Haryana के रण में उतरे से तीन खिलाड़ी, सिर्फ Vinesh Phogat को मिली सफलता, ये दोनों हारे
हरियाणा में पार्टी ने तीन खिलाड़ियों को चुनाव मैदान में उताराथा। हालांकि खेल के मैदान में अपना जलवा दिखाने वाले खिलाड़ी राजनीति के मैदान में कुछ खास उपलब्धि हासिल नहीं कर पाए। तीन में से सिर्फ एक खिलाड़ी को ही जीत मिली है। इसमें कांग्रेस उम्मीदवार विनेश फोगाट का नाम शामिल है, जो जीत का परचम लहरा सकी है।
विधानसभा चुनाव 2024 में हरियाणा और और जम्मू कश्मीर दोनों जगह के नतीजे सामने आ चुके हैं। हरियाणा में बीजेपी ने जीत हासिल की है। हरियाणा में पार्टी ने तीन खिलाड़ियों को चुनाव मैदान में उताराथा। हालांकि खेल के मैदान में अपना जलवा दिखाने वाले खिलाड़ी राजनीति के मैदान में कुछ खास उपलब्धि हासिल नहीं कर पाए। तीन में से सिर्फ एक खिलाड़ी को ही जीत मिली है। इसमें कांग्रेस उम्मीदवार विनेश फोगाट का नाम शामिल है, जो जीत का परचम लहरा सकी है। बीजेपी के उम्मीदवार और कबड्डी टीम के पूर्व कप्तान दीपक हुड्डा मेहम से मैदान में थे मगर जीत नहीं सके। कुश्ती की एक अनुभवी खिलाड़ी और एक मुखर आवाज के तौर पर सत्ता के खिलाफ खड़ी होने वाली विनेश फोगाट अब हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस की नवनिर्वाचित विधायक बन चुकी हैं।
इस चुनाव में विनेश को टक्कर देने के लिए डबल्यूडबल्यूई की पहलवान जुलाना में उनके सामने थी, मगर वो जीत का परचम नहीं लहरा सकी। आप पार्टी की टिकट पर मैदान में उतरी कविता रानी जमानत जब्त होने से भी नहीं बचा सकी। बता दें कि जुलाना में विनेश फोगाट को 65,080 वोट मिले थे। इस चुनाव में निकटतम प्रतिद्वंद्वी योगेश कुमार थे, जो 59065 वोट हासिल कर सके। विनेश को इस सीट से 6015 वोटों से जीत मिली है। वहीं कविता रानी इस चुनाव में 1280 वोट ही हासिल कर सकी और उनकी जमानत जब्त हुई। इस सीट पर तीसरे नंबर पर इंडियन नेशनल लोकदल के सुरेंद्र लाठेर रहे है, मगर जमानत बचाने में वो भी सफल नहीं हुए।
विनेश को ऐसे मिली जीत
तीस-वर्षीया फोगाट के लिए मतगणना की सुबह काफी मुश्किल रही, क्योंकि वह कई बार भाजपा के अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी योगेश कुमार से पिछड़ीं या बराबरी पर रहीं, लेकिन चरखी दादरी की इस छोटे कद की खिलाड़ी ने अंतत: जीत हासिल कर ही ली। यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह ऐसी विजय है जो लंबे समय तक उनके जेहन में ताजा रहेगी। जुलाना सीट पर जहां फोगाट चतुष्कोणीय मुकाबले में घिरी थीं, वहीं पार्टी की निगाहें 2005 के बाद से पहली बार इस सीट को हासिल करने पर टिकी थीं। यही नहीं, इस कड़े मुकाबले के बीच फोगाट की नजर राज्य में चुनाव जीतने वाली पहली महिला पहलवान बनने पर भी थी।
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