Motilal Nehru Birth Anniversary: जन्म के 3 महीने पहले हो गया पिता का निधन, भाई की मदद से मोतीलाल बने थे देश के नामी वकील
देश के पहले प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू आज ही के दिन यानी की 6 मई को जन्मदिन है। मोतीलाल नेहरू एक बड़े वकील और स्वतंत्रता सेनानी थे। मोतीलाल आगे चलकर नामी वकील बनें।
मोतीलाल नेहरू न सिर्फ देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के पिता थे। बल्कि वह एक स्वतंत्रता सेनानी और बहुत ही अमीर और मशहूर वकील थे। उनका राजनैतिक प्रभाव तो पहले से था, लेकिन महात्मा गांधी से मुलाकात का उनपर ऐसे प्रभाव पड़ा कि उन्हों ठाठ बाट और शानो-शौकत वाली जीवन शैली त्याग दिया। बता दें कि आज ही दिन यानी की 6 मई को मोतीलाल नेहरू का जन्म हुआ था। हालांकि मोतीलाल का बचपन काफी संघर्षों में बीता था। आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर मोतीलाल नेहरू के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म से पहले थे बुरे हालात
वर्ष 1857 के भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान मोतीलाल नेहरू के पिता गंगाधर को दिल्ली छोड़ना पड़ा था। गंगाधर नेहरू दिल्ली में कोतवाल थे। हालांकि तब मोतीलाल नेहरू का जन्म नहीं हुआ था। लेकिन उस दौरान बगावत के दौरान लूटपाट और बगावत के समय उनका घर लूटकर जला दिया गया था। जिसके बाद गंगाधर नेहरू अपने परिवार व रिश्तेदारों के साथ आगरा शिफ्ट हो गए थे। बता दें कि मोतीलाल नेहरू के जन्म के तीन महीने पहले उनके पिता यानी की गंगाधर नेहरू का निधन हो गया था।
मोतीलाल नेहरू का जन्म
आगरा में 6 मई 1861 को मोतीलाल नेहरू का जन्म हुआ था। पिता की मौत के बाद मोतीलाल नेहरू के लालन पालन का जिम्मा उनकी मां इंद्राणी और उनके बड़े भाई नंदलाल नेहरू पर आ गया था। पिता गंगाधर की मौत के समय नंदलाल 16 और बंसीधर 19 साल के थे। इस दौरान उनके मामा ने परिवार का जिम्मा उठाया था।
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खेतड़ी में बीता बचपन
हालांकि राजस्थान के खेतड़ी में जल्द ही नंदलाल को क्लर्क की नौकरी मिली। नंदलाल ने परिवार के साथ मोतीलाल को अपने ही वंशज की तरह पाला। इसलिए मोतीलाल का बचपन खेतड़ी में बीता। बता दें कि खेतड़ी उस दौरान जयपुर रियासत की दूसरी सबसे बड़ी जागीर थी। इस दौरान नंदलाल को खेतड़ी के राजा फतेह सिंह का सहयोग मिला। जिसके चलते वह जागीर के दीवान हो गए। लेकिन फतेह सिंह की मौत के बाद नंदलाल को खेतड़ी छोड़कर आगरा वापस आना पड़ा।
मोतीलाल नेहरू की शिक्षा
नंदलाल को आगरा में खेतड़ी में कानून की जानकारी काम आई। इसके बाद उन्होंने ब्रिटिश कोलोनियल कोर्ट में अंग्रेजी कानून की प्रैक्टिस करनी शुरू कर दी। इलाहबाद में जब हाईकोर्ट बना तो मोतीलाल सहित पूरा परिवार भी इलाहबाद पहुंच गया। इन सारी जिम्मेदारियों के साथ नंदनाल ने मोतीलाल की शिक्षा का खर्चा उठाया। मोतीलाल ने कैम्ब्रिज यूनिवसिटी से कानून की डिग्री हासिल की। मोतीलाल नेहरू पाश्चात्य शिक्षा पाने वाले पहले भारतीय थे।
परिवार की जिम्मेदारी
साल 1883 में मोतीलाल ने बार की परीक्षा पास की और फिर इसके बाद कानपुर में कानून की प्रक्टिस करने लगे। इसके बाद वह इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे। इसी बीच 42 साल की उम्र में मोतीलाल के बड़े भाई नंदलाल का निधन हो गया। जिसके बाद नंदलाल के 5 बेटों और 2 बेटियों के परिवार का जिम्मा भी मोतीलाल पर आ गया। 25 साल की उम्र में मोतीलाल पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी आ गई थी।
वकालत में मिली सफलता
वकालत में मोतीलाल नेहरू को अधिक संघर्ष नहीं करना पड़ा। उन्होंने दीवानी मुकदमों में खूब नाम व पैसा कमाया। मोतीलाल नेहरू के क्लाइंट रईस परिवार से हुआ करते थे। जिससे मोतीलाल मोटी फीस लिया करते थे। कुछ ही समय बाद उनकी गिनती देश के सबसे धनी वकीलों में होती थी। इलाहबाद में साल 1900 में उन्होंने आनंद भवन नाम का एक आलीशान बगंला खरीदा था। वहीं साल 1909 में मोतीलाल ने ब्रिटेन के प्रिवी काउंसिल में वकालत करने की योग्यता प्राप्त की थी। वहीं उनके द्वारा बार-बार यूरोप जाने की खबरों ने खूब सुर्खियां बटोरी थी।
मोतीलाल नेहरू ने राजनीति में भी प्रवेश लिया। लेकिन गांधी जी से मुलाकात के बाद मोतीलाल नेहरू की पूरी जिंदगी बदल गई। उन्होंने शानो-शौकत और ठाठ-बाट त्याग कर देश सेवा में लग गए और देश की आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए। गांधी के करीबी मित्र रहे मोतीलाल को उनकी नेहरू रिपोर्ट के नाम से भी जाना जाता है। कांग्रेस ने मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में यह प्रारूप तैयार किया गया था। भारत के संविधान बनने में नेहरू रिपोर्ट की बहुत बड़ी भूमिका मानी जाती है।
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