महादेवी वर्मा को आधुनिक काल की मीराबाई क्यों कहा जाता था?
महादेवी वर्मा न केवल एक प्रसिद्ध कवयित्री थी बल्कि एक समाज सुधारक भी थी। महिलाओं को उनका पूरा अधिकार मिल सके, इसके लिए महादेवी वर्मा ने कई महत्वपूर्ण एवं क्रन्तिकारी कदम उठाये थे।
भारतीय लेखिका, कार्यकर्ता और हिन्दी साहित्य की प्रमुख कवयित्री महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च 1907 में उत्तर प्रदेश के फ़र्रुख़ाबाद में हुआ। महादेवी को बचपन से ही कविता लिखने का शौक था। महज 7 साल की उम्र में ही उन्होंने कविताएं लिखना शुरू कर दी थी। महादेवी वर्मा का जब जन्म हुआ था तो उनके पिता गोविन्द प्रसाद वर्मा की खुशियों का ठिकाना नहीं था। ऐसा इसलिए क्योंकि गोविन्द के परिवार में दो साल से कोई भी लड़की नहीं जन्मीं थी। जब महादेवी का जन्म हुआ तो वह परिवार की सबसे लाडली बेटी बन गई। उनका जन्म माता रानी की कृपा से हुआ था और इसलिए महादेवी को अपने परिवार से बेहद प्यार मिला। महादेवी का नाम उनके दादाजी ने रखा था। वह दो भाइयों में एकलौती बहन थी।
लेखिका ही नहीं बल्कि समाज सुधारक भी थी
महादेवी वर्मा न केवल एक प्रसिद्ध कवयित्री थी बल्कि एक समाज सुधारक भी थी। महिलाओं को उनका पूरा अधिकार मिल सके, इसके लिए महादेवी वर्मा ने कई महत्वपूर्ण एवं क्रन्तिकारी कदम उठाये थे। जानकारी के लिए बता दें कि महादेवी वर्मा को आधुनिक काल की मीराबाई कहा जाता था, क्योंकि वह अपनी कविताओं में एक प्रेमी से बिछड़ने के बाद के कष्ट और पीड़ा को काफी भावनात्मक तरीके से पेश करती थी।
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बचपन में ही कर दी गई थी शादी
जब महादेवी वर्मा केवल 9 साल की थी तभी उनकी शादी बरेली के पास नबावगंज के एक गाँव के निवासी स्वरूप नारायण प्रसाद से करा दी गई थी। उस समय नारायण 10वीं कक्षा में पढ़ रहे थे। जिस उम्र में महादेवी की शादी हुई, उस उम्र में उन्हें शादी का मतलब ही नहीं पता था। उनको ये तक नहीं पता था कि उनकी शादी हो रही है। इस शादी से उनकी पढ़ाई पर काफी ज्यादा असर पड़ा था। शादी के बाद महादेवी वर्मा इलाहबाद कॉलेज के हॉस्टल में रहने लगी थी। आधुनिक हिंदी साहित्य में अपनी पहचान बनाने वाली महादेवी वर्मा ने अपना जीवन एक संन्यासी की तरह बिताया। 11 सितंबर 1987 को इलाहाबाद में महादेवी वर्मा ने दुनिया को अलविदा कह दिया।
सम्मान
महादेवी वर्मा को 1956 में भारत के सर्वोच्च सम्मानों में से एक पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। भारतीय साहित्य में उनके योगदान के लिए, उन्हें 1982 में ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला। इसके अलावा उन्हें साहित्य अकादमी अनुदान पुरस्कार, सेकसरिया पुरस्कार और मरणोपरांत पद्म विभूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
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महादेवी वर्मा की कुछ कविताएं
- दीपशिखा
- नीरजा
- सांध्यगीत
- नीहार
- रश्मि
- प्रथम आयाम
- अग्निरेखा
- सप्तपर्ण
- निधि अविनाश
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