सुशासन बाबू के राज में भरभरा कर गिरते हैं पुल, Nitish Kumar के राज में पुल पर चढ़ने से पहले यात्री रहें सावधान!
मुख्यमंत्री के बयान की बात करें तो उनका कहना है कि भागलपुर में पहले भी ऐसा हुआ था तब भी हमने पूछा था कि ऐसा क्यों हुआ? नीतीश ने कहा कि 2014 से इस पर काम शुरू हुआ था। उन्होंने कहा कि अब पुल गिरने की घटना के बाद हमने विभाग के लोगों को एक्शन लेने के लिए कहा है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने आप को सुशासन बाबू कहलवाना पसंद करते हैं। फिलहाल सुशासन बाबू उस पार्टी के सहयोग से सरकार चला रहे हैं जिसके नेताओं पर भ्रष्टाचार के तमाम आरोप हैं। सुशासन बाबू बिहार के मुख्यमंत्री भले हैं लेकिन उनका ध्यान बिहार के विकास पर नहीं बल्कि 2024 में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद से हटाने पर लगा हुआ है इसलिए वह पटना में कम रहते हैं और उनका ज्यादातर समय दूसरे राज्यों की राजधानियों में विपक्षी एकता के प्रयास करने में बीतता है। इसलिए बिहार हर मामले में देश के अन्य राज्यों से भले पिछड़ा हुआ हो लेकिन भ्रष्टाचार के मामलों में आगे नजर आता है। यहां करोड़ों रुपए से बने पुल को कभी आंधी उड़ा ली जाती है तो कभी वह खुद ही भरभरा कर गिर जाता है।
हम आपको बता दें कि बिहार के भागलपुर जिले में रविवार शाम को गंगा नदी पर 1700 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से बन रहा पुल ढह गया। राज्य सरकार के अधिकारियों ने हालांकि दावा किया है कि पुल के कुछ हिस्सों को विशेषज्ञों की सलाह के तहत योजनाबद्ध तरीके से जानबूझकर ध्वस्त कर दिया गया क्योंकि इसमें डिजाइन की खामियां थीं। खगड़िया में हुई इस घटना की तस्वीरें सामने आने के बाद विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला। इसके बाद मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने सफाई पेश की। लेकिन इस राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच उस गार्ड का अभी तक पता नहीं चल पाया है जो घटना के बाद से लापता है। उसके घरवालों का रो रोकर बुरा हाल है। वहीं स्थानीय युवा भी सरकार को खूब कोस रहे हैं।
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दूसरी ओर, मुख्यमंत्री के बयान की बात करें तो उनका कहना है कि भागलपुर में पहले भी ऐसा हुआ था तब भी हमने पूछा था कि ऐसा क्यों हुआ? नीतीश कुमार ने कहा कि 2014 से इस पर काम शुरू हुआ था। अब पुल गिरने की घटना के बाद हमने विभाग के लोगों को एक्शन लेने के लिए कहा है।
वहीं विपक्ष ने नीतीश सरकार पर हमला बोलते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की बिहार इकाई के अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि यह घटना दर्शाती है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार के शासन में ‘‘भ्रष्टाचार व्याप्त है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पुल के निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया है। मुख्यमंत्री को बिहार के विकास की जरा भी चिंता नहीं है... वह अपने दौरे पर व्यस्त हैं। इस घटना के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।’’ भाजपा नेता एवं भागलपुर के पूर्व सांसद सैयद शाहनवाज हुसैन ने भी घटना के लिए ‘‘भ्रष्टाचार’’ को जिम्मेदार ठहराते हुए मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की।
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