हम संविधान के सिपाही, न झुकेंगे, न दबेंगे, न रुकेंगे... सभापति जगदीप धनखड़ पर खड़गे ने फिर साधा निशाना
कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी कहा कि नेता प्रतिपक्ष समेत विपक्षी सदस्यों के भाषणों के महत्वपूर्ण अंशों को राज्यसभा के सभापति मनमाने एवं दुभार्वनापूर्ण तरीके से सदन की कार्यवाही से निकालने का नियमित रूप से निर्देश देते रहते हैं।
उच्च सदन में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक बार फिर से सभापति जगदीप धनखड़ पर निशाना साधा है। खड़गे ने कहा कि राज्यसभा में विपक्ष के ‘बोलने का अधिकार’ और ‘विचारों की अभिव्यक्ति’ का हनन आम बात हो गई है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि राज्यसभा के सभापति धनखड़ लगातार टीकाटोकी कर तथा सत्यापन की अनावश्यक जिद कर विपक्ष की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सदैव दबाते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्यसभा के सभापति सदन के बाहर विपक्ष के नेताओं की बार-बार आलोचना करते हैं, अक्सर सत्तारूढ़ दल की दलीलें दोहराते हैं।
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कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी कहा कि नेता प्रतिपक्ष समेत विपक्षी सदस्यों के भाषणों के महत्वपूर्ण अंशों को राज्यसभा के सभापति मनमाने एवं दुभार्वनापूर्ण तरीके से सदन की कार्यवाही से निकालने का नियमित रूप से निर्देश देते रहते हैं। उन्होंने दावा किया कि राज्यसभा के सभापति धनखड़ ने मूर्तियों को दूसरी जगह स्थापित करने, सुरक्षा तंत्र में बदलाव जैसे मामलों पर एकतरफा फैसले किये। खरगे ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ पर पद के दुरूपयोग का आरोप लगाया और कहा कि उनके आचरण से निष्पक्षता के बारे में गंभीर चिंता पैदा होती है।
अपने पोस्ट में खड़गे ने लिखा कि अध्यक्ष सदन में और सदन के बाहर भी सरकार की अनुचित चापलूसी करते दिखते हैं। प्रधानमंत्री को महात्मा गांधी के बराबर बताना, या प्रधानमंत्री की जवाबदेही की माँग को ही ग़लत ठहराना, ये सब हम देखते आए हैं। अगर विपक्ष वॉकआउट करता है तो उसपर भी टिप्पणी करते हैं, जबकि वॉकआउट संसदीय परंपरा का ही हिस्सा है। उन्होंने यह भी कहा कि सभापति ने रूल 267 के तहत कभी भी किसी भी चर्चा की अनुमति नहीं दी है। विपक्षी सदस्यों को नोटिस पढ़ने की भी अनुमति नहीं देते हैं। जबकि पिछले तीन दिनों से सत्ता पक्ष के सदस्यों को नाम बुला बुला कर रूल 267 में नोटिस पर बुलवा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि विपक्षी सदस्यों को मंत्रियों के स्टेटमेंट पर अब सवाल नहीं पूछने देते हैं। राज्यसभा में स्टेटमेंट पर स्पष्टीकरण की परंपरा थी, वो भी बंद कर दी है। संसद में सदस्यों को अपनी बात कहने का पूरा अधिकार है। लेकिन सभापति महोदय विपक्ष को लगातार टोकते हैं, उन्हें अपनी बात पूरी करने का मौका नहीं देते हैं। विपक्ष से बिना वजह प्रमाणीकरण की मांग करते हैं, जबकि सत्ता पक्ष के सदस्यों को, मंत्रियों को और प्रधानमंत्री को कुछ भी कहने देते हैं। वो कोई भी झूठ सदन में कह दें, कोई भी फेक न्यूज़ फैला दें, उन्हें कभी नहीं रोकते। लेकिन विपक्ष के सदस्यों को मीडिया की रिपोर्ट को भी प्रमाणित करने को कहते हैं। और ऐसा न करने पर उन पर कार्यवाही करने की धमकी देते हैं।
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खड़गे ने कहा कि जहाँ आज विपक्ष की आवाज़ का गला घोटना अब राज्य सभा में संसदीय प्रक्रिया का नियम बन गया है जहाँ संसद की मर्यादाओं तथा नैतिकता आधारित परंपराओं का हनन अब राज्य सभा में दिनचर्या बन गई है। जहाँ प्रजातंत्र को कुचलने तथा सत्य को पराजित करने की कोशिश लगातार व बदस्तूर जारी हैं। उन्होंने कहा कि हम संविधान के सिपाही तथा रक्षक के तौर पर हमारा निश्चय और ज़्यादा दृढ़ हो जाता है। हम न झुकेंगे, न दबेंगे, न रुकेंगे और संविधान, संसदीय मर्यादाओं तथा प्रजातंत्र की रक्षा के लिए हर कुर्बानी के लिए सदैव तत्पर रहेंगे।
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