वीके सिंह ने HAL की क्षमता पर उठाए सवाल, कहा- विमान के हिस्से रनवे पर गिर रहे
उनका इशारा स्वीडन के हथियार निर्माता एबी बोफोर्स और भारत के बीच 1986 में हुए 1,437 करोड़ के सौदे की तरफ था जो भारतीय सेना को 155 एमएम की 400 होवित्जर तोपों की आपूर्ति के सिलसिले में हुआ था।
पुणे। विदेश राज्य मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वी के सिंह ने हिन्दुस्तान एअरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) की “क्षमता एवं स्थिति” पर बुधवार को सवाल उठाए। सिंह के ये सवाल कांग्रेस के दावे के बीच आए हैं कि मोदी सरकार ने राफेल करार में रक्षा क्षेत्र की पीएसयू को ऑफसेट अनुबंध देने से इनकार कर दिया था। यहां संवाददाताओं से बातचीत में मंत्री ने राफेल सौदे का यह कहते हुए बचाव किया कि भारतीय वायु सेना की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद जरूरी थी। उन्होंने कहा, “एचएएल की हालत देखें। हमारे दो पायलटों की जान चली गई। माफी चाहूंगा लेकिन एचएएल के कार्यक्रम साढ़े तीन साल पीछे चल रहे हैं..विमान के हिस्से रनवे पर गिर रहे हैं। क्या यह क्षमता है? वहीं दूसरी तरफ, हम कहते हैं कि एचएएल को काम (राफेल का) नहीं मिल रहा।”
MoS MEA, VK Singh in Pune: You've seen HAL right? Our two pilots died. Programme is running 3 & 1/2 years late, only 8th aircraft has been refurbished...all parts of aircraft fall off on the runway. Is that the capability? And then we say that HAL is not getting work. (13/2/19) pic.twitter.com/Z6E1SWSsuF
— ANI (@ANI) February 14, 2019
सिंह का इशारा एक फरवरी को बेंगलुरु में मिराज 2000 प्रशिक्षक विमान हादसे में हुई दो पायलटों की मौत की तरफ था। मोदी सरकार पर उद्योगपति अनिल अंबानी की कंपनी को राफेल सौदे में फायदा पहुंचाने के कांग्रेस के दावों पर पूर्व सेना प्रमुख ने कहा, “राफेल के मामले में फ्रांस ने ऑफसेट अनुबंध के लिए कंपनी चुनने का निर्णय लिया था। ऑफसेट का उद्देश्य उद्योग को यहां बढ़ावा देना था...अगर उनकी कंपनी एचएएल से संतुष्ट नहीं थी तो यह उनका फैसला था..यह भारत सरकार का फैसला नहीं है।”
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सिंह ने कहा कि विपक्ष राफेल मुद्दे को बोफोर्स सौदे के बराबर रखने की कोशिश कर रहा है। उनका इशारा स्वीडन के हथियार निर्माता एबी बोफोर्स और भारत के बीच 1986 में हुए 1,437 करोड़ के सौदे की तरफ था जो भारतीय सेना को 155 एमएम की 400 होवित्जर तोपों की आपूर्ति के सिलसिले में हुआ था। मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों को राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए।
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