बाढ़ के खतरे के बीच उद्धव ठाकरे का ऐलान, NDRF की तर्ज पर महाराष्ट्र के हर जिले में गठित होगा राहत बल
महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में भारी बारिश के कहर के बीच मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने रविवार को कहा कि राज्य के सभी जिलों में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल(एनडीआरएफ) की तर्ज पर एक अलग राहत बल का गठन किया जाएगा और इसके साथ ही राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) को भी मजबूत किया जाएगा।
मुंबई। महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में भारी बारिश के कहर के बीच मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने रविवार को कहा कि राज्य के सभी जिलों में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल(एनडीआरएफ) की तर्ज पर एक अलग राहत बल का गठन किया जाएगा और इसके साथ ही राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) को भी मजबूत किया जाएगा। महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में बाढ़, भूस्खलन और वर्षाजनितअन्य घटनाओं में मरने वालों की संख्या रविवार को 113 पहुंच गई। राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक इन घटनाओं में करीब 100 लोगों के लापता होने की आशंका है। इन घटनाओं में अब तक 50 लोग घायल भी हुए हैं।
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मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने रविवार को कोंकण क्षेत्र के रत्नागिरी जिले में भीषण बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित चिपलून इलाके का दौरा किया।ठाकरे ने चिपलून में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘लगातार हो रही प्राकृतिक आपदाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य के सभी जिलों में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की तर्ज पर एक अलग राहत बल का गठन किया जाएगा। इसके अलावा बाढ़ प्रबंधन मशीनरी भी स्थापित की जाएगी।’’ उन्होंने स्थानीय प्रशासन को बाढ़ प्रभावित लोगों को भोजन, पानी और दवा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। ठाकरे ने यह भी कहा कि वह 27 जुलाई को अपना जन्मदिन नहीं मनाएंगे। उन्होंने लोगों से होर्डिंग नहीं लगाने अथवा व्यक्तिगत रूप से उनसे मिलने के लिए नहीं आने की भी अपील की।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 महामारी को ध्यान में रखते हुए उनके जन्मदिन के अवसर पर किसी प्रकार का कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाना चाहिए। ठाकरे ने लोगों से मुख्यमंत्री राहत कोष में दान देने का भी आग्रह किया। इस बीच, केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्री नारायण राणे ने भी बाढ़ प्रभावित चिपलून शहर का दौरा किया और स्थानीय प्रशासन को गैर-जिम्मेदार बताते हुए बाढ़ के प्रबंधन को लेकर मुख्यमंत्री की आलोचना भी की। राणे ने कहा, ‘‘राज्य में कोई मुख्यमंत्री अथवा प्रशासन नहीं है। राज्य सरकार ने बाढ़ के कारण विस्थापित लोगों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किए हैं।
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