C. Rajagopalachari Birth Anniversary: आधुनिक भारत के 'चाणक्य' थे सी राजगोपालाचारी, ऐसे बने थे देश के गृह मंत्री
सी राजगोपालाचारी पं. नेहरू और महात्मा गांधी के करीबी माने जाते थे। बता दें कि राजगोपालाचारी को समाज सुधारक, गांधीवादी राजनीतिज्ञ चक्रवर्ती और आधुनिक भारत का 'चाणक्य' भी कहा जाता था।
आज ही के दिन यानी की 10 दिसंबर को सी. राजगोपालाचारी का जन्म हुआ था। उन्होंने स्वतंत्र पार्टी की स्थापना की थी, जो भारत में पहली राजनीतिक पार्टी थी। सी राजगोपालाचारी एक राजनीतिज्ञ, लेखक और वकील थे। इन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी। राजगोपालाचारी पं. नेहरू और महात्मा गांधी के करीबी माने जाते थे। बता दें कि राजगोपालाचारी को समाज सुधारक, गांधीवादी राजनीतिज्ञ चक्रवर्ती और आधुनिक भारत का 'चाणक्य' भी कहा जाता था। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर सी राजगोपालाचारी के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और शिक्षा
मद्रास में 10 दिसंबर 1878 में सी राजगोपालाचारी का जन्म हुआ था। उन्होंने साल 1891 में मैट्रिक परीक्षा पास की और फिर बैंगलोर के सेंट्रल कॉलेज से बीए की डिग्री हासिल की। राजगोपालाचारी ने चेन्नई के प्रेसीडेंसी कॉलेज से कानून की पढ़ाई की और 1900 में सेलम में वकालत शुरू की। यहीं से सी राजगोपालाचारी ने राजनीति में कदम रखा। साल 1911 में वह सेलम नगर पालिका के सदस्य बनें। उन्होंने तमिल साइंटिफिक टर्म्स सोसाइटी का गठन किया।
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राजनीतिक सफर
बता दें कि स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेते हुए वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए। साथ ही उन्होंने कानूनी सलाहकार के रूप में काम किया। साल 1917 में देशद्रोह के आरोपों का सामना करने वाले स्वतंत्रता सेनानी पी. वरदराजुलु नायडू की कोर्ट में पैरवी की। फिर साल 1937 में सी राजगोपालाचारी को मद्रास प्रेसीडेंसी के पहले प्रधानमंत्री के रूप में चुना गया था। साल 1939 में उन्होंने जातिवाद और छुआछूत को खत्म करने की दिशा में कार्य किया। उन्होंने मद्रास मंदिर प्रवेश प्राधिकरण एंव क्षतिपूर्ति अधिनियम लागू किया और इस कानून के तहत ही दलितों को मंदिरों में प्रवेश की अनुमति दी गई।
वहीं देश के बंटवारे के दौरान उनको पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया। फिर साल 1947 में अंतिम ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन के जाने के बाद राजगोपालाचारी को स्वचंत्र भारत का पहला गवर्नर जनरल चुना गया। हालांकि यह पद अस्थायी था और वह भारत के अंतिम गवर्नर जनरल भी थे। 1946 से 1947 तक वह पं. नेहरू की अंतरिम सरकार में आपूर्ति, उद्योग, शिक्षा और वित्त मंत्री थे। वहीं साल 1947 में उनको पश्चिम बंगाल का पहला राज्यपाल नियुक्त किया गया। फिर नवंबर 1947 में कुछ दिनों के लिए वह भारत के कार्यवाहक गवर्नर जनरल बने।
देश के गृहमंत्री
दिसंबर 1950 से 10 महीनों तक वह देश के गृह मंत्री के रूप में भी कार्य किया। लेकिन इस दौरान उनके और पं. नेहरू के बीच मतभेद पैदा हो गए और इसी के चलते उन्होंने मंत्री पद से भी इस्तीफा दे दिया। इसके बाद विधानसभा में कांग्रेस पार्टी के अल्पमत में आने के बाद साल 1952 में सी राजगोपालाचारी को मद्रास राज्य का मुख्यमंत्री चुना गया।
स्वतंत्र पार्टी का गठन
साल 1957 में राजगोपालाचारी ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया। फिर साल 1959 में उन्होंने स्वतंत्र पार्टी की स्थापना की और वह पं. नेहरू के नेतृत्व वाली कांग्रेस के वामपंथी झुकाव के खिलाफ थे। वह उदार नीतियों की वकालत करते थे। जब भारत सरकार ने साल 1965 में हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया। सरकार के इस कदम का ईवीआर पेरियार और सीएन अन्नादुरई जैसे अन्य नेताओं के साथ इस कदम का विरोध किया।
साल 1967 में राजगोपालाचारी की स्वतंत्र पार्टी ने DMK और फॉरवर्ड ब्लॉक के साथ गठबंधन किया। फिर 30 सालों में पहली बार मद्रास में कांग्रेस को बाहर कर दिया। तब अन्नादुराई राज्य के सीएम बनें।
मृत्यु
बता दें कि 25 दिसंबर 1979 को 94 साल की उम्र में सी राजगोपालाचारी का निधन हो गया था।
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