कोरोना विपदा पर विजय के साथ ही बढ़ रहा है संघकार्य, 90 प्रतिशत शाखाएं फिर प्रारंभ

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दिनेश शुक्ल । Mar 22 2021 11:42PM

मध्यभारत प्रांत में भी कोरोना संक्रमण संबंधी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए लगभग 89 प्रतिशत प्रत्यक्ष शाखाएं प्रारंभ हो गई हैं। कोरोना से छोटे बच्चों की शिक्षा प्रभावित न हो इसके लिए प्रांत में 2,044 स्थानों पर 15 हजार से अधिक स्वयंसेवकों ने अभिनव प्रकल्प ‘बालगोकुलम’ का संचालन किया।

भोपाल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में वर्षभर के संघ कार्य का सिंहावलोकन किया गया और आगामी वर्ष की योजना पर निर्णय हुए। वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण पिछले वर्ष मार्च से जून तक प्रत्यक्ष शाखाएं नहीं लगीं लेकिन संघकार्य चलता रहा। स्वयंसेवकों ने तकनीक का उपयोग कर ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं बौद्धिक आयोजन किए। इसके साथ ही कोरोना महामारी के कारण निर्मित आपदा में समाज की सहायता के लिए देश भर में स्वयंसेवक सक्रिय हो गए। स्वयंसेवकों ने बड़े स्तर पर राशन, दवा एवं अन्य आवश्यक सामग्री का वितरण किया। नागरिकों का जीवन बचाने के लिए बड़े स्तर पर रक्तदान किया। इस कठिनतम समय में स्वयंसेवकों ने अपने कार्य के साथ बड़े पैमाने पर समाज को जोड़ा है, जिसका लाभ हमें कोरोना संक्रमण के विरुद्ध चलने वाली लड़ाई में मिला है।

 

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कोरोना संक्रमण के कारण संघ की जो शाखाएं स्थगित हुई थीं, वे जुलाई-2020 से पुनः प्रारंभ हो गईं हैं। आज की स्थिति में शाखा कार्य लगभग पूर्व की स्थिति में आ गया है। देशभर में लगभग 90 प्रतिशत शाखाएं प्रारंभ हो गई हैं। मार्च-2020 में 38 हजार 913 स्थानों पर 62 हजार 477 शाखाएं एवं लगभग 29 हजार साप्ताहिक मिलन चल रहे थे। मार्च-2021 की स्थिति में 34 हजार 569 स्थानों पर 55 हजार 652 शाखाएं और लगभग 26 हजार साप्ताहिक मिलन प्रारंभ हो चुके हैं। इस तरह देखें तो प्रत्यक्ष संघकार्य फिर से अपनी गति प्राप्त कर चुका है। स्वयंसेवकों की शारीरिक एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए लगभग सभी प्रांतों में आभासी तकनीक के सहयोग से योग, आसन, नियुद्ध एवं दंड प्रयोग की विभिन्न प्रतियोगिताएं एवं गतिविधियां सम्पन्न हुईं। कोरोना काल में स्वयंसेवकों ने देशभर में सेवाभारती के माध्यम से 92 हजार 656 स्थानों पर सेवा कार्य किए, इसमें 5 लाख 60 हजार से अधिक कार्यकर्ता सक्रिय रहे।  

 

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कोरोना संकट के कारण संघ की प्रत्यक्ष शाखाएं तो स्थगित थीं लेकिन उस दौरान भी ई-माध्यमों का उपयोग करते हुए निरंतर बौद्धिक प्रबोधन के कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. देशभर में कूल 24,077 प्रबोधन कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिनमें 10,36,394 लोगों की उपस्तिथि रही। प्रशिक्षणात्मक प्रबोधन के 1,949 कार्यक्रमों में 54,455 उपस्तिथि रही। विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं (भाषण, प्रश्नमंच, सामान्य ज्ञान, संघ गीत) में 700 स्थानों पर 1,79,660 प्रतियोगी सहभागी हुए. मानचित्र परिचय, कथा, समाचार समीक्षा, गीत और प्रार्थना से सम्बंधित कार्यक्रमों का शाखा स्तर पर क्रियान्वयन किया गया। शाखा एवं सेवा भारती द्वारा 40,096 सेवा कार्यों का नियमित सञ्चालन किया जा रहा है। 

 

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कोरोना काल में 92,656 सेवा स्थानों पर 5,07,656 कार्यकर्ताओं द्वारा 73,81,802 परिवारों तक राशन किट. 4,66,34,730 भोजन के पैकेट, 89,23,131 मास्क और 59,91,570 आयुर्वेदिक काढ़ा का वितरण किया गया। 1,91,661 अस्थाई निवास, 19,42,179 लोगों को वाहन  सुविधा उपलब्ध करवाई गयी एवं 60,259 यूनिट रक्तदान स्वयंसेवकों द्वारा किया गया। 2,67,675 घुमंतू जन सहायता के कार्यक्रम संचालित किये गए। इसके साथ हीं प्रवासी मजदूरों को मार्ग में 1,778 स्थानों पर 44,86,558 भोजन के पैकेट उपलब्ध करवाए गए। 483 स्थानों पर मेडिकल सहायता केंद्र लगाकर 1,45,159 लोगों तक सहायता पहुंचाई एवं 9,18,358 लोगों को वाहन आदि की सहायता दी गयी।

 

