Tripura Election 2023: चुनाव प्रचार का आखिरी दिन, सीएम माणिक साहा कर रहे हैं डोर टू डोर कैंपेन
आखिरी दिन त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा डोर टो डोर कैंपेन कर रहे हैं। अपने कैंपेन के दौरान माणिक साहा ने कहा कि मैं घर-घर पहुंच रहा हूं, यहां के लोग 16 तारीख के इंतज़ार में बैठे हैं कि भाजपा को जीता कर भाजपा की सरकार फिर से बनाए।
त्रिपुरा में 16 फरवरी को विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे। त्रिपुरा में विधानसभा की 60 सीटें हैं। वर्तमान में भाजपा वहां सत्ता में है। सत्ता में वापसी को लेकर भाजपा जबरदस्त तरीके से मेहनत कर रही है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा के लिए राज्य में जबरदस्त तरीके से प्रचार भी किया है। इन सब के बीच चुनाव प्रचार का आज आखिरी दिन है। आखिरी दिन त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा डोर टो डोर कैंपेन कर रहे हैं। अपने कैंपेन के दौरान माणिक साहा ने कहा कि मैं घर-घर पहुंच रहा हूं, यहां के लोग 16 तारीख के इंतज़ार में बैठे हैं कि भाजपा को जीता कर भाजपा की सरकार फिर से बनाए।
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कांग्रेस-लेफ्ट पर वार करते हुए त्रिपुरा के मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष के पास लीडर कहां है? उनके पास गार्जियन कहां है, गार्जियन ही नहीं होगा तो परिवार कैसे चलेगा। उन्होंने कहा कि एक संरक्षक होना चाहिए। हम एक परिवार की पार्टी नहीं हैं। हमारे पास पीएम मोदी और अभिभावक हैं। वे (कांग्रेस-सीपीएम) केरल में लड़ते हैं और त्रिपुरा में दोस्ती करते हैं। उन्होंने कहा कि 35 वर्ष से त्रिपुरा में नशा सामग्री मिलती थी हमारी सरकार आने के बाद हमें इसका अंदाज़ा लगा लेकिन हमने जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाकर इसे ख़त्म किया और अभी भी कर रहे हैं। अपना हमला जारी रखते हुए उन्होंने कहा कि वे (राज्य में विपक्ष) कहते हैं कि भाजपा यहां सत्ता से बाहर हो जाएगी। मैं ठीक इसके विपरीत कहता हूं, तुम उन्हें सूक्ष्मदर्शी से भी नहीं देख सकोगे।
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इससे पहले न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बातचीत में माणिक साहा ने कहा था कि अगर एक ही पार्टी की सरकार होती है तो कुछ भी चीज़ मांगने में आसानी हो जाती है। उन्होंने कहा था कि मैंने पहले भी देखा था कि केंद्रीय मंत्रियों से मिलने में बहुत मुश्किल होती थी। अगर एक ही सरकार होगी तो समय भी तुरंत मिल जाता है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि ऐसा पहले कभी नहीं था और जनता इसको समझती भी है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कम्युनिस्ट (सरकार) को लोकतांत्रिक तरीके से हटाना भारत के इतिहास में ऐसा शायद पहली बार हुआ है। इस वजह से भी त्रिपुरा जरूरी है। इतने लोगों को अपने जीवन का बलिदान देना पड़ा और ऐसा फिर से न हो इसलिए हमारे पार्टी के नेता भी चिंतित रहते हैं।
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