फैसले को आधी आबादी को न्याय दिलाने के कदम के रूप में देखेंः सुमित्रा
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने उच्चतम न्यायालय के फैसले को महत्वपूर्ण करार देते हुए आज कहा कि सभी धर्मों के विद्वानों को इसे महिलाओं को न्याय दिलाने के कदम के रूप में देखना चाहिए।
इंदौर। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने एक साथ लगातार तीन बार तलाक बोलने की प्रथा को असंवैधानिक ठहराने वाले उच्चतम न्यायालय के फैसले को महत्वपूर्ण करार देते हुए आज कहा कि सभी धर्मों के विद्वानों को इसे महिलाओं को न्याय दिलाने के कदम के रूप में देखना चाहिए। सुमित्रा ने एक बैठक के दौरान यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने तीन तलाक पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। मैं सभी धर्माचार्यों से निवेदन करती हूं कि वह इस नजरिये से विचार करें कि यह फैसला महिलाओं को न्याय दिलाने के लिये उठाया गया कदम है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘एक महिला होने के नाते भी मुझे तीन तलाक पर उच्चतम न्यायालय का फैसला बहुत अच्छा लगा। कोई व्यक्ति जब अपनी पत्नी को एकदम से तलाक देकर घर से बाहर कर देता है, तो उस महिला के लिये इस अप्रिय स्थिति का सामना करना बेहद कठिन होता है। किसी महिला को इस तरह से बाहर निकाला जाना कहीं न कहीं एक अत्याचार ही है।" लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, "देश में महिलाओं को न्याय दिलाने के लिये एक जैसा कानून होना चाहिये। मैं इस सिलसिले में केवल महिलाओं की बात कर रही हूं। यह देखना कानून का ही काम है कि महिलाओें के साथ कोई अन्याय ना हो।"
तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाने में विधायिका की आगामी भूमिका के बारे में पूछे जाने पर सुमित्रा ने कहा, "इस सिलसिले में विधायिका अपना काम करेगी। बतौर लोकसभा अध्यक्ष मेरी भूमिका इतनी है कि किसी विषय या विधेयक पर सभी दलों के सहयोग से सदन में शांतिपूर्ण तरीके से चर्चा हो।" गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की पीठ ने आज बहुमत से फैसला सुनाते हुए मुसलमानों में एक-साथ लगातार तीन बार तलाक बोलकर पत्नी को छोड़ने की प्रथा को ‘‘अवैध’’, ‘‘गैर कानूनी’’ और ‘‘असंवैधानिक’’ करार दिया है। साथ ही न्यायालय ने केन्द्र से इस संबंध में कानून बनाने को कहा है।
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