Jawaharlal Nehru Death Anniversary: पंडित नेहरू ने बतौर पीएम 17 साल संभाली थी देश की कमान, इस मामले ने पहुंचाया था गहरा आघात

Jawaharlal Nehru
Prabhasakshi

उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद 14 नवंबर 1889 को जवाहरलाल नेहरू का जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था, जो उस समय के फेमस वकील और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रमुख नेता थे। स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भागीदारी ने इंग्लैंड में अपने छात्र वर्षों के दौरान गति प्राप्त की।

आज ही के दिन यानी की 27 मई को आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का 74 साल की उम्र में निधन हो गया था। उनके आकस्मिक निधन से पूरा देश शोक से भर गया था। बता दें कि वह देश के पहले ऐसे पीएम थे, जिन्होंने 17 साल तक देश की कमान संभाली थी। जवाहरलाल नेहरू को लोग 'पंडित नेहरू' कहा करते थे। नेहरू की राजनीतिक यात्रा भारत द्वारा ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करने की पहले काफी पहले शुरू हो चुकी थी। आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पंडित जवाहरलाल नेहरू के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जन्म और परिवार

उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद 14 नवंबर 1889 को जवाहरलाल नेहरू का जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था, जो उस समय के फेमस वकील और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रमुख नेता थे। स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भागीदारी ने इंग्लैंड में अपने छात्र वर्षों के दौरान गति प्राप्त की। इस दौरान वह फैबियन समाजवाद सहित विभिन्न विचारधाराओं के संपर्क में आए। फिर साल 1912 में वह भारत वापस आए और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए।

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गांधीजी के प्रबल समर्थक थे नेहरू

पंडित जवाहरलाल नेहरू महात्मा गांधी के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने असहयोग आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया था। उन्होंने स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए उनकी प्रतिबद्धता और नेतृत्व गुणों के साथ राष्ट्रवादी आंदोलन में सबसे आगे थे। 15 अगस्त 1947 को देश की आजादी के बाद भारत के उल्लेखनीय परिवर्तन के लिए मंच तैयार करते हुए नेहरू ने पहले प्रधानमंत्री की भूमिका निभाई। पंडित नेहरू के करिश्माई व्यक्तित्व, बुद्धि और प्रगतिशील विचार जनता को काफी पसंद थे।

अतुलनीय योगदान

राष्ट्रहित के लिए जवाहरलाल नेहरू का योगदान अतुलनीय था। क्योंकि पंडित नेहरू ने देश के लिए एक मजबूत लोकतांत्रिक ढांचा, आधुनिकता की दृष्टि और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को स्थापित करने का अथक प्रयास किया था। उन्होंने वैज्ञानिक प्रगति, शैक्षिक सुधारों और आर्थिक विकास की नींव रखी। उनके नेतृत्व में भारत की विविध आबादी के बीच एकता और सांस्कृतिक विविधता की भावनाओं को पोषित करने में अहम भूमिका निभाई।

पंचवर्षीय योजनाओं को किया था लागू

बता दें कि पंडित नेहरू ने अपने कार्यकाल के दौरान भारत को आधुनिक बनाने के साथ इसकी सीमांत आबादी के उत्थान के उद्देश्य से सुधारों की एक श्रृंखला और दूरदर्शी नीतियों को पेश की। उन्होंने आर्थिक विकास, शिक्षा और सामाजिक न्याय पर जोर देते हुए अधिक समतामूलक समाज का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने पंचवर्षीय योजनाओं को लागू किया, जोकि कृषि, औद्योगीकरण और बुनियादी ढांचे के विकास पर केंद्रित था।

विदेश नीति का निर्माण

पंडित नेहरू की सबसे अहम उपलब्धियों में भारत की विदेश नीति का निर्माण शामिल था। इसका मुख्य उद्देश्य वैश्विक मंच पर गुटनिरपेक्षता और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की स्थापित करना था। पंडित नेहरु ने गुटनिरपेक्ष आंदोलन को आकार देने में अहम भूमिका निभाई थी। लेकिन उनका कार्यकाल भी काफी चुनौतियों और आलोचनाओं भरा था। साल 1962 में भारत-चीन सीमा संघर्ष में नेहरू के नेतृत्व को काफी गहरा आघात पहुंचाया था। जिससे हिमालय में क्षेत्र का काफी नुकसान हुआ था।

मृत्यु

आजाद भारत के पहले पीएम पं. जवाहरलाल जवाहरलाल नेहरू की 27 मई 1964 को दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई थी। उनके आकस्मिक निधन पर पूरा देश स्तब्ध रह गया था। बता दें कि मृत्यु से पहले पंडित नेहरू ने एक वसीयत लिखी थी। जिसमें जिक्र किया गया था कि उनकी राख का एक हिस्सा हवाई जहाज से खेतों में बिखेर दी जाए।

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