गुरु बदले नहीं जाते कहने वाले सिद्धू आखिर क्यों नहीं पहुंचे जेटली की अंतिम यात्रा में
जेटली से राजनीति के गुर सीखकर कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू फर्श से अर्श पर पहुंचे।
पूर्व वित्त मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली का शनिवार को लंबी बीमारी के बाद एम्स में निधन हो गया। जिसके बाद उपराष्ट्रपति वेकैंया नायडू, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण समेत तमाम दिग्गज नेता जेटलीजी के अंतिम दर्शन करने उनके आवास पहुंचे। लेकिन एक व्यक्ति ऐसा भी था जो अरुण जेटली से राजनीति सीखकर राजनेता बना फिर भी उन्हें श्रद्धांजलि देने नहीं पहुंचा।
जेटली से राजनीति के गुर सीखकर कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू फर्श से अर्श पर पहुंचे। भाजपा छोड़कर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने वाले सिद्धू हमेशा से जेटली को राजनीतिक गुरु मानते आए हैं लेकिन कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने के बाद ऐसा क्या हो गया कि वह अपने गुरू की अंतिम यात्रा पर नहीं पहुंचे। जबकि लोकसभा चुनाव के दरमियां कई बार कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और अरुण जेटली के बीच नोक-झोंक देखने को मिली।
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इतना ही नहीं राहुल गांधी शनिवार को जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक के बुलावे को स्वीकार करते हुए विपक्षी नेताओं के साथ श्रीनगर गए थे, वहां के मौजूदा हालातों की समीक्षा करने। लेकिन राहुल समेत सभी विपक्षी नेताओं को एयरपोर्ट से बाहर नहीं निकलने दिया गया और उन्हें वापस दिल्ली रवाना कर दिया गया। इसी बीच राहुल गांधी ने सरकार पर आरोप भी लगाए थे। राहुल गांधी द्वारा ऐसा किया जाना एक राजनीतिक द्वंद्व है लेकिन जेटली जी के अंतिम संस्कार में शामिल होना मानवता थी लेकिन सिद्धू अपने राजनीतिक गुरु को ही भूल गए।
कभी नकारात्मक टिप्पणी न करने वाले सिद्धू ने दुखाया मन
साल 2017 के विधानसभा चुनाव में नवजोत सिंह सिद्धू अमृतसर से कांग्रेस उम्मीदवार थे और उन्होंने भाजपा के खिलाफ कई सारी सभाओं को संबोधित किया। उसके जवाब में जेटली ने भी सभाएं की और सिद्धू पर राजनीति को मोलभाव करने की दुकान बना देने का आरोप लगाया था।
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विधानसभा चुनाव के दरमियां सिद्धू एक दिन सुबह मॉर्निंग वॉक पर गए। वहां पर उन्होंने बच्चों के साथ क्रिकेट खेला और बाद में लोगों से बातचीत की। इस बातचीत के दौरान लोगों ने सिद्धू से पूछा कि जेटली ने आपके खिलाफ जो सभाएं की उसे आप किस तरह से देखते हैं। तब सिद्धू ने जवाब दिया था कि जेटली जी मेरे गुरू हैं और गुरू बदले नहीं जाते। वो कभी भी पार्टियों को अच्छा बुरा नहीं कहते। वो चाहें तो मुझे अपने घर बुलाकर मेरे कान खींच सकते हैं। मैं कभी भी जेटली जी के बारे में निजी बात नहीं करुंगा। मैं उनका सम्मान करता हूं।
यह सिद्धू के शब्द थे अरुण जेटली के लिए...लेकिन इन्हीं सिद्धू ने अरुण जेटली के इस दुनिया को अलविदा कहने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। चाहे वो सोशल मीडिया के माध्यम से हो या फिर उनके आवास पर जाकर उनके दर्शन करने मात्र से हो।
तो क्या जेटली की प्रतिक्रिया से आहत हुए थे सिद्धू
जेटली ने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा था कि भाजपा छोड़कर सिद्धू कांग्रेस में निजी स्वार्थ की वजह से गए हैं। मैं उनके ऊपर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता क्योंकि राजनीति में कई तरह के और कई वर्ग के लोग आते हैं, लेकिन मेरी चिंता दूसरे विषय पर है।
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संजय सिंह को जेटली से मांगनी पड़ी थी माफी
साल 2015 में आम आदमी पार्टी के नेताओं ने अरुण जेटली पर दिल्ली जिला क्रिकेट एसोसिएशन (DDCA) में भ्रष्टाचार करने के आरोप लगाए थे। जिसके बाद जेटली ने अरविंद केजरीवाल समेत 6 नेताओं के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज किया था। अरविंद केजरीवाल के साथ कुमार विश्वास, संजय सिंह, राघव चड्ढा, आशुतोष और दीपक बाजपेयी के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था। रामजेठमलानी जैसा वकील होने के बावजूद अरविंद केजरीवाल मामले में बुरी तरह फंसे हुए थे और उन्होंने अरुण जेटली से माफी मांगना ही सही समझा था। केजरीवाल समेत 6 नेताओं द्वारा माफी मांगने के बाद जेटली ने मुकदमा वापस ले लिया था।
मानहानि का मुकदमा झेलने वालों में आप सांसद संजय सिंह भी शामिल थे। तमाम तरह के वैचारिक मतभेद होने के बावजूद संजय सिंह ने भाजपा मुख्यालय जाकर अरुण जेटली को श्रद्धांजलि दी थी। इतना ही नहीं मनीष सिसोदिया के साथ अरविंद केजरीवाल जेटली की अंतिम यात्रा में शामिल हुए और मुखाग्नि दिए जाने तक वहीं मौजूद थे।
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