Waqf Bill: क्या ये है सही समय जब 'वक्फ' में होना चाहिए बदलाव? सरकार को लोगों ने भेजे लाखों ईमेल

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रितिका कमठान । Sep 18 2024 12:46PM

वक्फ से संबंधित शुरुआती विवादों में से एक है संपत्तियों की बड़ी संख्या। पूरे देश में हजारों संपत्तियां है, जिसमें निजी जमीन से लेकर शहरी अचल संपत्ति भी शामिल है जो वक्फ के अंदर ही पंजीकृत है। इनमें से काफी संपत्तियां ऐसी हैं जो उचित दस्तावेज या सत्यापन के बिना ही पंजीकृत की गई है।

भारत में हमेशा से ही वक्फ की अवधारणा को लेकर चर्चा होती रही है। आमतौर पर इसे लेकर कानूनी लड़ाई, भ्रम और विवाद की स्थिति भी बनी रहती है। मोदी सरकार ने इस वर्ष ही वक्फ संशोधन विधेयक-2024 को पेश किया, जिसके बाद इस पर फिर से गंभीर बहस की शुरुआत हो गई है। अगस्त 2024 को वक्फ संशोधन विधेयक को लोकसभा में पेश किया गया था। इस संशोधन का उद्देश्य है कि वक्फ बोर्ड के काम को सुव्यवस्थित किया जाए। वहीं वक्फ की संपत्तियों का कुशल प्रबंधन भी हो सके।

मोदी सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल में ही वक्फ अधिनियम में भाजपा के प्रस्तावित संधोशन पेश किए हैं, जिन पर जमकर विवाद होने लगा है। इन संशोधनों के कारण ही वक्फ की संपत्तियों के दुरुपयोग किए जाने और सीमा को लेकर भी सवाल खड़े होने लगे है। जानते हैं कि वक्फ क्या है? इसका किस तरह से दुरुपयोग हो रहा है और भाजपा द्वापा पेश सुधार से कैसे बदलाव हो सकता है?

 

जानें क्या है वक्फ?

वक्फ इस्लामी कानून के तहत धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए समर्पित संपत्तियों को संदर्भित करता है। इसके जरिए धार्मिक या धर्मार्थ उपयोग के लिए संपत्ति का दान होता है। बता दें कि वक्फ अरबी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ खुदा के नाम पर दी गई वस्तु, या परोपकार या दान के लिए दिया गया धन होता है। जब कोई संपत्ति वक्फ के तौर पर नामित हो जाती है तो उसे बेचा नहीं जा सकता है। यहां तक की वक्फ को मिली संपत्ति को हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है। ये संपत्ति हमेशा वक्फ के पास ही रहती है। माना जाता है कि ये संपत्ति अल्लाह के नाम पर होगी है। बता दें कि वक्फ की संपत्तियों को अल्लाह को सौंपा जाता है, ऐसे में वक्फ प्रशासन में सक्षम प्राधिकारी एक मुतवल्ली को नियुक्त करता है।

 

भारत में ऐसे आई वक्फ की अवधारणा

वक्फ भारत में तब आया जब दिल्ली सल्तनत की यहां शुरुआत हुई थी। जानकारी के मुताबिक सुल्तान मुइजुद्दीन सैम गौर ने मुल्तान की जामा मस्जिद के पक्ष में दो गांव समर्पित किए थे। शेखुल इस्लाम को इसका प्रशासन सौंपा गया था। दिल्ली सल्तनत और बाद में इस्लामी राजवंध की भारत में उत्पत्तति के कारण वक्फ की संपत्तियों में इजाफा होता रहा। जानकारी के मुताबिक 19वीं सदी के अंत में भारत में वक्फ खत्म करने का मामला तब उठाया गया जब ब्रिटिश राज के दौरान वक्फ संपत्ति का मामला इतना बड़ा हुआ कि ये लंदन की प्रिवी काउंसिल में सुनवाई के लिए पहुंचा। इस सुनवाई के दौरान चार ब्रिटिश जजों ने वक्फ को सबसे खराब और सबसे घातक किस्म की शाश्वतता बताया था। जजों ने वक्फ को अमान्य तक घोषित किया था। चारों जजों के इस फैसले को भारत ने स्वीकार नहीं किया। वर्ष 1913 के मुसलमान वक्फ वैधीकरण अधिनियम के जरिए भारत में वक्फ संस्था को बचाया गया। इसके बाद से वक्फ पर कभी अंकुश लगाने की कोशिश नहीं हुई।

 

वक्फ की संपत्तियों पर हो सकता है दावा

वक्फ से संबंधित शुरुआती विवादों में से एक है संपत्तियों की बड़ी संख्या। पूरे देश में हजारों संपत्तियां है, जिसमें निजी जमीन से लेकर शहरी अचल संपत्ति भी शामिल है जो वक्फ के अंदर ही पंजीकृत है। इनमें से काफी संपत्तियां ऐसी हैं जो उचित दस्तावेज या सत्यापन के बिना ही पंजीकृत की गई है। ऐसे कई मामलों में लोगों को पता चला है कि निजी संपत्तियों को भी बिना जानकारी या सहमति के वक्फ की संपत्ति के तौर पर रजिस्टर किया गया था। ऐसे में इन संपत्तियों को लेकर स्वामित्व की कानूनी लड़ाई भी लड़ी गई है। बीते कुछ वर्षों में ऐसे दावों का आंकड़ा भी बढ़ा है। ऐसे में ये भी माना जा रहा है कि भूमि हड़पने के लिए इस संस्था का दुरुपयोग किया जा रहा है, जिससे चिंताएं भी बढ़ी है।

