Prabhasakshi NewsRoom: Adani-Hindenburg Case में SC ने सुनाया फैसला, SEBI की जाँच पर जताया संतोष, SIT के गठन से किया इंकार

Gautam Adani
ANI

जहां तक अदालत के फैसले की बात है तो उसने कहा है कि बाजार नियामक के कार्यक्षेत्र में प्रवेश करने की अदालत की शक्ति 'सीमित है'। अडाणी-हिंडनबर्ग मामले से जुड़ी याचिकाओं पर फैसला सुनाते समय उच्चतम न्यायालय ने कहा, 'सेबी को जांच को उसके तार्किक अंत तक ले जाना चाहिए'।

उच्चतम न्यायालय ने अडाणी समूह की कंपनियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों की बाजार नियामक सेबी द्वारा की जा रही जांच का समर्थन किया है और साथ ही सेबी की जांच में दखल देने से इंकार कर दिया है। अदालत का फैसला उन लोगों के लिए बहुत बड़ा झटका है जो उद्योग समूह के खिलाफ तमाम तरह के आरोप लगा रहे थे और मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहे थे। अदालत के फैसले की बड़ी बातों पर गौर करें तो सुप्रीम कोर्ट ने सेबी की जांच पर संतोष जताया है। 22 मामलों की चल रही जांच में से बाकी बचे दो मामलों की जांच के लिए तीन महीने का समय दिया है। साथ ही अडाणी-हिंडनबर्ग मामले की एसआईटी जांच का आदेश देने से साफ इंकार कर दिया है। 

अदालत के आदेश के बाद विपक्षी दलों से सवाल है कि क्या अब वह माफी मांगेंगे? हम आपको याद दिला दें कि अडाणी-हिंडनबर्ग मामले को लेकर विपक्ष ने लगातार जिस तरह हो-हल्ला किया, देश में उद्योगों के खिलाफ माहौल बनाया, शेयर बाजारों में भय का माहौल बनाया, सरकारी बैंकों और एलआईसी के खाता और पॉलिसी धारकों को डराया और संसद का पिछला बजट सत्र नहीं चलने दिया और प्रधानमंत्री मोदी तथा उद्योगपति गौतम अडाणी के संबंधों को लेकर तमाम तरह के अमर्यादित कटाक्ष किये और जनता के बीच भ्रम फैलाया उस सबसे देश में नकारात्मक माहौल बना था।

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जहां तक अदालत के फैसले की बात है तो उसने कहा है कि बाजार नियामक के कार्यक्षेत्र में प्रवेश करने की अदालत की शक्ति "सीमित है"। अडाणी-हिंडनबर्ग मामले से जुड़ी याचिकाओं पर फैसला सुनाते समय उच्चतम न्यायालय ने कहा, “सेबी को जांच को उसके तार्किक अंत तक ले जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि सेबी ने 22 में से 20 मामलों में जांच पूरी कर ली है। सॉलिसिटर जनरल के आश्वासन को ध्यान में रखते हुए हम सेबी को निर्देश देते हैं कि वह अन्य दो मामलों में तीन महीने के भीतर जांच पूरी करे। अडाणी-हिंडनबर्ग विवाद में उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा कि मामले के तथ्यों को देखकर ऐसा नहीं लगता कि जांच विशेष जांच दल या अन्य एजेंसियों को सौंपी जानी चाहिए। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विशेषज्ञ समिति के सदस्यों के हितों के टकराव के आरोप निराधार हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और SEBI को नियामक ढांचे को मजबूत करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति की सिफारिश पर विचार करने को भी कहा है। 

हम आपको याद दिला दें कि प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने 24 नवंबर को याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा था कि शेयर बाजार नियामक सेबी को "बदनाम" करने का उसके पास कोई कारण नहीं है। सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि बाजार नियामक ने जो किया है, उस पर संदेह के लिए उसके सामने कोई सामग्री नहीं है।

उल्लेखनीय है कि अडाणी समूह पर आरोप है कि उसके द्वारा शेयर मूल्यों में हेराफेरी की गई है। इसको देखते हुए पिछले साल मार्च में शीर्ष अदालत ने अडाणी समूह के संबंध में प्रतिभूति बाजार से संबंधित कानूनों के कथित उल्लंघन से निपटने में नियामक विफलता हुई थी या नहीं, इसकी जांच के लिए छह सदस्यीय समिति का गठन किया था। अदालत ने सेबी से यह जांच करने के लिए भी कहा था कि क्या पब्लिक लिमिटेड फर्मों में न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता मानदंडों का उल्लंघन हुआ है?

हम आपको यह भी याद दिला दें कि पिछले साल की शुरुआत में हिंडनबर्ग विवाद से अडाणी समूह को काफी नुकसान हुआ था लेकिन उद्योगपति गौतम अडाणी के नेतृत्व वाले समूह ने बाद में जोरदार वापसी की। रिपोर्टों के मुताबिक अरबपति कारोबारी गौतम अडाणी के समूह ने पिछले साल इक्विटी से पांच अरब अमेरिकी डॉलर (41,500 करोड़ रुपये) जुटाए और करीब इससे दोगुनी राशि बांड के जरिए हासिल की। अमेरिकी शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में समूह पर लगाए गए गंभीर आरोपों से उबरते हुए अडाणी ने निवेशकों का भरोसा साबित किया। अडाणी 2023 की शुरुआत में दुनिया के दूसरे सबसे अमीर आदमी थे, हालांकि 24 जनवरी को आई हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में उन पर आरोप लगाए जाने के बाद उनकी निजी संपत्ति लगभग 60 अरब डॉलर घट गई थी।

हम आपको बता दें कि अडाणी समूह ने सभी आरोपों से इंकार किया और अपनी रणनीति पर काम करते हुए वापसी की। अडाणी एक साल पहले अपनी संपत्ति से करीब 36 अरब अमेरिकी डॉलर पीछे हैं। वह अपने प्रतिद्वंद्वी अरबपति मुकेश अंबानी से 12 अरब अमेरिकी डॉलर पीछे हैं।

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