नामों को लंबित रखना मंजूर नहीं, जजों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट की केंद्र को फटकार
जस्टिस एस के कौल और ए एस ओका की पीठ ने बार और बेंच के हवाले से कहा कि नामों को होल्ड पर रखना स्वीकार्य नहीं है। यह इन व्यक्तियों को अपना नाम वापस लेने के लिए मजबूर करने के लिए एक तरह का उपकरण बन रहा है, जैसा कि हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर केंद्र और सुप्रीम कोर्ट आमने सामने हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम की सिफारिश के बावजूद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति न करने को लेकर केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केंद्र द्वारा नामों को लंबित रखना मंजूर नहीं है। सरकार न तो नामों की नियुक्ति करती है और न ही अपनी आपत्ति के बारे में बताती है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे "अस्वीकार्य" करार देते हुए केंद्र द्वारा उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए अनुशंसित नामों को लंबित रखने पर नाराजगी व्यक्त की।
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जस्टिस एस के कौल और ए एस ओका की पीठ ने बार और बेंच के हवाले से कहा कि नामों को होल्ड पर रखना स्वीकार्य नहीं है। यह इन व्यक्तियों को अपना नाम वापस लेने के लिए मजबूर करने के लिए एक तरह का उपकरण बन रहा है, जैसा कि हुआ है। एडवोकेट्स एसोसिएशन बेंगलुरु ने उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के साथ-साथ कॉलेजियम द्वारा प्रस्तावित जजों के नाम को मंजूरी देने में केंद्र में देरी को चुनैती देते हुए याचिका दायर की थी।
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पिछले साल अप्रैल के अपने आदेश में, शीर्ष अदालत ने कहा था कि अगर कॉलेजियम सर्वसम्मति से अपनी सिफारिशों को दोहराता है तो केंद्र को तीन-चार सप्ताह के भीतर न्यायाधीशों की नियुक्ति करनी चाहिए। इस बीच, पीठ ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 28 नवंबर की तारीख तय की है।
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