विरल आचार्य के इस्तीफे पर बोले अर्थशास्त्री, इसमें कोई हैरानी की बात नहीं

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[email protected] । Jun 24 2019 8:19PM

एसबीआई रिसर्च के अर्थशास्त्रियों ने कहा कि आचार्य का पहले इस्तीफा देना हैरान करने वाला कदम नहीं है।

मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य द्वारा अपना कार्यकाल पूरा होने से छह महीने पहले इस्तीफा देने का कदम हैरान करने वाला नहीं है और इससे बाजार प्रभावित नहीं होंगे। अर्थशास्त्रियों ने यह राय जताई है। आचार्य 20 जनवरी, 2017 को सबसे युवा डिप्टी गवर्नर बने थे। उनका कार्यकाल तीन साल का था, लेकिन उन्होंने ‘अपरिहार्य निजी कारणों’ से अपना कार्यकाल पूरा होने से कुछ सप्ताह पहले ही इस्तीफा दे दिया है। एसबीआई रिसर्च के अर्थशास्त्रियों ने कहा कि आचार्य का पहले इस्तीफा देना हैरान करने वाला कदम नहीं है। बाजार तो दिसंबर, 2018 में उर्जित पटेल के रिजर्व बैंक के गवर्नर पद से इस्तीफा देने के कुछ मिनट बाद ही इसकी उम्मीद कर रहा था।

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अर्थशास्त्रियों ने कहा कि हालांकि, यह खबर दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन इससे बाजार प्रभावित नहीं होंगे। जापान की ब्रोकरेज कंपनी नोमूरा ने कहा कि आचार्य का पद छोड़ना पूरी तरह हैरान नहीं करता है। उनके और सरकार के बीच केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता को लेकर छिड़ा विवाद खुलकर सामने आया था। 26 अक्टूबर, 2018 को उन्होंने ‘स्वतंत्र नियामकीय संस्थानों का महत्व-केंद्रीय बैंक का मामला’ विषय भाषण दिया था। नोमूरा की रिपोर्ट में कहा गया है कि आचार्य के इस्तीफे के बाद मौद्रिक नीति समिति अधिक नरम रुख अख्तियार कर सकेगी क्योंकि आचार्य को सख्त रुख के लिए जाना जाता है। 

एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने कहा कि आचार्य के समय से पहले इस्तीफा देने से यहां वहां कुछ आवाजें उठेंगी, जैसा कि रघुराम राजन द्वारा गवर्नर पद से इस्तीफा देने की घोषणा के बाद हुआ था। एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि 1983 से मूल्य स्थिरता को लेकर रिजर्व बैंक के इतिहास का विश्लेषण करने से पता चलता है कि सभी गवर्नर मूल्य स्थिरता को सबसे अधिक महत्व देते रहे हैं। 

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इस बीच आल इंडिया रिजर्व बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन ने आचार्य के इस्तीफे पर खेद जताते हुए कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके स्थान पर बेशक राजनीतिक नियुक्ति हो लेकिन इस पर आने वाले व्यक्ति प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री हो। एसोसिएशन ने कहा कि केंद्रीय बैंक के गवर्नर और डिप्टी गवर्नरों की नियुक्ति उनके राजनीतिक संबंध नहीं बल्कि योग्यता के आधार पर होनी चाहिए। 

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