मायावती की धमकी के बाद झुकी कमलनाथ सरकार, दर्ज मुकदमे होंगे वापस
इससे पहले भी बसपा विधायक संजीव सिंह उर्फ संजू ने कहा था कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार को अन्य पार्टियों के विधायकों और निर्दिलयों के प्रति अधिक उदार होना चाहिए क्योंकि उनके समर्थन के कारण विधानसभा में उसे बहुमत मिला है।
आखिरकार मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार ने बसपा सुप्रीमों मायावती की एक धमकी के बाद अप्रैल 2018 में भारत बंद के दौरान दर्ज मुकदमें वापस लेने का फैसला कर दिया है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार बने अभी एक महीना भी नहीं हुआ है कि सरकार को समर्थन दे रही बहुजन समाज पार्टी ने समर्थन वापस लेने की धमकी देकर कमलनाथ सरकार को न केवल बैकफुट पर धकेल दिया, बल्कि केस वापस भी करावा लिए है। कमलनाथ सरकार को बसपा के दो विधायकों का समर्थन जरूर हासिल है। बसपा के समर्थन वापस लेने से कमलनाथ सरकार पर कोई खतरा भी नहीं आता,लेकिन राष्ट्रीय राजनीति और खासकर उत्तर प्रदेश की सियासत को ध्यान में रखकर कांग्रेस मायावती को नाखुश नहीं करना चाहती थी, इसीलिये मायावती की दबाव की रणनीति परवान चढ़ सकी।
Bahujan Samaj Party (BSP) in a press release: We demand that cases filed during the ‘Bharat band’ held on 2 April 2018 for SC/ST Act 1989 in Rajasthan & Madhya Pradesh be withdrawn. If these demands are not met, we'll reconsider our decision to give outside support to Congress. pic.twitter.com/KCEOmzwra9
— ANI (@ANI) December 31, 2018
गौरतलब हो 24 घंटे पहले ही बसपा अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने अप्रैल में एससी−एसटी के भारत बंद आंदोलन के दौरान दर्ज हुए मुकदमों की वापसी की मांग की थी,जिस पर आनन−फानन में कमलनाथ सरकार का फैसला भी आ गया। मायवती ने मुकदमें वापस कराने की धमकी देकर एक तीर से दो निशाने साधे हैं। मायावती ने मध्यप्रदेश और राजस्थान की कांग्रेसी सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर दलित और आदिवासी समाज पर दर्ज हुए मुकदमे वापस नहीं लिए तो फिर इन सरकारों को बाहर से समर्थन देने के मामले में दोबारा विचार करना पड़ सकता है। बहुजन समाज पार्टी का कहना था कि राजस्थान और मध्य प्रदेश में एससी−एसटी एक्ट 1989 के लिए 2 अप्रैल को आयोजित 'भारत बंद' के दौरान दर्ज किए गए मामलों को कांग्रेस सरकार तत्काल वापस ले। उन्होंने कहा था कि अगर मामलों को वापस नहीं लिया जाता है तो हमारा सरकार को समर्थन देना बेकार है। बसपा का कहना था कि हम कांग्रेस को बाहरी समर्थन देने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करेंगे।
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मायावती ने अपनी इस मांग से जहां कांग्रेस की घेरेबंदी की थी वहीं भाजपा को भी आरोपों से घेर दिया था। मायावती ने कहा था कि दलित और आदिवासी समाज ने एससी−एसटी कानून 1989 व सरकारी कर्मचारियों की प्रोन्नति में आरक्षण की पूर्ण बहाली की मांग को लेकर दो अप्रैल को आंदोलन किया और उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान समेत भाजपा शासित राज्यों में जातीय व राजनीतिक द्वेषवश निर्दोष लोगों को फंसाया गया था। उन्होंने केंद्र की भाजपा सरकार के विरुद्ध लोगों को प्रेरित किया और कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जबरन थोपे गए अनेक प्रकार के भयावह संकट को समाप्त करने के लिए सही सरकार का चयन करें। उन्होंने कहा कि नए वर्ष से पहले ही पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा के अहंकार को जनता ने तोड़ दिया है। इससे पहले भी बसपा विधायक संजीव सिंह उर्फ संजू ने कहा था कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार को अन्य पार्टियों के विधायकों और निर्दिलयों के प्रति अधिक उदार होना चाहिए क्योंकि उनके समर्थन के कारण विधानसभा में उसे बहुमत मिला है। राज्य में कांग्रेस सरकार और उसके नेतृत्व को बसपा के दो विधायकों के उनके प्रति अधिक संवेदनशील होना चाहिए। उनका सम्मान किया जाना चाहिए।
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