उद्धव ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार को शीर्ष अदालत से विवादित क्षेत्रों को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के लिए कहना चाहिए
राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों द्वारा सीमा विवाद पर प्रस्ताव पारित किए जाने पर ठाकरे ने यहां संवाददाताओं से बातचीत करते हुए महाराष्ट्र सरकार को बधाई दी।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को कहा कि राज्य सरकार को उच्चतम न्यायालय से अनुरोध करना चाहिए कि जब तक महाराष्ट्र-कर्नाटक के बीच सीमा का मसला उसके पास लंबित है, तब तक सभी विवादित क्षेत्रों को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया जाए। राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों द्वारा सीमा विवाद पर प्रस्ताव पारित किए जाने पर ठाकरे ने यहां संवाददाताओं से बातचीत करते हुए महाराष्ट्र सरकार को बधाई दी। उन्होंने कहा, हम महाराष्ट्र के हित में हर उपाय का समर्थन करेंगे। दोनों सदनों ने सर्वसम्मति से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव को पारित कर दिया।
इस प्रस्ताव में कहा गया है कि सरकार865 मराठी भाषी गांवों को महाराष्ट्र में शामिल करने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ेगी। ये गांव फिलहाल कर्नाटक का हिस्सा हैं। दक्षिणी राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों में मराठी भाषी लोगों के लिए कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने के शिंदे सरकार के ऐलान पर ठाकरे ने पूछा कि क्या कर्नाटक सरकार इसकी अनुमति देगी?
क्योंकि वह तो महाराष्ट्र के नेताओं को वहां प्रवेश ही नहीं करने दे रही है। ठाकरे ने कहा कि जब उन्होंने मांग की कि कर्नाटक में बेलगावी जैसे विवादित क्षेत्रों को केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया जाए, तो महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि शीर्ष अदालत ने 2008 में इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा, “लेकिन अब वह स्थिति नहीं है जो 2008 में थी।” शिवसेना (यूबीटी) नेता ने कहा कि 2008 के बाद, कर्नाटक सरकार ने बेलगाम का नाम बदलकर बेलगावी कर दिया और इसे दूसरी राजधानी का दर्जा दे दिया और ये उच्चतम न्यायालय के 2008 के निर्देशों का उल्लंघन है।
ठाकरे ने कहा कि इसलिए, महाराष्ट्र सरकार को शीर्ष अदालत में एक नई रिट याचिका दायर करनी चाहिए और कानूनी समाधान लंबित होने तक विवादित क्षेत्र को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने की मांग करनी चाहिए। इस बीच, प्रदेश कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने कहा कि एकनाथ शिंदे सरकार कर्नाटक के सीमावर्ती क्षेत्रों में मराठी भाषी आबादी के साथ हो रहे अन्याय का प्रभावी ढंग से जवाब देने में विफल रही है। उन्होंने कहा कि विपक्ष ने फिर भी इस आबादी की भावनाओं को देखते हुए प्रस्ताव का समर्थन किया।
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