते मधुर नहीं रहे। वहीं साल 2009 में रावविलास पासवान ने हाजीपुर से चुनाव लड़ा लेकिन उनको हार का सामना करना पड़ा। वहीं उनको मंत्री पद भी नहीं मिल सका।
एनडीए में शामिल
साल 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले बिहार के सीएम नीतीश कुमार के भाजपा से रिश्ते बिगड़ गए थे। जिसका सीधा लाभ रामविलास पासवान को मिला। भाजपा ने पासवान की पार्टी LJP को बिहार की सात सीटें दीं। जिनमें से पार्टी ने 6 सीटों पर जीत हासिल की। न सिर्फ रामविलास पासवान, बल्कि उनके बेटे चिराग पासवान और भाई रामचंद्र पासवान ने भी चुनाव में जीत हासिल की। फिर पासवान मोदी कैबिनेट में मंत्री बनाए गए। मृत्यु के समय वह राज्यसभा सदस्य होने के साथ पीएम मोदी की कैबिनेट में खाद्य, जनवितरण व उपभोक्ता मामलों के मंत्री थे।
मृत्यु
08 अक्टूबर 2020 को लंबी बीमारी के बाद 74 वर्ष की उम्र में राम विलास पासवान का निधन हो गया था।
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