UP के बाद अब बंगाल बनेगा बीजेपी के राजनीति की नर्सरी, सुनील बंसल ने प्रभार संभालते ही प्रशिक्षण शिविर के जरिये निर्धारित किया लक्ष्य
सुनील बसंल को 2014 में भारी जीत में अहम भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है। जिसके बाद अब बीजेपी आलाकमान की तरफ से बसंल को मंद पड़े प्रदेश ईकाई को वापस फाइट मोड में लाने के लिए बंगाल लाया गया है।
भाजपा के पूर्व संघठन महामंत्री सुनील बसंल को पश्चिम बंगाल, ओडिशा और तेलंगाना के प्रभारी बनाया गया। जिसके बाद से ही वो फुल एक्शन मोड में दिख रहे हैं। सुनील बंसल द्वारा आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर के बाद भाजपा भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर तृणमूल कांग्रेस पर दबाव में लग गई है। पार्टी नेताओं का कहना है कि शिविर में सड़कों पर उतरने का संदेश प्राप्त हुआ। बीजेपी के काडर और कार्यकर्ताओं को जमीन पर उतरकर विशेष रूप से गिरफ्तार वरिष्ठ टीएमसी नेताओं पार्थ चटर्जी और अनुब्रत मंडल के मामले को उजागर करने के निर्देश दिए गए हैं। विपक्ष के लिए बंजर बने उत्तर प्रदेश को बीजेपी के लिए राजनीतिक नर्सरी बनाने वाले सुनील बसंल को 2014 में भारी जीत में अहम भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है। जिसके बाद अब बीजेपी आलाकमान की तरफ से बसंल को मंद पड़े प्रदेश ईकाई को वापस फाइट मोड में लाने के लिए बंगाल लाया गया है।
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चूंकि 2020 के विधानसभा चुनावों में टीएमसी की तरफ से किए गए कई वादों को वो पूरा करने में कामयाब नहीं हो पाई है। ऐसे में भाजपा राज्य में अपने लिए संभावनाएं तलाश रही है। कई शीर्ष नेताओं ने पार्टी का दामन बीते दिनों छोड़ दिया है और जमीनी कार्यकर्ताओं ने टीएमसी के डर से पार्टी छोड़े जाने की शिकायत की है। 29 से 31 अगस्त तक उत्तर 24 परगना जिले के एक रिसॉर्ट में आयोजित प्रशिक्षण शिविर में बंसल ने राज्य के भाजपा नेताओं, पार्टी जिलाध्यक्षों और मोर्चा प्रमुखों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि वे टीएमसी सरकार के खिलाफ मोर्चा बुलंद करने में संकोच न करें। लोगों तक पहुंचें और संगठन को मजबूत करें।
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भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर राज्य सरकार को निशाना बनाने के लिए बीजेपी ने 13 सितंबर को अपने 'मार्च टूनबन्ना' के तहत पदयात्राओं और जनसभाओं की एक सीरिज शुरू करने का ऐलान किया है। विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी और पार्टी के अन्य नेताओं ने बीरभूम जिले से 'चोर धरो, जेल भरो (चोरों को सलाखों के पीछे रखो)' अभियान शुरू किया है। पार्टी नेताओं ने कहा कि संदेश अगले साल होने वाले पंचायत चुनावों और उसके बाद 2024 के लोकसभा चुनावों तक इस दवाब को कम नहीं होने देने का है। सूत्रों ने कहा कि बंसल के पास केंद्रीय नेतृत्व का दूसरा संदेश राज्य इकाई में अंदरूनी कलह को समाप्त करना था, जो पिछले साल बालुरघाट के सांसद सुकांत मजूमदार के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से बढ़ रहा है।
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