लोकतंत्र में असहमति का अधिकार है, लेकिन लोकतांत्रिक मर्यादा में रहकर: नवीन पटनायक
पटनायक ने कहा कि नीतिनिर्माताओं को चाहिए कि वे सभी कानून और नीतियों को सार्वजनिक पटल पर रख दें ताकि लोग बदलाव की प्रक्रिया में असली भागीदार बन सकें।
भुवनेश्वर। उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने शुक्रवार को कहा कि विरोध करते समय किसी भी दशा में लोकतांत्रिक मर्यादा को नहीं छोड़ना चाहिए। लोकतंत्र में जनता ही असली मालिक है, इस बात पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि निर्वाचित प्रतिनिधियों को अपनी प्रत्येक पहल के केंद्र में आम आदमी को रखना चाहिए। पटनायक ने उड़ीसा विधानसभा द्वारा विधायकों के लिए आयोजित दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम के दौरान यह बात कही। कार्यक्रम का आयोजन लोकसभा सचिवालय के सहयोग से किया गया।
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— Naveen Patnaik (@Naveen_Odisha) September 12, 2019
पटनायक ने कहा, “लोकतांत्रिक असहमति एक अधिकार है। हालांकि, अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए विधायकों को लोकतांत्रिक मर्यादा नहीं भूलनी चाहिए।” उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी भी दशा में असहमति को लोकतांत्रिक मर्यादा के अनुरूप होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा, “हमारे सफल लोकतंत्र की जड़ हमारे लोगों में और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति उनके दृढ़विश्वास में है। लोकतंत्र में वे ही असली नायक हैं।” उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि प्रत्येक निर्वाचित प्रतिनिधि को इसे समझना ही चाहिए। आप किसी भी पद पर हों, लेकिन जनता ही सबसे बड़ी है। इसलिए निर्वाचित प्रतिनिधियों को अपनी प्रत्येक पहल के केंद्र में आम लोगों को रखना चाहिए।”
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उन्होंने आगे कहा कि विधाई प्रक्रिया से संबंधित सूचना और शिक्षा पाने की इच्छा और सामाजिक-आर्थिक मुद्दों और नीतियों की समझ होने से मदद मिलेगी। पटनायक ने कहा कि नीतिनिर्माताओं को चाहिए कि वे सभी कानून और नीतियों को सार्वजनिक पटल पर रख दें ताकि लोग बदलाव की प्रक्रिया में असली भागीदार बन सकें। उन्होंने कहा कि सदन में जन हित के मुद्दों को उठाना लोकतंत्र का बुनियादी नियम है और कोई भी लोकतंत्र की सीमा में रहकर ऐसा कर सकता है। साथ ही उन्होंने कहा कि व्यवहार में सरलता होनी चाहिए क्योंकि सरल जीवन जीने से लोगों से जुड़ने में मदद मिलती है।
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