विजयवर्गीय ने दो करोड़ संक्रमितों का अपमान किया, घुटना टेककर देश से क्षमायाचना करें -भूपेन्द्र गुप्ता
दिनेश शुक्ल । Apr 22 2021 6:50AM
गुप्ता ने यह भी सवाल पूछा कि अगर झूठ से भी बड़ा कोई पाप होता हो तो बतायें कि इस बीमारी से शिवलोक गामी हुए उनकी सरकार के मंत्रियों ने ऐसा क्या अपराध किया था कि उन्हें कोरोना हुआ। विजयवर्गीय ने ऐसा कहकर उन तमाम लोगों का अपमान किया है जिनकी सरकार की गफलत के चलते कोरोना से मृत्यू हुई है।
भोपाल। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी में मीडिया उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने कहा है कि भाजपा के महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कोरोना ग्रसित राहुल गांधी जी को "झूठ बोलने का परिणाम" बताकर अपने अहंकारी होने का परिचय दिया है। ऐसा बोलकर उन्होने अपने घमंड को तुष्ट किया है। दंभ से आदमी फूल तो सकता है, फल नहीं सकता। जिसने भी इस तरह की अभिमानपूर्ण और मिथ्या बात की है उसका पतन निश्चित है।
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गुप्ता ने इस बयान को आसुरी बयान बताते हुए कहा कि भाजपा सरकार के सर्वशक्तिमान अमित शाह, नितिन गडकरी, प्रहलाद पटेल, धर्मेंद्र प्रधान, गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन राम मेघवाल, श्रीपद नायक, कैलाश चौधरी, बनवारीलाल पुरोहित, शिवराज सिंह चौहान, कमल रानी बनोद, स्वतंत्र देव सिंह, बीसी पाटील, सीटी रवि, येदुरप्पा, आनंद सिंह, तुलसी सिलावट, जय प्रताप सिंह आदि क्या कोरोना संक्रमित इसलिये हुये कि वे लगातार झूठ बोल रहे थे। कैलाश विजयवर्गीय क्या यही कहना चाहते हैं?उनके अनुसार क्या ये सभी लोग झूठ का पुलिंदा हैं।
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कांग्रेस मीडिया उपाध्यक्ष भूपेन्द्र गुप्ता ने यह भी सवाल पूछा कि अगर झूठ से भी बड़ा कोई पाप होता हो तो बतायें कि इस बीमारी से शिवलोक गामी हुए उनकी सरकार के मंत्रियों ने ऐसा क्या अपराध किया था कि उन्हें कोरोना हुआ। विजयवर्गीय ने ऐसा कहकर उन तमाम लोगों का अपमान किया है, जिनकी सरकार की गफलत के चलते कोरोना से मृत्यू हुई है।उनमें अगर थोड़ी सी भी शरम बाकी हो तो उन्हें अपने इस अहंकारी बोल के लिये देश की जनता के सामने घुटने टेककर क्षमा याचना करना चाहिये।
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उन्होंने कहा कि सत्ता का मद जब सिर चढ़कर बोलने लगता है और जब व्यक्ति बीमारों का उपहास उड़ाने लगता है तब दिव्य शक्तियां रोती हैं और आसुरी प्रवृत्तियों को नष्ट करती हैं।गुप्ता ने कहा प्रकृति सब देख रही है और दंभ का सर कुचलने की तैयारी कर रही है। जब लोगों को ईश्वर के श्री चरणों में प्रार्थना निवेदन करना चाहिए तब हुंकारें भरना सात्विक व्यक्तियों का कार्य नहीं है।
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