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पुणे में स्वंयसेवकों द्वारा संचालित कोविड सेंटर की सराहना सब दूर हुई। ‘समर्थ भारत पुनर्बांधानी’ योजना के अंतर्गत पुणे के गरवारे महाविद्यालय के छात्रावास में 237 बिस्तर की सुविधा वाला कोविड सेंटर चलाया गया। यहाँ लगभग 1600 कोरोना मरीज ठीक हुए। 200 से अधिक युवतियों एवं युवकों ने यहाँ सहयोग किया। कोरोना महामारी में इस तरह के कार्यों से संघ के प्रति समाज का विश्वास और बढ़ा। नगरीय क्षेत्रों के साथ ही गाँवों में भी संघ का कार्य विस्तार हुआ है। लगभग 4000 गाँवों में गौ आधारित पारंपरिक कृषि, समरसता युक्त जीवन, समान जल स्रोत, सभी के लिए एक श्मशान और मंदिर में सबको प्रवेश आदि उपक्रमों के माध्यम से ग्रामों के परिवर्तन का स्वरूप देखा जा रहा है। लगभग 2500 गाँवों में 20 हजार कोरोना योद्धाओं का सम्मान किया गया।

 

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कोरोना वातावरण के चलते गत वर्ष सामाजिक समरसता, कुटुम्ब प्रबोधन और पर्यावरण को लेकर विशेष कार्य हुए हैं। समरसता के लिए प्रयास करने वाले महापुरुषों के जीवन परिचय एवं कार्य को समाज तक पहुँचाने का प्रयास किया गया। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर ऑनलाइन कार्यक्रम में 65 हजार परिवारों ने सहभागिता की। कोरोना संकट को देखते हुए परिवार शाखाओं का आयोजन किया गया, जिनमें बड़ी संख्या में स्वयंसेवकों ने सपरिवार प्रार्थना की। पर्यावरण गतिविधियों के संचालन के लिए देश भर में रचना खड़ी की जा चुकी है।

  

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श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र के आह्वान पर स्वयंसेवकों ने निधि समर्पण का अभियान चलाया। समाज ने अभियान का अभूतपूर्व स्वागत किया। स्वयंसेवकों का उद्देश्य अधिकतम परिवारों तक पहुंचने का लक्ष्य था। अभियान के तहत कार्यकर्ता देष भर में 5 लाख 45 हजार 737 स्थानों पर पहुंचे और 12 करोड़ 47 लाख 21 हजार परिवारों से संपर्क किया गया। देश में 20 लाख से अधिक कार्यकर्ता अभियान में लगे। मध्य भारत प्रान्त में 97 प्रतिशत नगरों के मोहल्ले एवं गाँवों में 88 प्रतिशत से अधिक परिवारों तक कार्यकर्ताओं ने संपर्क किया। इस संपर्क अभियान में मध्य भारत प्रान्त के 2,193 महिला और 28,348 पुरुष कार्यकर्ताओं के साथ 590 साधु-संतों ने भी अपना समय देकर के सहभागिता की।

 

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प्रतिनिधि सभा में दो महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए हैं। पहले प्रस्ताव में कहा गया कि श्रीराम जन्मभूमि पर सर्वोच्च न्यायालय का सर्वसम्मत निर्णय, तत्पश्चात् श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए सार्वजनिक न्यास ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र’ का गठन, अयोध्या में भव्य मंदिर के निर्माण कार्य को प्रारंभ करने हेतु किया गया अनुष्ठान एवं निधि समर्पण अभियान भारत के इतिहास का वह स्वर्णिम पृष्ठ बन गया है, जो आने वाली पीढियों को भी प्रेरणा देगा। इसके आधार पर ही वैभवसम्पन्न समर्थशाली भारत का मार्ग प्रस्थ होगा जो विश्व कल्याण की अपनी भूमिका का निर्वाह करेगा वहीं, दूसरे प्रस्ताव में कहा गया कि वैश्विक महामारी कोविड-19 की चुनौती के संदर्भ में भारतीय समाज के उल्लेखनीय, समन्वित एवं समग्र प्रयासों को संज्ञान में लेते हुए तथा इसके भीषण परिणामों के नियंत्रण हेतु समाज के प्रत्येक वर्ग द्वारा निभाई गई भूमिका के लिए उसका हार्दिक अभिनंदन किया गया है। इसमें कहा गया है कि  इस संकट से निबटने में भारत की भूमिका से पूरे विश्व में हमारी साख बढ़ी है। प्रस्ताव में ध्यान दिलाया गया है कि कोरोना के संकट से समाज अभी पूर्णतया मुक्त नहीं हुआ है। इसलिए संपूर्ण समाज से अपेक्षा है कि महामारी के उन्मूलन हेतु आवश्यक दिशानिर्देशों का कठोरतापूर्वक पालन करें।

 

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मध्यभारत प्रांत में भी कोरोना संक्रमण संबंधी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए लगभग 89 प्रतिशत प्रत्यक्ष शाखाएं प्रारंभ हो गई हैं। कोरोना से छोटे बच्चों की शिक्षा प्रभावित न हो इसके लिए प्रांत में 2,044 स्थानों पर 15 हजार से अधिक स्वयंसेवकों ने अभिनव प्रकल्प ‘बालगोकुलम’ का संचालन किया। इसके अतिरिक्त स्वयंसेवकों के प्रशिक्षण के लिए विभिन्न विषयों को लेकर ऑनलाइन वर्ग आयोजित किए गए।

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