क्या राष्ट्रपति चुनाव के नाम पर एकजुट हो पाएगा विपक्षी खेमा ? अग्निपरीक्षा की आई घड़ी, NDA की स्थिति मजबूत
चुनाव आयोग ने गुरुवार को राष्ट्रपति चुनाव की तारीखों का ऐलान किया था। जिसके मुताबिक, देश के अगले महामहिम को चुनने के लिए 18 जुलाई को वोट डाले जाएंगे। जबकि 21 जुलाई को चुनाव के नतीजे सामने आएंगे और देश को नए महामहिम मिलेंगे। इस चुनाव में सांसदों और विधायकों वाले निर्वाचक मंडल के 4,809 सदस्य वोट करेंगे।
राष्ट्रपति चुनाव का बिगुल बज चुका है। इसी के साथ ही विपक्षी खेमा भी एक्टिव हो चुका है। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्षा सोनिया गांधी कोरोना संक्रमित हैं लेकिन उनके कहने पर पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, माकपा नेता सीताराम येचुरी और एनसीपी नेता शरद पवार से फोन पर बातचीत की। इसके साथ ही सोनिया गांधी ने मल्लिकार्जुन खड़गे को समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ तालमेल स्थापित करने का निर्देश दिया है।
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कब होगा राष्ट्रपति चुनाव ?
चुनाव आयोग ने गुरुवार को राष्ट्रपति चुनाव की तारीखों का ऐलान किया था। जिसके मुताबिक, देश के अगले महामहिम को चुनने के लिए 18 जुलाई को वोट डाले जाएंगे। जबकि 21 जुलाई को चुनाव के नतीजे सामने आएंगे और देश को नए महामहिम मिलेंगे। इस चुनाव में सांसदों और विधायकों वाले निर्वाचक मंडल के 4,809 सदस्य मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के उत्तराधिकारी का चुनाव करेंगे।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में भाजपा और उसके सहयोगियों के पास 2017 के राष्ट्रपति चुनाव की तुलना में कम विधायक हैं, लेकिन तब से उनके सांसदों की संख्या बढ़ गई है। हालांकि, भाजपा अपने उम्मीदवार की जीत आसानी से सुनिश्चित करने की स्थिति में है। ऐसे में भाजपा के संभावित उम्मीदवार सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। लेकिन साल 2014 से सत्ता संभालने के बाद भाजपा ने सभी को चौंकाया है। मीडिया रिपोर्ट्स में कई लोगों के नाम चलते रहते हैं और पार्टी इससे इतर उम्मीदवार का ऐलान कर सभी को चौंका देती है। ठीक ऐसा ही साल 2017 में भाजपा ने किया था।
भाजपा को मिल सकता है इन दलों का समर्थन
पिछले राष्ट्रपति चुनाव के वक्त भाजपा के पास शिवसेना जैसी पार्टियों का समर्थन था लेकिन हालात अब पहले जैसे नहीं हैं। शिवसेना ग्रैंड ओल्ड पार्टी के साथ नए समीकरण बना रही है। लेकिन भाजपा के लिए समर्थन जुटाना इतना मुश्किल नहीं होने वाला है। क्योंकि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन रेड्डी के साथ मुलाकात की थी। जिसके बाद भाजपा को पूरा भरोसा है कि दोनों दल राष्ट्रपति चुनाव में उनका साथ देंगे। भाजपा यह मान रही है कि उसे अन्नाद्रमुक का भी समर्थन मिलेगा।
विपक्षी खेमे के लिए 'अग्निपरीक्षा' का आया समय
बिखरा हुआ विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपनी अलग-अलग रणनीतियां बनाते आया है। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और टीआरएस, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की लड़ाई सार्वजनिक है और तो और कई मौकों पर नेता एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी भी करते रहे हैं। अगले लोकसभा चुनाव को लेकर तो आम आदमी पार्टी एकला चलो की राह पर है। तृणमूल कांग्रेस के भीतर नेतृत्व की चाह है, जबकि टीआरएस एक अलग ही मोर्चा तैयार करने में जुटा है और बचे हुए दलों को लगता है कांग्रेस के बिना तीसरा मोर्चा तैयार नहीं हो सकता है। ऐसी स्थिति के बीच में विपक्षी खेमा राष्ट्रपति चुनाव के लिए कैसे एकजुट हो पाएंगे यह देखना काफी दिलचस्प होने वाला है।
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कैसे होता है राष्ट्रपति चुनाव
राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए सर्वप्रथम भारत का नागरिक होना अनिवार्य है। इसके लिए कम से कम 35 साल का होना भी जरूरी है। चुनाव कैसे होता है अगर हम इसकी बात करें तो लोकसभ, राज्यसभा के सांसदों के साथ सभी राज्यों के विधायक वोट करते हैं। इतना ही नहीं सभी वोट की अपनी वैल्यू होती है। जैसे एक सांसद के वोट की वैल्यू 700 होती है। जबकि विधायक के वोट की वैल्यू राज्य की आबादी के हिसाब से अलग-अलग रहती है।
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