जातीय समीकरण साधने में जुटी योगी सरकार, अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में शामिल हो सकती हैं 8 और जातियां
सरकार की ओर से पिछड़ा वर्ग आयोग को अगले महीने इन जातियों को शामिल करने के लिए विज्ञापन जारी कर आपत्तियां व सुझाव मांगे जा सकते है। 30 दिन के भीतर आयोग को अपने सुझाव देने होंगे।
उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने है। ऐसे में राज्य सरकार सभी जातियों को साधने के लिए नयी योजना बना रही है। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार फिलहाल कुछ जातियों को साधने की कोशिश में जुटी है ताकि आगामी चुनाव में उसका समीकरण सही साबित हो सके। फिलहाल 8 जातियां ऐसी है जिनको अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में शामिल करने को लेकर राज्य सरकार जल्द निर्णय ले सकती है। सरकार की ओर से पिछड़ा वर्ग आयोग को अगले महीने इन जातियों को शामिल करने के लिए विज्ञापन जारी कर आपत्तियां व सुझाव मांगे जा सकते है। 30 दिन के भीतर आयोग को अपने सुझाव देने होंगे।
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विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इन जातियों की सियासत तेज हो सकती है। वर्तमान में देखें तो उत्तर प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में 79 जातियां शामिल है। भाजपा सरकार चुनावी नफा नुकसान का आकलन करने के लिए इस सूची में कुछ और जातियों को शामिल करने की कोशिश में जुट गई है। राज्य सरकार की नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 फ़ीसदी आरक्षण के लिए जातियों की सूची में नाम शामिल करने व हटाने का फैसला राज्य का पिछड़ा वर्ग आयोग करता है। फिलहाल में देखें तो आयोग के पास है ऐसी 8 जातियां हैं जिनकी अब अंतिम चरण में सुनवाई हो सकते है।
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यह जाति हैं शामिल
हालांकि यह बात भी सच है कि इन 8 जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल करने को लेकर मामले करीब 3-4 साल से चल रहे हैं। इन जातियों का सामाजिक व शैक्षिक स्थिति का भी आकलन किया जा रहा है। इसके साथ ही आर्थिक स्थिति भी देखी जा रही है। सबसे खास बात तो यह है कि जिन 8 जातियों का यह मामला है उनमें 4 मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। इनमें मुस्लिमों की जाति में आने वाले बागबान हैं। जिस तरह हिंदुओं में माली होते हैं उसी तरह मुस्लिमों में बागबान होते हैं। दूसरी जाति है गोरिया। यह भी मुस्लिम समाज से ही ताल्लुक रखते हैं।
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तीसरी जाति महापात्र या महा ब्राह्मण हैं। यह वह जाति होते हैं जो अंतिम संस्कार में शामिल होते हैं। चौथी जाति रुहेला है। इस जाति के लोगों के पास छोटी-छोटी जमीने होती हैं और वह खेती करते हैं। इसके बाद बारी मुस्लिम भांट की आती है। यह सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े होते हैं। मुस्लिम समुदाय के पवरिया या पमरिया जाति इसके बाद आती है। अगली जाति सिक्ख लवाणा है जो सिख समुदाय से आते हैं। आठवीं जाति ऊनाई साहू है जो बनिया समाज की आते हैं और छोटा-मोटा व्यवसाय करते हैं।
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