दिन-रात मानवाधिकार की दुहाई देने वालों ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार के मुद्दे पर चुप्पी क्यों साध ली है?

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ लेने वाले मोहम्मद यूनुस को शुभकामनाएं दीं हैं और देश में जल्द ही स्थिति सामान्य होने तथा हिंदुओं व अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित होने की उम्मीद जताई है।

बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हिंसा और अत्याचार की बातें वहां के अधिकारी स्वीकार तो कर रहे हैं लेकिन अब तक उन्होंने किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया है। कई हिंदू परिवारों ने बताया है कि जब दंगाई उनके घर में दंगा मचा रहे थे, उनकी बहन-बेटियों पर अत्याचार कर रहे थे तब सेना और पुलिस को कॉल किये गये लेकिन कोई मदद के लिए नहीं आगे आया। भारत में भी कांग्रेस पार्टी के कुछ नेता सरेआम बयान दे रहे हैं कि यहां भी बांग्लादेश जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। लेकिन एक बात सबको स्पष्ट रहनी चाहिए कि भारत जब तक हिंदू बहुल रहेगा तब तक यहां बांग्लादेश जैसी अशांति और जन विद्रोह की स्थिति पैदा नहीं होगी।

वैसे बांग्लादेश की स्थिति पर एक सवाल यह उठता है कि तमाम लोग जो गाजा में हो रहे हमलों को देखते हुए दिन-रात मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक हंगामा मचाये हुए थे उन्हें अचानक सांप क्यों सूंघ गया है? क्या उन्हें नहीं दिख रहा कि बांग्लादेश में बेटे के सामने मां का बलात्कार हो रहा है, पिता के सामने बेटी का बलात्कार हो रहा है, भाई के सामने बहन का बलात्कार हो रहा है, पति के सामने पत्नी का बलात्कार हो रहा है। इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय का कहना है कि तालीम और सोच नहीं बदली इसलिए दरिंदों ने जो कार्य 11वीं शताब्दी में किया वही कार्य वह 21वीं शताब्दी में भी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में कट्टरपंथी तत्वों की मौजूदगी के कारण हिंदुओं की दुकानें, कार्यालय, घर और मंदिर सुरक्षित नहीं हैं।

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इस बीच, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ लेने वाले मोहम्मद यूनुस को शुभकामनाएं दीं हैं और देश में जल्द ही स्थिति सामान्य होने तथा हिंदुओं व अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित होने की उम्मीद जताई है। प्रधानमंत्री के अलावा भारत से कई अन्य नेताओं ने भी मोहम्मद यूनुस को बधाई दी है लेकिन हिंदुओं की बात सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी ने ही की है। यही नहीं, खुद मोहम्मद यूनुस ने भी अपने देश के लोगों से शांति की अपील करते हुए अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कहा है। लेकिन ऐसा लगता है कि इस अपील का ज्यादा असर नहीं हो रहा है।

इस बीच, पश्चिम बंगाल के 50 से अधिक प्रख्यात लोगों ने बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन और नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को पत्र लिखकर उनसे समाज के सभी वर्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया है। पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में फिल्म निर्माता अपर्णा सेन, शिक्षाविद् पवित्रा सरकार और उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अशोक गांगुली शामिल हैं। पत्र में उन्होंने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों पर चिंता व्यक्त की। बांग्ला में लिखे पत्र में कहा गया है, “बांग्लादेश के लोग तय करेंगे कि देश में किस तरह का राजनीतिक और प्रशासनिक नेतृत्व आएगा, लेकिन हम वर्तमान प्रशासन और बांग्लादेश के आम लोगों, खासकर छात्र, जो आरक्षण विरोधी और भेदभाव विरोधी आंदोलन के माध्यम से यह परिवर्तन लेकर आये हैं, से अपील करते हैं कि वे प्रत्येक बांग्लादेशी नागरिक की सुरक्षा सुनिश्चित करें, चाहे उसका धर्म, राजनीतिक संबंध और पेशा कुछ भी हो।”

पत्र में कहा गया है, “हम बांग्लादेश के वर्तमान घटनाक्रम से बहुत चिंतित हैं... बांग्लादेश पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए सिर्फ स्थान के लिहाज से ही पड़ोसी देश नहीं है, बल्कि दिल से भी पड़ोसी है, क्योंकि हम भाषा, संस्कृति और इतिहास साझा करते हैं।” इन जानी-मानी हस्तियों ने कहा कि उन्होंने यह पत्र इसलिए लिखा है क्योंकि देश में उथल-पुथल मची हुई है और उनमें से कई लोगों को बिगड़ते हालात के बारे में दुनिया भर से बांग्लादेशी मित्रों के फोन आ रहे हैं। पत्र की एक प्रति कोलकाता स्थित बांग्लादेश के उप उच्चायोग को भी भेजी गई है।

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