सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को लगाई फटकार, भाजपा और कांग्रेस ने न्यायालय को दिया धन्यवाद
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने कोरोना वायरस के मरीजों के “खराब” उपचार उपलब्ध कराने के लिए और शवों का अमानवीय तरीके से निस्तारण करने के लिए दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है। गुप्ता ने कहा, “मैं उच्चतम न्यायालय को धन्यवाद देता हूं कि उसने दिल्ली के लोगों के स्वास्थ्य के मामले का स्वतः संज्ञान लिया।
नयी दिल्ली। दिल्ली में विपक्षी दलों भाजपा और कांग्रेस ने कोविड-19 की स्थिति से निपटने में आम आदमी पार्टी सरकार के “विफल” रहने पर उसे “आईना दिखाने” के लिए उच्चतम न्यायालय को शुक्रवार को धन्यवाद दिया। न्यायालय ने दिल्ली के अस्पतालों की स्थिति को शुक्रवार को भयावह बताया और मरीजों के उपचार और शवों के निस्तारण पर स्वतः संज्ञान लेते हुए केंद्र और अन्य राज्यों से जवाब मांगा। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह ने कोविड-19 की कम जांच कराने के लिए दिल्ली सरकार से भी जवाब तलब किया और पूछा कि एक दिन में जांच की संख्या सात हजार से घटकर पांच हजार क्यों हो गई। इसका जवाब देते हुए दिल्ली सरकार ने कहा कि वह न्यायालय की टिप्पणी को स्वीकार करती है और राज्य सरकार कोविड-19 के प्रत्येक मरीज को सर्वोत्तम उपचार उपलब्ध कराएगी।
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दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने कोरोना वायरस के मरीजों के “खराब” उपचार उपलब्ध कराने के लिए और शवों का अमानवीय तरीके से निस्तारण करने के लिए दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है। गुप्ता ने कहा, “मैं उच्चतम न्यायालय को धन्यवाद देता हूं कि उसने दिल्ली के लोगों के स्वास्थ्य के मामले का स्वतः संज्ञान लिया। एक जिम्मेदार विपक्ष होने के नाते दिल्ली भाजपा ने राज्य सरकार को स्वास्थ्य सेवा की कमियों में सुधार के लिए हमेशा सुझाव दिए लेकिन उसे राजनीतिक रंग देने की कोशिश की गई।” दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अनिल कुमार ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने राज्य सरकार से पूछा है कि कोरोना वायरस की जांच में कमी क्यों आई, यह ऐसा मुद्दा है जो कांग्रेस हमेशा से उठाती रही है। कुमार ने कहा, “उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देश ने केजरीवाल सरकार को आईना दिखाया है। यह सरकार कोरोना वायरस के मरीजों की जांच करने से पीछे हट रही थी।” उन्होंने कहा, “राजधानी में महामारी की सटीक स्थिति का पता लगाने के लिए जांच का दायरा बढ़ाने की बजाय दिल्ली सरकार जांच सुविधाओं को ही कम कर रही है।
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