फिल्म और टेलीविजन की स्टार अभिनेत्री थीं रीमा लागू
फिल्मों में मां की सशक्त भूमिका से रीमा लागू ने अपनी अलग पहचान बनाई थी, अपने कॅरियर की शुरूआत उन्होंने मराठी फिल्मों से की। 1979 में रीमा लागू ने फिल्म सिंहासन से मराठी सिनेमा में पदार्पण किया और 1980 में वे फिल्म कलयुग से बतौर सह अभिनेत्री हिंदी फिल्मों में आईं।
18 मई 2017 को फिल्म और टेलीविजन जगत में स्तब्धता छा गई थी जब अचानक यह खबर मिली की फिल्म और टेलीविजन की मशहूर कलाकार रीमा लागू अब इस दुनिया में नहीं रहीं। उनका निधन दिल का दौरा पड़ने से हुआ था। रीमा लागू की मौत से उनके चाहने वाले लाखों दर्शकों के चेहरों पर भी मायूसी छा गई।
रीमा लागू का जन्म 3 फरवरी 1958 को मुम्बई में हुआ था। उनका असली नाम नयन भडभडे था। रीमा लागू की मां मंदाकनी भडभडे मराठी सिनेमा की फेमस कलाकार थी इसलिए बचपन से ही रीमा का झुकाव भी अभिनय की ओर हो गया। रीमा ने लगभग 9 फिल्मों में बाल कलाकार के रूप में काम किया। फिर पढ़ाई के लिए उन्होंने अभिनय से कुछ ब्रेक लिया और पुणे शिफ्ट हो गईं। 11वीं तक पढ़ाई के बाद वह वापस अभिनय की ओर ध्यान देने लगी थीं। स्नातक की पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने एक्टिंग भी जारी रखी। इस बीच उन्हें यूनियन बैंक में नौकरी मिल गयी जहां उन्होंने 10 सालों तक नौकरी की, इस दौरान 1976 में बैंक में ही इंटर बैंक थियेटर कंपटीशन के समय उनकी मुलाकात मराठी कलाकार विवेक लागू से हुई। विवेक भी बैंक में काम करने के साथ मराठी कलाकार भी थे। 1978 में रीमा और विवेक की शादी हो गई किन्तु कुछ निजी कारणों के चलते उनकी शादी ज्यादा दिन नहीं चली और जल्दी ही उनका तलाक हो गया। विवेक लागू और रीमा लागू की एक बेटी है मृण्मयी, जिसका पालन-पोषण रीमा लागू ने ही किया। मृण्मयी लागू भी एक स्टेज कलाकार, फिल्म एक्ट्रेस और साथ ही थियेटर डायरेक्टर हैं।
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फिल्मों में मां की सशक्त भूमिका से रीमा लागू ने अपनी अलग पहचान बनाई थी, अपने कॅरियर की शुरूआत उन्होंने मराठी फिल्मों से की। 1979 में रीमा लागू ने फिल्म सिंहासन से मराठी सिनेमा में पदार्पण किया और 1980 में वे फिल्म कलयुग से बतौर सह अभिनेत्री हिंदी फिल्मों में आईं।
मैंने प्यार किया, हम साथ साथ हैं, कुछ कुछ होता है, कल हो ना हो, वास्तव, आशिकी, जिस देश में गंगा रहता है इत्यादि रीमा लागू की बेहद हिट हिन्दी फिल्में रहीं जिनमें उनका बेहतरीन अभिनय देखा जा सकता है। इनके अलावा पथरीला रास्ता, दिलवाले ‘पापा कहते है’, ‘प्रेम ग्रन्थ’, ‘यस बॉस’ ‘बेताबी’, ‘दीवाना’ मस्ताना ‘तिरछी टोपी वाले’, ‘दीवाना हूँ पागल नहीं’, ‘प्यार तो होना ही था’, ‘मेरे दो अनमोल’, ‘आंटी नम्बर 1’ इत्यादि भी रीमा लागू की काफी सफल फिल्में थीं।
‘मैंने प्यार किया’ में सलमान खान की मां के रोल में उनका अभिनय इतना वास्तविक था कि लोग उन्हें सलमान खान की मां के नाम से जानने लगे। फिल्म वास्तव में रीमा लागू संजय दत्त की मां बनी थीं। रीमा लागू के निधन पर संजय दत्त ने दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी मौत से मैंने एक बार फिर अपनी मां को खोया है। फिल्म ‘जय किशन’ में रीमा लागू अक्षय कुमार की, ‘गुमराह’ में श्रीदेवी की, ‘रंगीला’ में उर्मिला मातोंडकर की, ‘कुछ कुछ होता है’ में काजोल की, ‘कयामत से कयामत तक’ में जूही चावला की, ‘हम आपके हैं कौन’ में माधुरी दीक्षित की और ‘कल हो न हो’ में शाहरुख खान की मां बनीं।
फिल्मों में अपने उत्कृष्ट अभिनय के चलते रीमा लागू ने कई फिल्म फेयर अवॉर्ड जीते।
रीमा लागू की मराठी फिल्में आपली मन्से, श्यामची आई, आई शप्पथ, शुभ मंगल सावधान, नवरा माझा नवसाचा इत्यादि प्रमुख हैं। मराठी फिल्मों में दिए उनके योगदान के लिए महाराष्ट्र सरकार के द्वारा उन्हें वी शांताराम पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
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हिंदी, मराठी फिल्मों के अलावा रीमा लागू हिंदी और मराठी टेलीविजन की भी एक कामयाब कलाकार रहीं हैं। 1985 में उन्होंने हिंदी धारावाहिक ‘खानदान’ से अपने टेलीविजन करियर की शुरुआत की थी, उसके बाद 1994 में ‘श्रीमान श्रीमती’ और ‘तू तू मै मै’ धारावाहिक से उन्होंने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। धारावाहिक ‘तू तू मै मैं’ के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेत्री के लिए ‘इंडियन टेली पुरूस्कार’ दिया गया।
‘पुरुष’ नाटक में तो रीमा लागू ने नाना पाटेकर जैसे मंझे कलाकार को भी टक्कर दे दी थी।
अंतिम समय से पहले रीमा लागू धारावाहिक ‘नामकरण’ के लिए काम कर रहीं थी अचानक हुए उनके निधन से उनकी जगह रागिनी शाह को इस धारावाहिक में उनकी जगह कास्ट किया गया।
रीमा लागू आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं किन्तु उनके बेहतरीन अभिनय के लिए वे अपने फिल्मी किरदारों के जरिए हमेशा हमारे बीच जिंदा रहेंगी।
अमृता गोस्वामी
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