बाल गंगाधर तिलक एक स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षक, जिन्होंने उठाई थी पूर्ण स्वराज की मांग

Bal Gangadhar Tilak
Prabhasakshi
निधि अविनाश । Jul 23 2022 11:56AM

बाल गंगाधर तिलक स्वराज या स्वशासन के प्रबल समर्थक थे। उनका एक लंबा राजनीतिक जीवन था और इस दौरान उन्होंने भारतीय स्वायत्तता और ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से पूर्ण स्वतंत्रता की आवश्यकता पर जोर दिया। अपने मजबूत विचारों के कारण उन्हें एक कट्टरपंथी राष्ट्रवादी माना जाता था।

बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरि के चिक्कन नामक गांव के बीच हुआ था। तिलक के पिता का नाम गंगाधर रामचंद्र तिलक और वह एक धर्मनिष्ठ ब्राह्मण थे। केशव के नाम से जाने वाले तिलक का बचपन रत्नागिरि में ही व्यतीत हुआ। वह काफी बलवान और हर काम समय पर करने वालों में से थे। उनके परिश्रम के वजह से ही उनकी गिनती मेधावी छात्रों में की जाती थी। उन्होंने अपनी बीए और कानून की पढ़ाई बहुत अच्छे नबंरों के साथ पूरी की। एक स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षक के रूप में तिलक ने हमेशा से पूर्ण स्वराज का मुद्दा उठाया। तिलक चाहते थे कि देश को पूर्ण स्वतंत्रता और एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन की आवश्यकता है। पक्के स्वराज और स्वशासन के प्रबल समर्थक रहे तिलक को खुद गांधी जी आधुनिक भारत का निर्माता मानते थे। तिलक को अपने विचारों के लिए एक कट्टरपंथी राष्ट्रवादी भी माना जाता था। आज यानि 23 जुलाई को देश उनकी 166वीं जयंती मना रहा है, तो आइये जान लेते है उनके बारे में कुछ रोचक तथ्य:

1- केसरी और साप्ताहिक अखबारों की शुरूआत बाल गंगाधर तिलक द्वारा दो भाषाओं मे किया गया था। पहला अंग्रेजी और दूसरा मराठी। 

2- तिलक को अंग्रेज भारतीय अशांति का जनक मानते थे क्योंकि तिलक के विचार हमेशा से ही स्वतंत्रता संग्राम के प्रति पक्के थे। 

3- लाला लाजपत राय और बिपिन चंद्र पाल के अभिन्न अंग माने जाने थे बाल गंगाधर तिलक।

4- साल 1890 में तिलक ने कांग्रेस की सदस्यता हासिल की और वहीं से उनके स्वराज आंदोलन की शुरूआत हो गयी। 

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बाल गंगाधर तिलक द्वारा प्रेरणादायक विचार

1. स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा।

2. अगर भगवान को छुआछूत से ग्रसित किया जाता है, तो मैं उन्हें भगवान नहीं कहूंगा।

3. स्वदेशी और स्वदेशी हमारी पुकार हमेशा रहेगी और इससे हम शासक की इच्छा के बावजूद विकास करेंगे।

4. हमारा राष्ट्र उस वृक्ष की तरह है जिसका मूल तना स्वराज्य है और शाखाएं स्वदेशी हैं और बहिष्कार करती हैं।

5. जीवन एक ताश के खेल के बारे में है। सही कार्ड चुनना हमारे हाथ में नहीं है। लेकिन हाथ में ताश के पत्तों के साथ अच्छा खेलना हमारी सफलता को निर्धारित करता है।

6. समस्या संसाधनों या क्षमता की कमी नहीं है, बल्कि इच्छाशक्ति की कमी है।

- निधि अविनाश

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