उत्तर प्रदेश : हड़ताल समाप्त, उच्च न्यायालय और अधिकतर जिला अदालतों में अधिवक्ता काम पर लौटे
गौड़ ने कहा था, “हापुड़ में दोषी पुलिस अधिकारियों के निलंबन और आला पुलिस अधिकारियों के तबादले की मांग सरकार ने मान ली है। हमारी मांगे मान लिए जाने पर हम हड़ताल वापस ले रहे हैं।” वकीलों की हड़ताल से इलाहाबाद उच्च न्यायालय के साथ-साथ उत्तर प्रदेश की जिला अदालतों में भी न्यायिक कार्य प्रभावित हुआ।
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन और राज्य विधिज्ञ परिषद (बार काउंसिल) उत्तर प्रदेश ने बृहस्पतिवार रात को मुख्य सचिव से वार्ता के बाद हड़ताल वापस ले ली जिसके बाद शुक्रवार को करीब 15 दिन बाद अधिवक्ता काम पर लौट आये। हालांकि, हापुड़ में वकीलों पर लाठीचार्ज के लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों के स्थानांतरण/ निलंबन समेत अपनी मांगों को लेकर अधिवक्ताओं ने कार्य बहिष्कार जारी रखा। हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह ने ‘पीटीआई भाषा’ को बताया कि शुक्रवार सुबह प्रयागराज में हुई संगठन की बैठक में न्यायिक कार्य से विरत रहने का निर्णय सर्वसम्मति से वापस ले लिया गया।उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय में अधिवक्ताओं ने काम शुरू कर दिया है।
प्रयागराज, कानपुर, वाराणासी समेत कई जिलों में अधिवक्ता शुक्रवार से काम पर लौट आए हैं। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में भी वकीलों ने शुक्रवार से कार्य शुरू कर दिया। वहीं, बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के निर्णय को अनदेखा करते हुए हापुड़ बार एसोसिएशन ने 29 अगस्त को महिला अधिवक्ताओं के साथ कथित दुर्व्यवहार और लाठीचार्ज के विरोध स्वरूप हड़ताल जारी रखी है। हापुड़ में अधिवक्ताओं पर कथित लाठीचार्ज को लेकर उत्तर प्रदेश के वकील 30 अगस्त से हड़ताल पर थे। पुलिस ने 29 अगस्त को हापुड़ में वकीलों पर कथित तौर पर लाठीचार्ज किया था, जब वे एक महिला वकील और उसके पिता के खिलाफ मामला दर्ज करने का विरोध कर रहे थे।
महिला वकील और पुलिस के बीच टकराव उस समय हुआ था जब वह अपनी कार में गाजियाबाद जा रही थी। हापुड़ बार एसोसिएशन के सचिव नरेंद्र शर्मा ने कहा कि अधिवक्ताओं का उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। बार काउसिंल ने हापुड़ बार एसोसिएशन के पीडित अधिवक्ताओं को बिना विश्वास में लिये बीती रात मनमाने ढंग से आंदोलन समाप्ति का निर्णय पारित कर दिया। उन्होंने कहा कि राज्य विधिज्ञ परिषद (बार काउंसिल) उत्तर प्रदेश के इस निर्णय से समस्त अधिवक्ता समुदाय खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है। शर्मा ने कहा कि हापुड़ बार एसोसिएशन इससे सहमत नहीं है तथा प्रदेश स्तर पर बार एसोसिएशन द्वारा हमारे आंदोलन को निरन्तर सहयोग दिया जा रहा है।
अधिवक्ता प्रियंका त्यागी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि हड़ताल तब तक जारी रहेगी जब तक हमें सरकार द्वारा उन पुलिस वालों के खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में लिखित आश्वासन नहीं मिल जाता, जिन्होंने हापुड में वकीलों पर लाठीचार्ज का आदेश दिया था। त्यागी की कथित तौर पर एक पुलिसकर्मी के साथ बहस हुई थी, जिसके बाद हापुड़ अदालत परिसर में हाथापाई हुई और इसके परिणामस्वरूप वकीलों पर पुलिस ने कार्रवाई की। उन्होंने दावा किया, ‘‘ हड़ताल को समर्थन देने के लिए विभिन्न जिलों से अधिवक्ता हापुड़ पहुंच रहे हैं। ’’ कानपुर में ‘लायर्स एसोसिएशन’ के महासचिव शरद शुक्ला ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि वकील काम पर लौट आये हैं। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पिछले दो सप्ताह से हड़ताल पर रहे वकीलों की सभी मांगें स्वीकार करने के बाद ही विधिक कार्य फिर से शुरू किया गया।
वाराणसी सेंट्रल बार के महासचिव शशिकांत दुबे ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हमारी मांगों को पूरा करने के लिये दिये गये आश्वासन और आम जनता व अधिवक्ताओं के हित को ध्यान में रखते हुए हम आज से हड़ताल समाप्त कर रहे हैं। दुबे ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि सरकार हमारी मांगों को जल्द पूरा करेगी।’’ राज्य विधिज्ञ परिषद (बार काउंसिल) उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष शिव किशोर गौड़ ने बृहस्पतिवार रात ‘पीटीआई -भाषा’ को बताया था, “मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र के साथ वार्ता बहुत सकारात्मक रही। उन्होंने आश्वासन दिया है कि आंदोलन के दौरान प्रदेशभर में अधिवक्ताओं के खिलाफ जो मुकदमे दर्ज हुए, उन्हें समाप्त किया जाएगा।”गौड़ ने कहा था, “हापुड़ में दोषी पुलिस अधिकारियों के निलंबन और आला पुलिस अधिकारियों के तबादले की मांग सरकार ने मान ली है। हमारी मांगे मान लिए जाने पर हम हड़ताल वापस ले रहे हैं।” वकीलों की हड़ताल से इलाहाबाद उच्च न्यायालय के साथ-साथ उत्तर प्रदेश की जिला अदालतों में भी न्यायिक कार्य प्रभावित हुआ।
अन्य न्यूज़