चारधाम यात्रा को लेकर उत्तराखंड सरकार ने HC के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका
सरकार ने कहा कि उच्च न्यायालय ने पाबंदियों के साथ चारधाम यात्रा आयोजित करने के 25 जून के मंत्रिमंडल के आदेश के हिस्से पर गलत तरीके से रोक लगाई, जिसमें तीन जिलों चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी में रहे लोगों को सीमित संख्या में तीर्थयात्री की अनुमति देने की बात कही गई थी।
नयी दिल्ली। उत्तराखंड सरकार ने चारधाम यात्रा पर रोक लगाने और एक जुलाई से तीन जिलों के निवासियों के लिये आंशिक रूप से इसे खोलने के राज्य मंत्रिमंडल के निर्णय को पलटने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ मंगलवार को उच्चतम न्यायालय का रुख किया। राज्य सरकार ने अपनी अपील में कहा कि उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने इस बात को स्वीकार नहीं करके गलत किया कि चारधाम के आसपास रहने वाली आबादी के महत्वपूर्ण हिस्से की आजीविका यात्रा पर निर्भर करती है। सरकार ने कहा कि उच्च न्यायालय ने पाबंदियों के साथ चारधाम यात्रा आयोजित करने के 25 जून के मंत्रिमंडल के आदेश के हिस्से पर गलत तरीके से रोक लगाई, जिसमें तीन जिलों चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी में रहे लोगों को सीमित संख्या में तीर्थयात्री की अनुमति देने की बात कही गई थी।
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उच्च न्यायालय ने 28 जून को राज्य सरकार के इस फैसले पर रोक लगाई थी। राज्य सरकार ने कहा फिलहाल (15 जून से 2 जुलाई के बीच) चमोली में कोरोना वायरस संक्रमण दर 0.64 प्रतिशत, रुद्रप्रयाग में 1.16 प्रतिशत और उत्तरकाशी में 0.75 प्रतिशत है। हिंदू देवताओं और नदियों को समर्पित चार पवित्र मंदिर - बद्रीनाथ धाम, केदारनाथ धाम, गंगोत्री धाम और यमुनोत्री धाम राज्य के गढ़वाल क्षेत्र में स्थित हैं और हर साल लाखों भक्त चारधाम यात्रा के दौरान इन मंदिरों में जाते हैं। यह यात्रा अप्रैल से नवंबर के बीच होती है।
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