झाबुआ उपचुनाव में युवा आदिवासी कांग्रेस के हाथ के साथ

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दिनेश शुक्ला । Sep 23 2019 7:44PM

हम आदिवासी युवा और समाज के साथ हर वर्ग के उद्धार के लिए काम कर रहे हैं। ऐसे में हमें उम्मीद है कि सरकार इसमें पूरा साथ देगी। इसलिए तय किया गया है कि प्रत्याशी खड़ा नहीं किया जाएगा।

मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल्य झाबुआ विधानसभा का उपचुनाव की घोषणा के बाद जहाँ बीजेपी अपनी सीट बचाने की कवायत में जुटी है तो कांग्रेस अपने खोए हुए गढ़ को फिर से हासिल करने के लिए जी जान से जुट गई है। पिछले साल नवम्बर में हुए विधानसभा चुनाव में यहाँ से भाजपा उम्मीदवार जीएस डामोर जीते थे। जिन्हें बीजेपी ने लोकसभा प्रत्याशी बनाकर लोकसभा पहुँचा दिया। जिसके चलते यह सीट खाली हो गई। यह पहला मौका है जब झाबुआ विधानसभा के लिए उपचुनाव हो रहा है। 2008 में जेवियर मेड़ा कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में यहाँ चुनाव जीते थे। जिसके बाद लगातार 2013 और 2018 में बीजेपी ने यहा सीट जीती है। लेकिन पिछले चुनाव में इस आदिवासी बहुल्य क्षेत्र में आदिवासी युवा शक्ति संगठन(जयस) का प्रभाव देखा गया है। 

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जयस के अध्यक्ष डॉ. हीरालाल अलावा ने 8 सितंबर को झाबुआ में हुए सम्मेलन के दौरान मंच से कहा था, अगर आदिवासियों की मांगें नहीं सुनी गई तो जयस अपना प्रत्याशी यहाँ से खड़ा करेगी। यहां नया युवा नेतृत्व खड़ा किया जाएगा। लेकिन रविवार को जयस कोटे से कांग्रेस विधायक डॉ. हीरालाल अलावा ने साफ कर दिया कि झाबुआ उपचुनाव में जयस अपना कोई प्रत्याशी नहीं खड़ा करेगी। ऐसा वह कमलनाथ सरकार के समर्थन में कर रहे है। जिसके बाद कांग्रेस पार्टी ने चैन की सांस ली है। डॉ. हीरालाल अलावा ने कहा कि, प्रदेश की कमलनाथ सरकार आदिवासी समाज की कई सारी मांगों पर उचित रूप से काम करने को तैयार है। इनमें से कई के लिए प्रक्रिया भी की जा रही है। 

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हम आदिवासी युवा और समाज के साथ हर वर्ग के उद्धार के लिए काम कर रहे हैं। ऐसे में हमें उम्मीद है कि सरकार इसमें पूरा साथ देगी। इसलिए तय किया गया है कि प्रत्याशी खड़ा नहीं किया जाएगा। इस विषय पर मुख्यमंत्री कमलनाथ से भी उनकी बात हुई है। वहीं जयस की इस घोषणा के बाद कांग्रेस प्रत्याशी चयन के लिए स्थानीय नेताओं से सलह ले रही है। साथ ही आदिवासी युवाओं का साथ मिलने से उत्साही नज़र भी आ रही है। अब कांग्रेस को बीजेपी के किले में सेध लगाना है। अब देखना होगा कि आगमी उपचुनाव में कांग्रेस यह किला फतह कर पाती है कि नहीं।

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