Prabhasakshi Exclusive: रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की बात तो बहुत होती है, मगर मोदी सरकार ने अब तक किया क्या है?

Rajnath Singh
ANI

ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी ने कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आत्मनिर्भरता का मतलब दुनिया से अलगाव नहीं है। उन्होंने कहा कि आज, दुनिया एक वैश्विक गांव बन गई है और अलग रहना संभव नहीं है।

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में हमने इस सप्ताह ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी से जानना चाहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पुणे में उन्नत प्रौद्योगिकी रक्षा संस्थान (डीआईएटी) के 12वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि रक्षा उपकरणों के आयात पर निर्भरता भारत की सामरिक स्वायत्तता में बाधा बन सकती है। इसके साथ ही उन्होंने उन रक्षा उत्पादों की एक और सूची भी जारी की जिन्हें हम आयात नहीं किया जायेगा बल्कि घरेलू स्तर पर ही उनका निर्माण किया जायेगा। इसे कैसे देखते हैं आप? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि देश के सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिए रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता जरूरी है। राजनाथ सिंह ने पुणे में उन्नत प्रौद्योगिकी रक्षा संस्थान (डीआईएटी) के 12वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि रक्षा उपकरणों के आयात पर निर्भरता भारत की सामरिक स्वायत्तता में बाधा बन सकती है। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा है कि आत्मनिर्भरता के बिना, हम अपने राष्ट्रीय हितों के अनुरूप वैश्विक मुद्दों पर स्वतंत्र निर्णय नहीं ले सकते। हम जितना अधिक उपकरण आयात करेंगे, उसका हमारे व्यापार संतुलन पर उतना अधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। हम शुद्ध आयातक के बजाय शुद्ध निर्यातक बनने का लक्ष्य रखते हैं। इससे न केवल हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी ने कहा कि राजनाथ सिंह ने कहा कि आत्मनिर्भरता का मतलब दुनिया से अलगाव नहीं है। उन्होंने कहा कि आज, दुनिया एक वैश्विक गांव बन गई है और अलग रहना संभव नहीं है। आत्मनिर्भरता का उद्देश्य अपने मित्र देशों की सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करते हुए अपनी क्षमता से आवश्यक उपकरण/प्लेटफॉर्म बनाकर सशस्त्र बलों की जरूरतों को पूरा करना है। उन्होंने आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए रक्षा मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदमों की बात की, जिसमें सशस्त्र बलों के लिए चार सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियों की घोषणा शामिल है। इसमें 411 प्रणालियां/उपकरण शामिल हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा नवाचार के क्षेत्र में विशेष जोर दिया जा रहा है, भारत स्टार्ट-अप के लिए दूसरा सबसे बड़ा केंद्र बन गया है।

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उन्होंने बताया कि राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षा मंत्रालय को लगातार नवोन्मेषी विचार मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि डिफेंस इंडिया स्टार्ट-अप चैलेंज के पिछले सात संस्करणों में 6,000 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए, जो इंगित करता है कि भारतीय स्टार्ट-अप रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की तलाश में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। अधिक पेटेंट दायर किए जा रहे हैं, जो अभिनव कौशल का संकेत है। राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत राइफल, ब्रह्मोस मिसाइल, हल्के लड़ाकू विमान और स्वदेशी विमानवाहक पोत का निर्माण खुद कर रहा है। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में रक्षा निर्यात कई गुना बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान लगभग 16,000 करोड़ रुपये हो गया है, जो 2014 में 900 करोड़ रुपये था। उन्होंने कहा कि भारत कई देशों को रक्षा उपकरण निर्यात कर रहा है, जिनमें से कई देश की विनिर्माण क्षमताओं में रुचि और विश्वास दिखा रहे हैं। राजनाथ सिंह ने 2047 तक मजबूत, समृद्ध, आत्मनिर्भर और विकसित भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने को साकार करने के लिए देश की पूरी क्षमता का उपयोग करने का आह्वान किया। 

उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री ने अनुसंधान संस्थानों को उन्नत प्रौद्योगिकी में गतिविधियों को गति देने और भारत को साइबर और अंतरिक्ष से संबंधित उभरते खतरों से निपटने में पूरी तरह से सक्षम बनाने के लिए प्रगति हासिल करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और युद्ध के तरीके तेजी से विकसित हो रहे हैं और संपर्क रहित युद्ध से निपटने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी में तेजी से प्रगति करने की आवश्यकता है, जिसे आज दुनिया पारंपरिक तरीकों के अलावा देख रही है।

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