KR Narayanan Death Anniversary: के आर नारायणन ने तय किया था शून्य से शिखर तक का सफर, ऐसे बने पहले दलित राष्ट्रपति
भारत के 10वें राष्ट्रपति रहे कोचरिल रामण नारायणन का 09 नवंबर को निधन हो गया था। वह राष्ट्रपति पद को हासिल करने वाले वह देश के पहले दलित थे। इससे पहले इस वर्ग से संबंध रखने वाला इस पद तक नहीं पहुंचा था।
आज ही के दिन यानी की 09 नवंबर को भारत के 10वें राष्ट्रपति रहे कोचरिल रामण नारायणन का निधन हो गया था। वह अपने प्रतिद्वंदी पूर्व चुनाव आयुक्त टी.एन.शेषण को हराकर साल 1997 को राष्ट्रपति बने थे। इस सर्वोच्च पद को हासिल करने वाले वह देश के पहले दलित थे। इससे पहले इस वर्ग से संबंध रखने वाला इस पद तक नहीं पहुंचा था। के आर नारायणन अपनी राजनीतिक कार्यकुशलता के लिए जाने जाते थे। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर के आर नारायणन के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और शिक्षा
केरल के एक छोटे से गांव पेरुमथॉनम उझावूर, त्रावणकोर में 27 अक्तूबर 1920 में के आर नारायणन का जन्म हुआ था। नारायणन की प्रतिभा कम उम्र से ही स्पष्ट हो गई थी। बताया जाता है कि वह अन्य छात्रों से किताबें मांगकर उनकी नकल उतारकर अपनी पढ़ाई किया करते थे। साल 1936-37 में उन्होंने नसेंट मेरी हाई स्कूल से मैट्रिक परीक्षा पास की थी। वहीं स्कॉलरशिप से उन्होंने 12वीं की परीक्षा पास की और फिर ऑर्ट फैकल्टी (ऑनर्स) में ग्रेजुएशन की। इसके बाद साल 1943 में त्रावणकोर यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी (ऑनर्स) में पोस्ट ग्रेजुएशन की थी।
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उपराष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे नारायणन
हालांकि पूर्व राष्ट्रपित नारायणन की वास्तविक जन्मतिथि विवादों में रही। क्योंकि कहा जाता है कि उनके चाचा ने स्कूल में एडमिशन दिलाने के दौरान अनुमान से उनकी डेट ऑफ बर्थ लिखवा दी थी। लेकिन सरकारी डॉक्यूमेंट्स पर उनकी जन्मतिथ 27 अक्तूबर मानी जाती है। वह 25 जुलाई 1997 से 25 जुलाई 2002 तक राष्ट्रपति के पद पर रहे। वहीं इससे पहले 21 अगस्त को डॉ. शंकर दयाल शर्मा के राष्ट्रपति काल में वह उपराष्ट्रपति भी निर्वाचित रहे थे।
भारतीय विदेश सेवा
साल 1949 में के आर नारायणन ने भारतीय विदेश सेवा से अपने कॅरियर की शुरूआत की थी। इस दौरान उन्होंने टोक्यो, रंगून, लंदन, कैनबरा और हनोई समेत कई प्रमुख दूतावासों में कार्यभार संभाला। नारायणन की कूटनीतिक विशेषज्ञता का फायदा तुर्की, थाइलैंड और चीन में भारत के राजदूत के तौर पर मिला। इसके बाद उन्होंने राजनीति में एंट्री ली।
मा टिंट टिंट से मुलाकात
रंगून में नारायणन का जीवन एक नए मोड़ की ओर जाता है। यह उस समय की बात है, जब के आर नारायणन रंगून, बर्मा में नियुक्त थे। यहां पर उनकी मुलाकात मा टिंट टिंट से हुई थी। यह मुलाकात पहले दोस्ती और फिर प्यार में बदल गई। शायद किसी को अंदाजा नहीं रहा होगा, लेकिन 08 जून 1951 को के आर नारायणन ने मा टिंट टिंट से शादी कर ली।
लोकसभा सांसद
साल 1984 में के आर नारायणन पहली बार लोकसभा चुनाव में निर्वाचित हुए थे और यहीं से उनके राजनीतिक सफर की शुरूआत हुई थी। नारायणन ने पीएम इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के मंत्रिमंडलों के तहत विभिन्न मंत्री पदों पर कार्य किया था। फिर वह उपराष्ट्रपति और राष्टपति के पदों पर भी आसीन हुए। नारायणन के राष्टपति पद को संवैधानिक मर्यादाओं का सावधानीपूर्वक पालन करने और कार्यकाल की गरिमा व स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए जाना जाता है। वहीं 09 नवंबर 2005 को के आर नारायणन का निधन हो गया था।
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