कोरोना की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार कौन? समय-समय पर राज्यों को सचेत करता रहा है केंद्र
पिछले साल जब भारत में कोरोना महामारी अपना पैर पसार रहा था तब हमने सीमित संसाधनों में ही इस महामारी के ऊपर लड़ाई लगभग जीत ली थी। लेकिन आखिर यह जीती हुई बाजी हार में कैसे तब्दील हो गई। इस बात को लेकर तरह-तरह के दावे किए जा रहे हैं।
भारत में इस वक्त कोरोना वायरस महामारी अपने चरम पर है। हर रोज लगातार मामलों में भारी रूप से वृद्धि देखी जा रही है। आज तो 315000 से भी ज्यादा नए मामले सामने आए हैं जबकि 2100 से ज्यादा लोगों की इस खौफनाक बीमारी से मौत हो गई। इन सबके बीच देश की स्वास्थ्य व्यवस्था बिल्कुल चरमराई हुई सी नजर आ रही है। अस्पतालों में बेड नहीं है, ऑक्सीजन नहीं है, वेंटिलेटर नहीं है। यह तो छोड़िए, हाल यह है कि अब राज्यों में ऑक्सीजन को लेकर मारामारी मची हुई है। वहीं कुछ दवाइयां भी फिलहाल आसानी से उपलब्ध नहीं हो रहे हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर इस स्थिति के लिए जिम्मेदार कौन है?
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पिछले साल जब भारत में कोरोना महामारी अपना पैर पसार रहा था तब हमने सीमित संसाधनों में ही इस महामारी के ऊपर लड़ाई लगभग जीत ली थी। लेकिन आखिर यह जीती हुई बाजी हार में कैसे तब्दील हो गई। इस बात को लेकर तरह-तरह के दावे किए जा रहे हैं। कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि मामले कम होने के साथ ही हम लापरवाह हो गए थे। जबकि कुछ का मानना यह है कि सरकारों ने भी इस महामारी को गंभीरता से लेना छोड़ दिया था। कोरोना वायरस की दूसरी लहर को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी लगातार जारी है। विपक्ष लगातार इस भयंकर त्रासदी के लिए केंद्र सरकार पर निशाना साधा रहा है। वहीं केंद्र लगातार राज्यों पर लापरवाही के आरोप लगा रहा है।
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क्या वाकई में सरकारों ने कोरोना संक्रमण को गंभीरता से लेना छोड़ दिया था? वर्तमान में स्थिति देखकर कुछ ऐसा ही लगता है। सरकारों ने ना सिर्फ इस महामारी को गंभीरता से लेना छोड़ दिया था, बल्कि इसकी लड़ाई के लिए जरूरी चीजों पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा था। सोशल डिस्टेंसिंग हो या मास्क हो या फिर सेनीटाइजर, इन चीजों का इस्तेमाल कम ही हो रहा था। सरकार की ओर से भी सख्ती नहीं दिखाई जा रही थी। पिछले साल कोरोना के दौरान अस्पतालों में जिस तरह से वेंटिलेटर, ऑक्सीजन, बेड की व्यवस्था की गई थी उसको खत्म होने दिया गया। यही कारण हुआ कि अचानक बढ़े कोरोना के मामलों ने देश में भयंकर स्थिति पैदा कर दी है। हालांकि, केंद्र लगातार राज्य सरकारों को कोरोना वायरस की दूसरी लहर को लेकर सचेत करता रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से लगातार राज्यों को चिट्ठियां लिखी गई हैं।
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7 जनवरी को लिखी गई चिट्ठी में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने महाराष्ट्र, केरल, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल की सरकारों को खत लिखा था जिसमें उन्हें कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों को लेकर सख्ति करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद एक और चिट्ठी केंद्र की ओर से राज्य सरकारों को 21 फरवरी 2021 को लिखी गई थी जिसमें राज्यों से आरटी पीसीआर टेस्ट बढ़ाने की बात कही गई थी। यह वह समय था जब भारत में कोरोना के दूसरे लहर की शुरुआत हुई थी। महाराष्ट्र और केरल में मामले बढ़ रहे थे। 25 फरवरी 2021 को महाराष्ट्र, केरल, पंजाब, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात, छत्तीसगढ़ की सरकारों को केंद्र की ओर से चिट्ठी लिखी गई थी जिसमें कोरोना वायरस की स्थिति पर चिंता जताई गई थी। वही एक और चिट्ठी 27 फरवरी को कैबिनेट सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय मीटिंग के बाद लिखी गई थी जिसमें कोरोना प्रोटोकॉल का पालन कराने के लिए कहा गया था।
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जाहिर सी बात है कि आज भारत में जिस तरीके से कोरोना वायरस महामारी की स्थिति है उसके लिए कहीं ना कहीं हम सब जिम्मेदार हैं। लेकिन हमारे साथ साथ वह सरकारें भी जिम्मेदार हैं जिनकी वजह से हम सब ने लापरवाही की।
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