Jammu Kashmir Government Scheme: उम्मीद योजना से मिलेगी महिलाओं के सपनों को उड़ान, जानिए इस योजना के बारे में
भारत सरकार के स्टेट रूरल लाइवलीहुड मिशन (SRLM) द्वारा उम्मीद योजना शुरू की गई है। जिसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है। इस योजना के जरिए महिलाओं को अच्छे समय के लिए मजबूत बनाना है।
जम्मू और कश्मीर में सैकड़ों महिलाओं को गरीबी से बाहर निकालने के लिए भारत सरकार की तरफ से एक योजना चलाई गई है। भारत सरकार के स्टेट रूरल लाइवलीहुड मिशन (SRLM) द्वारा यह योजना शुरू की गई है। इस योजना का नाम 'उम्मीद योजना' है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है। इस योजना के जरिए महिलाओं को स्वयं सहायता समूह बनाने और फिर उनको वित्तीय सहायता देकर सशक्त बनाने पर केंद्रित है।
उम्मीद योजना
इस योजना को दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले की महिलाओं के लिए लागू किया गया है। इस योजना का खास मकसद महिलाओं को परिवार की आय में अहम योगदान देकर उनको आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है। इस योजना के जरिए महिलाओं को अच्छे समय के लिए मजबूत बनाया जाएगा, जिससे कि उनकी आशाएं और उम्मीदें दोनों बढ़ सकें। उम्मीद योजना के तहत 80,000 रुपए का अनुदान प्रदान किया जाता है, जिसको पूंजीकरण राशि के तौर पर भी जाना जाता है।
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बता दें कि इससे बैंक लोन के लिए आवेदन करने में भी सहायता मिल रही है। जिसके माध्यम से महिलाएं अपने सपनों को पूरा करने के लिए उन्नति के रास्ते पर बढ़ रही हैं। इस योजना के जरिए मिलने वाला अनुदान तीन किस्तों में जारी किया जाता है। जिसमें पहली बार में 15,000, दूसरी बार में 40,000 और तीसरी बार में 25,000 रुपए दिए जाएंगे।
वहीं समूद के सदस्यों को हमेशा संयुक्त उद्यम शुरू करने की जरूरत नहीं है। उनको तमाम कारोबारों को ऑप्शन के तौर पर चुनने का अधिकार होता है। जिसके तहत महिलाओं को उनके अपने क्षेत्र में उपलब्ध विकल्पों के आधार पर व्यावसायिक हित की प्राथमिकता दी जाती है। जैसे उदाहरण के तौर पर वह अपनी दुकान चला सकती हैं, सूखे मेवे की इकाइयां शुरू कर सकती हैं और पोल्ट्री व भेड़ की इकाइयां स्थापित कर सकती हैं या फिर कांगड़ी कारोबार स्थापित कर सकती हैं।
पात्रता
उम्मीद योजना के लिए ग्रामीण महिलाएं पात्र हैं। इस योजना का लाभ लेने के लिए महिलाओं को 18 साल या उससे अधिक आयु का होना चाहिए और महिलाओं को SHG का सदस्य होना चाहिए। ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा इस योजना का क्रियान्वयन किया जाता है। राज्य सरकार और पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से इस योजना को लागू किया जाता है।
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