Sudhanshu Trivedi सुधांशु त्रिवेदी ने बताई 'हिंदुत्व ग्रोथ रेट', Ram Mandir को अर्थव्यवस्था से जोड़ कर Rajya Sabha में दिया प्रेरक भाषण
डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि एक दौर ऐसा था जब भारतीय अर्थव्यवस्था का मजाक उड़ाया जाता था और कहा जाता था कि ये दो प्रतिशत से अधिक विकास कर ही नहीं सकते। उन्होंने कहा, ‘‘इसे हिन्दू ग्रोथ रेट’’ कहकर मजाक उड़ाया जाता था।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. सुधांशु त्रिवेदी को आपने अक्सर राजनीति, धर्म, समाज और इतिहास से जुड़े विषयों पर बोलते सुना होगा लेकिन मंगलवार को उन्होंने राज्यसभा में अर्थव्यवस्था मुद्दे पर जिस प्रकार का भाषण दिया वह दर्शाता है कि उन्हें आर्थिक विषयों की भी गहरी जानकारी है। खासतौर पर डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने सनातन धर्म और राम मंदिर को अर्थव्यवस्था के विकास से जोड़ते हुए जो प्रेरक भाषण दिया वह इस समय खूब वायरल हो रहा है।
हम आपको बता दें कि राज्यसभा में मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी सदस्य डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने देश के आर्थिक विकास को अयोध्या के राम मंदिर निर्माण अभियान से जोड़ते हुए कहा कि इस दिशा में जब भी कोई प्रगति हुई है, देश ने नयी आर्थिक उपलब्धियों को हासिल किया है। उच्च सदन में ‘‘देश में आर्थिक स्थिति’’ विषय पर अल्पकालिक चर्चा में भाग लेते हुए डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस बात को भलीभांति समझा कि धन को किस मार्ग से व्यय करना चाहिए। उन्होंने शास्त्रों का हवाला देते हुए कहा, ‘‘धनात् धर्म: तत: सुखम्’’ अर्थात धन वही सुखकारक होता है जो धर्म के मार्ग से व्यय होता है। उन्होंने कहा, ‘‘जो लोग धर्म के समूल नाश का संकल्प लेते हैं, उनके लिए संपत्ति भी विपत्ति बन जाती है और वह सुखकारक बनने के रास्ते पर नहीं चल पाती।’’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने ऐसी युक्ति बनायी है कि जो आर्थिक विपत्ति थी वो अब संपत्ति की तरफ बढ़ती दिखाई दे रही है।
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त्रिवेदी ने कहा कि एक दौर ऐसा था जब भारतीय अर्थव्यवस्था का मजाक उड़ाया जाता था और कहा जाता था कि ये दो प्रतिशत से अधिक विकास कर ही नहीं सकते। उन्होंने कहा, ‘‘इसे हिन्दू ग्रोथ रेट’’ कहकर मजाक उड़ाया जाता था। उन्होंने कहा, ‘‘किंतु अब जो लोग (सत्ता में) आये हैं वे हिन्दुत्व पर विश्वास करते हैं और इसीलिए 7.8 की हिन्दुत्व की ग्रोथ है।’’ भाजपा सदस्य ने कहा कि जब भारत आजाद हुआ तो देश की अर्थव्यवस्था पर ताला लगा हुआ था। विपक्ष के लोग कहते थे कि उस समय देश के पास कुछ था ही नहीं इसलिए कुछ कर भी नहीं सकते थे। उन्होंने कहा, ‘‘उस समय रामलला विराजमान भी ताले में ही थे।’’
उन्होंने दावा किया कि 1990-92 वह दौर है जब विवादित ढांचा भी गिरा, भारत की अर्थव्यवस्था में बदलाव आया और वह खुली और उसी दौर में ‘‘नेहरूवादी मॉडल भी गिर गया’’। त्रिवेदी ने कहा कि उसके बाद एक और बड़ा दौर आया 2003-04 में जब भारत चालू खाता अधिशेष हासिल कर पाया और अर्थव्यवस्था काफी तेजी से विकास करने लगी। उन्होंने कहा कि यही वह दौर था जिसमें अयोध्या में विवादित स्थल पर 70 खंभे निकले थे जिससे साबित हुआ कि रामलला विराजमान के पास ही मंदिर है। भाजपा सदस्य ने कहा कि 2019 में जब राममंदिर के पक्ष में उच्चतम न्यायालय का निर्णय आया तो उस साल देश का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर पहली बार 500 अरब डालर के स्तर पर पहुंच गया। उन्होंने कहा, ‘‘अब जब राममंदिर बनने जा रहा है तो हम विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं, चौथे सबसे बड़े स्टाक एक्सचेंज हैं, तीसरे सबसे बड़े ऑटोमोबाइल निर्माता हैं, दूसरे सबसे बड़े मोबाइल फोन निर्माता है, आधारभूत क्षेत्र में सबसे अधिक निवेश करने वाला देश हैं और चांद के एक कोने को छूने वाला देश बन गये हैं।’’ उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे संयोग होते हैं जिन्हें देखने के लिए एक अलग दृष्टि चाहिए। उन्होंने रामचरित मानस की एक चौपाई को उद्धृत किया, ‘‘कुमति सुमति सबके उर रहिइ, नाथ पुराण निगम यह कहिइ, जहां सुमति तहां संपत्ति नाना जहां कुमति तहां विपत्ति निधाना’’