 

भाजपा ने किए हैं सुधार के प्रयास

वक्फ अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने लाया है। इसके जरिए कई मुद्दों पर चर्चा हुई है। वक्फ संशोधन विधेयक का उद्देश्य है कि सख्त नियम को लागू किया जाए। इसके अलावा पारदर्शिता बढ़ाई जाए और वक्फ की संपत्तियों के दुरुपयोग को भी रोका जाए। इसका उद्देश्य है कि वक्फ भूमि के प्रबंधन के लिए अधिक मजबूत ढांचा स्थापित हो। ये भी सुनिश्चित करने का प्रयास है कि उनका उपयोग उनके इच्छित उद्देश्य के लिए हो। वक्फ संशोधन विधेयक में सुधारों का इस्लामी संगठन भी विरोध करते है।

 

संशोधन से होंगे ये बदलाव

केंद्र सरकार द्वारा पेश किया गया संशोधन विधेयक अगर पारित होता है तो देश में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के तरीके में बदलाव होगा। सबसे बड़ा बदलाव होगा कि वक्फ की संपत्तियों के दानों का सत्पायन करवाना अनिवार्य होगा। ऐसे में ये पता चलेगा कि सिर्फ वैध संपत्तियां ही वक्फ के तहत पंजीकृत हों। वक्फ बोर्ड में महिलाओं के लिए भी लाभ होगा, जिससे विधेयक वक्फ भूमि के व्यावसायिक उपयोग पर नियंत्रण लगेगा। इससे लाभ संचालित उद्देश्यों के लिए संपत्तियों को पट्टे पर देने पर रोक लगेगी। मोदी सरकार बोर्ड में पारदर्शिता बढ़ाने की भी इच्छुक है, ताकि इस पर बार बार लगने वाले कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार के आरोप से छुटकारा मिल सके। 

 

कांग्रेस और संपत्तियों का वक्फ में रूपांतरण

कांग्रेस पार्टी के आलोचक विस्थापित हुई संपत्तियों और विभाजन के दौरान पलायन करने वालों द्वारा छोड़ी गई संपत्ति को भी वक्फ में परिवर्तित करने में इसकी भूमिका दर्शाते है। ये कदम कई लोगों के लिए राजनीतिक लाभ के तौर पर था, जिससे अल्पसंख्यक समुदायों को खुश करने की कोशिश हुई। वहीं एक बड़ी आबादी के अधिकारों को अनदेखा किया गया। वोट बैंक की राजनीति करने वालों के लिए भूमि नीतियों में बदलाव करने के कारण कांग्रेस के इतिहास ने लोगों में कड़वाहट घोली, जिससे वक्फ में सुधार की मांग को और अधिक बढ़ावा मिला।

 

वक्फ में नहीं कोई समुदाय

वक्फ बोर्ड में एक और ऐसा विवादास्पद पहलू देखने को मिलता है जो बहिष्कारणपूर्ण प्रकृति को दर्शाता है। वक्फ बोर्ड जो इन संपत्तियों के प्रबंधन की देखरेख करने का काम करता है। महिलाओं, आगा खानी और बोहरा समुदाय फैसला लिए जाने की प्रक्रिया में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं देता है। सुन्नी वक्फ बोर्ड में आगा खानी और बोहरा समुदाय के लोगों को इसमें शामिल होने का अधिकार नहीं है।

 

सरकार को मिल रहे लाखों ईमेल

वक्फ में सुधारों के प्रस्ताव के बाद देश भर के हिंदू संगठन भी एक्टिव हुए हैं और अपनी प्रतिक्रिया दे रहे है। सरकार को इस संबंध में लाखों ईमेल भेजे जा रहे है। इसमें वक्फ संशोधन विधेयक को आगे ले जाने की बात कही गई है। वक्फ प्रबंधन में जवाबदेही और पारदर्शिता को बढ़ावा देने की ओर इशारा करते है। कई हिंदू संगठनों ने वक्फ भूमि के दुरुपयोंग को रोकने के लिए नागरिकों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने की जरुरत पर जोर दिया है।

सरकार को इस संबंध में 10 हजार से अधिक ईमेल मिले है। इसके जरिए प्रस्ताविस सुधारों को मजबूत समर्थन दिए जाने के संकेत मिलते है। भारत में वक्फ पर बहस होना सिर्फ कानूनी मुद्दा नहीं है। देश में व्यापक राजनीतिक और धार्मिक गतिशीलता को भी दर्शाता है। मोदी सरकार द्वारा वक्फ संशोधन विधेयक पेश होने के बाद संस्था के दुरुपयोग को रोकने, पारदर्शिता सुनिश्चित करने और जनहित की रक्षा करने की दिशा में मजबूत कदम है। इस विधेयक का विरोध भी तेजी से हो रहा है। निष्पक्ष शासन के लिए भाजपा लगातार प्रतिबद्ध है। सभी समुदायों के लिए न्याय को भी बढ़ावा दिया जाता है। 

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