पिता को बंदी तो भाइयों की हत्या के बाद औरंगजेब ने हासिल की थी सत्ता, ऐसे बना मुगल साम्राज्य के पतन का कारण

मुगल शासक औरंगजेब ने भारत पर करीब डेढ़ दशक तक शासन किया। औरंगजेब ने सत्ता के लिए अपने पिता शाहजहां को बंदी बनाया और अपने भाइयों की हत्या कर दी थी। उसे एक कट्टर मुस्लिम शासक के तौर पर जाना जाता है। आज के दिन 3 मार्च को औरंगजेब की मृत्यु हुई थी।
मुगलों ने देश पर कई वर्षों तक शासन किया है। मुगल सल्तनत की शुरूआत बाबर ने की थी। बता दें कि औरंगजेब छठे नंबर के मुग़ल शासक थे। जिसने मुगल बादशाह अकबर के बाद सबसे लंबे समय तक शासन किया था। साल 1658 से 1707 लगभग 49 सालों तक औरंगजेब ने सत्ता की बागडोर संभाली थी। वहीं 3 मार्च को मुगल शासक औरंगजेब की मृत्यु हुई थी। इनकी मृत्यु के बाद पूरा मुगल साम्राराज्य हिल गया था। औरंगजेब के शासन के बाद मुगलिया सल्तनत धीरे-धीरे अपने पतन की ओर बढ़ने लगा था। हालांकि औरंगजेब को उसकी प्रजा ज्यादा पसंद नहीं करती थी। जिसके पीछे उसका व्यवहार, कट्टरपंथी, पक्के मुसलमान और कठोर किस्म का होना शामिल रहा।
9 साल की उम्र में बनाया गया था बंदी
देश पर शासन करने वाला औरंगजेब मुगल शासक शाहजहां का तीसरे नंबर का बेटा था। औरंगजेब के जन्म के दौरान शाहजहां गुजरात के गवर्नर थे। एक युद्ध में शाहजहां के असफल होने पर औरंगजेब के दादा यानि की जहांगीर ने उसे महज 9 साल की उम्र में लाहौर की जेल में बंधक बना लिया था। वहीं जहांगीर की मौत के बाद शाहजहां आगरा के राजा बनें तो औरंगजेब अपने माता-पिता के साथ रहने लगे। वहीं 1633 में आगरा पर जंगली हाथियों द्वारा हमला किए जाने पर औरंगजेब ने अपनी जान जोखिम में डालकर प्रजा की रक्षा की थी। औरंगजेब ने जंगली हाथियों का हिम्मत से सामना कर उन्हें एक कोठरी में कैद कर दिया था। यह देखकर शाहजहां ने उन्हें सोने से तोला और बहादुर की उपाधि दी थी।
दक्कन का सूबेदार
शाहजहां के चहेते होने के कारण 1636 में औरंगजेब को महज 18 साल की उम्र में दक्कन का सूबेदार बनाया गया। वहीं 1637 में उन्होंने सफविद की राजकुमारी दिलरास बानू बेगम से निकाह किया। औरंगजेब की एक बहन की 1644 में मौत हो गई। इस दौरान औरंगजेब कई हफ्तों के बाद आगरा वापस लौटे। जिस बात से उनके पिता शाहजहां को गहरा आघात पहुंचा और उन्हें सूबेदारी के पद से हटा दिया गया। हालांकि इस दौरान औरंगजेब के अपने भाइयों से विवाद भी शुरू हो गया था। शाहजहां का गुस्सा शांत होने पर औरंगजेब को 1645 में गुजरात का सूबेदार बनाया गया। गुजरात मुग़ल साम्राज्य का सबसे अमीर प्रान्त था। वहीं गुजरात में औरंगजेब के अच्छे काम से खुश होकर उसे अफगानिस्तान का भी गवर्नर बना दिया गया था।
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भाइयों से मतभेद
साल 1653 में औरंगजेब को फिर से दक्कन की सूबेदारी मिली। इस दौरान औरंगजेब ने दक्षिण में अपने परदादा यानि कि अकबर द्वारा बनाए गए राजस्व नियम को लागू कर दिया। वहीं इस बीच आगरा से लंबे समय तक दूर होने के कारण औरंगजेब का बड़ा भाई दारा शिकोह शहंशाह का काफी चहीता बन गया था। दारा शिकोह अपने पिता के सलाहकार के तौर पर काम करता था। वहीं दारा शिकोह और औरंगजेब की सोच विपरीत होने के कारण दोनों में मतभेद शुरू हो गए। इस दौरान औरंगजेब को गद्दी दारा शिकोह के पास जाती दिख रही थी।
