जम्मू कश्मीर के राज्यपाल ने बड़े पैमाने पर फैलाई जा रही अफवाहों पर ध्यान नहीं देने की अपील की
जैश-ए-मोहम्मद के फिदायी आतंकवादी ने सीआरपीएफ के काफिले पर हमला कर दिया था जिसमें बल के 40 कर्मी शहीद हो गए थे।
जम्मू। जम्मू कश्मीर, खासतौर पर, घाटी में ‘युद्ध उन्माद’ को खत्म करने की कोशिश के तहत राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने रविवार को लेागों से शांत रहने और माहौल को खराब करने के लिए ‘बड़े पैमाने पर फैलाई जा रही’ अफवाहों पर यकीन नहीं करने की अपील की। मलिक ने यह भी स्पष्ट किया कि अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती को चुनाव कराने के संदर्भ में ही देखा जाए और इसे किसी अन्य कारण से नहीं जोड़ा जाए। राज्यपाल ने अपनी अपील में कहा, ‘‘लोग अफवाहों पर यकीन नहीं करें जो बेहद गंभीर प्रकृति की हैं और कुछ तबकों में बड़े पैमाने पर फैलाई जा रही हैं। वे शांत रहें। ये अफवाहें लोगों के दिमागों में बिना वजह का डर पैदा कर रही हैं जो तनाव और जनजीवन में खलल का कारण बन रही हैं। कर्फ्यू और अन्य कार्रवाइयों को लेकर अफवाहों पर यकीन नहीं करें।’’ उन्होंने कहा कि 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद ‘‘कुछ सुरक्षा संबंधी कार्रवाई’ जा रही हैं। जैश-ए-मोहम्मद के फिदायी आतंकवादी ने सीआरपीएफ के काफिले पर हमला कर दिया था जिसमें बल के 40 कर्मी शहीद हो गए थे।
J&K Raj Bhavan: Governor appealed to ppl that induction of forces be seen only in context of conducting elections. The Governor appealed to the people not to believe in rumours of any extreme nature which are circulating widely in some quarters and to remain calm. https://t.co/CUZpxnjX4n
— ANI (@ANI) February 24, 2019
उन्होंने कहा कि यह हमला अप्रत्याशित था। आतंकवादी समूह हमारे देश और इसकी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बाधित करने के लिए अब भी सक्रिय हैं। इसलिए सुरक्षा बलों की कार्रवाई इसके प्रभाव को खत्म करने और आतंकवादियों की आगे की हरकत का सामना करने के हिसाब से निर्देशित होती है। राज्य प्रशासन ने जल्द से जल्द राशन की आपूर्ति करने, डॉक्टरों और पुलिसकर्मियों की छुट्टियां रद्द करने आम लोगों के लिए पेट्रोल को नियंत्रित करने समेत कई आदेश जारी किए थे जिनसे युद्ध उन्माद जैसी स्थिति पैदा हो गई। इसके अलावा जमात-ए-इस्लामी काडर और अलगाववादियों की बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियों ने इन अफवाहों में योगदान दिया था। इन सब के बाद राज्यपाल का बयान आया है। कश्मीर घाटी में रात के वक्त भारतीय वायु ?सेना के विमानों के उड़ानें भरने से भी इन आशंकाओं को बल मिला। बहरहाल, वायुसेना ने कहा कि यह एक नियमित अभ्यास था। राज्य से बाहर रहने वाले कश्मीरियों की सुरक्षा के मुद्दे पर राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को देश से स्पष्ट कहा है कि कश्मीरियों के खिलाफ कोई लड़ाई नहीं है, लड़ाई कश्मीर के लिए है।
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मलिक ने कहा कि यह स्पष्ट संकेत देता है कि जम्मू कश्मीर के लोग न सिर्फ भारत का अभिन्न अंग हैं बल्कि उनकी सुरक्षा का ध्यान रखना देश की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा, ‘‘22,000 से ज्यादा कश्मीरी राज्य से बाहर पढ़ रहे और इन घटनाओं में घायल या चोटिल हुए छात्रों की संख्या एक अंक में भी नहीं हैं... बढ़ा-चढ़ा कर की गई रिपोर्टिंग ने कश्मीर घाटी में अनावश्यक प्रतिक्रियाओं को जन्म दिया है।’’ राज्यपाल ने कहा कि हर किसी के लिए यह जरूरी है कि वह डर-उन्माद से बचे और मामलों को बदतर नहीं करे। उन्होंने फिर से आश्वस्त किया कि जम्मू में रहने वाले सभी सरकारी कर्मचारी और उनके परिवारों की सुरक्षा अहम है। एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया किअपील से पहले, राज्यपाल ने राज्य प्रशासनिक परिषद की बैठक की अध्यक्षता की जो राज्य की मौजूदा स्थिति, खासतौर पर 14 फरवरी को पुलवामा में आतंकी हमले और उसके बाद के घटनाक्रम की, समीक्षा करने के लिए यहां बैठक बुलाई थी। बैठक में, मलिक को कुछ दिनों पहले जम्मू शहर से कर्फ्यू हटाने के बाद मौजूदा सुरक्षा स्थिति और हालात सामान्य होने के संबंध में जानकारी दी गई।
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प्रवक्ता ने बताया कि पुलवामा घटना के बाद, सुरक्षा संबंधी चिंताएं बहुत थी क्योंकि ऐसी आशंका थी कि आतंकी संगठन प्रत्याशियों और मतदाताओं के खिलाफ बड़े स्तर पर अपनी गतिविधियों को बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘आमतौर पर, बलों को चुनाव से एक महीने पहले ही तैनात किया जाता है ताकि वे जमीनी हालात से रू-ब-रू हो जाएं। इस संदर्भ में, इस क्षण राज्य में केंद्रीय बलों की 100 कंपनियां तैनात की जा रही हैं। ये अतिरिक्त बल वास्तविक जरूरत का आधा हैं तथा आने वाले दिनों में और बलों को तैनात किया जाएगा।’’प्रवक्ता ने बताया कि एसएसी को यह भी सूचित किया गया कि कश्मीर घाटी में पेट्रोलियम और अन्य उत्पादों की आपूर्ति काफी कम है।
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