हम आपको बता दें कि इससे पहले चर्चा को शुरू करते हुए तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओब्रायन ने सरकार से प्रश्न किया कि देश के आर्थिक विकास को किस दृष्टि से देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि अमीर लोगों की दृष्टि से देखें तो बहुत विकास हो रहा है किंतु गरीब और आम लोगों की दृष्टि से स्थितियां बहुत प्रतिकूल हैं।
सुधांशु त्रिवेदी ने वर्तमान विश्व परिदृश्य में अमेरिका और चीन जैसी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की विकास दर धीमी पड़ने की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विभिन्न नीतियों के कारण हुए विकास के चलते अब विश्व की प्रमुख एजेंसियां भी कहने लगी हैं कि भारत विश्व अर्थव्यवस्था का ‘लीडर’ बनकर उभर रहा है। ‘देश में अर्थव्यवस्था की स्थिति’ पर उच्च सदन में हुई अल्पकालिक चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा नेता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर 2023 में भारत की विकास दर 6.3 प्रतिशत रही जबकि अमेरिका समेत कई विकसित देशों में यह दर दो प्रतिशत से कम थी। उन्होंने कहा कि चुनौतियां कितनी बड़ी हैं, इस बात से समझना चाहिए कि अमेरिका में दो बड़े बैंक सिग्नेचर बैंक और सिलिकन वैली बैंक डिफाल्टर (विफल) हो गये, चीन की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी एवर ग्रांड डिफाल्टर हो गयी। उन्होंने कहा कि यह दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की हालत है किंतु क्या भारत में ऐसा कोई उदाहरण मिला है? त्रिवेदी ने कहा, ‘‘यह दर्शाता है कि कितनी विपरीत परिस्थितियों में हम कैसे आगे जा रहे हैं।’’
उन्होंने तृणमूल नेता डेरेक ओब्रायन द्वारा केंद्र पर पश्चिम बंगाल का मनरेगा का बकाया धन जारी नहीं करने का आरोप लगाये जाने का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें सदन को यह भी बताना चाहिए था कि केंद्र सरकार ने जो जानकारी मांगी थी, उन्हें मुहैया कराने की क्या स्थिति है? भाजपा सदस्य ने कहा कि आईएमएफ ने कहा है कि भारत की अनुमानित विकास दर 11.5 प्रतिशत होगी, चीन की आठ प्रतिशत, अमेरिका की 5.1 प्रतिशत हो सकती है और ये विश्व अर्थव्यवस्था की अगुवाई करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘...इसका मतलब है कि हम विश्व अर्थव्यवस्था के लीडर बन उभर कर सामने आते जा रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यहां यह सोचने की जरूरत है कि यह क्यों हुआ? यह इसलिए हुआ कि पिछले नौ साल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने व्यवस्थित नीतियां बनायी हैं।’’ उन्होंने इस संदर्भ में जनधन खातों में जमा करायी गयी धनराशि का उल्लेख किया। त्रिवेदी ने मोबाइल फोन की संख्या बढ़ने, मोबाइल फोन सैट का आयात घटने, वाहनों की संख्या बढ़ने का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि अब इस बात की चर्चा होने लगी है कि चीन के बजाय भारत एशिया का विकास इंजन बनकर उभरेगा।
उन्होंने कहा कि पिछले माह दीपावली और छठ पर्व के दौरान देश में चार लाख करोड़ रूपये खर्च किए गए, जिनमें छोटे सामान, घर के सामान, बरतन और सोना-जेवर की खरीद शामिल हैं। भाजपा सदस्य ने 1991 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार घटकर एक अरब डॉलर हो जाने और सोने को गिरवी रखे जाने की याद दिलाते हुए कहा, ‘‘एक 91 की दिवाली थी...एक वो भी दिवाली थी जब उजड़ा हुआ गुलशन था और रोता हुआ माली था, और एक यह भी दिवाली है जब महका हुआ गुलशन है और ज्योत निराली है।’’ उन्होंने आईएमएफ सहित कई प्रसिद्ध विदेशी एजेंसियों की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भारत विकास की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है जबकि विश्व की अन्य अर्थव्यवस्थाएं नीचे की ओर जा रही हैं।
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