गद्दी के लिए खूनी संघर्ष
वर्ष 1656 में शाहजहां काफी बीमार पड़ गए थे। वहीं तीनों भाइयों में सत्ता को लेकर खुलकर विरोध भी शुरू हो गया था। लेकिन अन्य भाइयों से औरंगजेब अधिक शक्तिशाली था। जिसके कारण उसने अपने पिता शाहजहां को बंदी बनाकर भाइयों को फांसी दे दी और खुद शासक बन गया। औरंगजेब ने अपना राज्य अभिषेक खुद ही करवाया था। भाइयों की हत्या और पिता को बंदी बनाए जाने के कारण उसकी प्रजा औरंगजेब से नफरत करने लगी थी। औरंगजेब ने शाहजहां की भी हत्या का प्रयास किया लेकिन कुछ वफादारों के कारण वह ऐसा नहीं कर सका।
औरंगजेब का शासन
औरंगजेब एक कट्टर मुसलमान था। जिस कारण उसने हिंदू प्रजा पर काफी जुल्म किए। वहीं औरंगजेब के शासन काल में हिन्दू त्योहारों को मनाने पर पाबंदी लगा दी। तमाम हिंदू मंदिरों को ध्वस्त करवा दिया। साथ ही उसने गैर मुस्लिमों पर अतिरिक्त कर लगाकर उन पर मुस्लिम धर्म अपनाने का दबाव बनाया जाने लगा। कश्मीरी लोगों के साथ खड़े होकर जब सिख गुरु तेगबहादुर ने इस बात का विरोध किया तो औरंगजेब ने उन्हें फांसी की सजा दे दी। सती प्रथा को फिर से शुरू करवा दिया था। औरंगजेब के शासन काल में प्रजा पर जुल्म बढ़ने के साथ ही मांस खाना, शराब पीना, वेश्यावृत्ति जैसे कार्य़ बढ़ने लगे।
विद्रोह की शुरूआत
औरंगजेब के बढ़ते अत्याचारों पर 1660 में मराठा ने उसके खिलाफ विद्रोह करना शुरू कर दिया। वहीं 1669 में जाटों द्वारा, 1672 में सतनामी द्वारा, 1675 में सिखों और 1679 में राजपूतों ने औरंगजेब के खिलाफ विद्रोह किया। अंग्रेजो की ईस्ट इंडिया कंपनी ने भी 1686 में औरंगजेब के खिलाफ विद्रोह किया। हालांकि इनमें से कई विद्रोहों को औरंगजेब ने कुचल दिया। लेकिन एक के बाद एक लगातार हो रहे विद्रोहों से मुगल साम्राज्य हिलने लगा था। उसके शासन काल में कला और संगीत आदि दूर होते गए।
साम्राज्य का पतन
औरंगजेब के अपने पूरे शासनकाल में हमेशा युद्ध करता रहा। वह पूरी दुनिया पर फतेह करना चाहता था। वहीं कट्टर मुस्लिम होने के कारण हिंदू राजा इनके दुश्मन बनते जा रहे थे। वहीं शिवाजी औरंगजेब के सबसे बड़े दुश्मन थे। हालांकि औरंगजेब ने शिवाजी को बंदी भी बनाया था। लेकिन वह लंबे समय तक शिवाजी को बंदी बनाए रखने में असफल रहा और शिवाजी उसकी कैद से आजाद हो गए। शिवाजी ने युद्ध में औरंगजेब को हरा दिया। इस तरह से मुगलों के शासन का अंत होने लगा।
मृत्यु
औरंगजेब की मृत्यु 3 मार्च 1707 में 90 साल की उम्र में हुई थी। उसकी मौत के बाद उसे दौलताबाद में दफनाया गया। अपने 50 वर्षों के शासन में औरंगजेब ने अपने दुश्मनों को इतना अधिक बढ़ा लिया था कि उसकी मौत के बाद से ही मुगल साम्राज्य का अंत होने लगा था। जिस मुगल साम्राज्य को औरंगजेब के पूर्वज बाबर ने शुरू किया और बादशाह अकबर ने बढ़ाने का काम किया। उसी साम्राज्य के अंत का कारण औरंगजेब बना। औरंगजेब अपने आखिरी समय में अपने जीवन को नाकाम मानने लगा था। वह नहीं चाहता था कि उसने गद्दी पाने के लिए जो किया वही उसके बेटे भी करें। आखिरी समय में वह बहुत बीमार पड़ गया था और अपने गुनाहों को प्रायश्चित करने लगा था।
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