अधीर वचन पर स्मृति vs सोनिया: जब सत्ता पक्ष की टोकाटोकी से नाराज हो गए थे अटल और फिर...
भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जिन्हें जब विपक्षी दलों की किसी तीखी बात पर गुस्सा भी आता था तो भी उन्होंने कभी भी सदन की मर्यादा न टूटने दी। बल्कि आंखें मूंद मानों खुद से संवाद करके गुस्से को पी जाते थे।
संसद के इतिहास में बहुत कम ऐसा होता है जब कैमरे बंद होने के बाद दो बड़े नेता आपस में टकराते हों और बात तू-तू मैं-मैं तक आ जाती हो। नोकझोंक इतनी ज्यादा हो जाए कि सरकार और विपक्ष के बीच आर-पार की नौबत आ जाए। विपक्ष की सबसे बड़ी नेता सोनिया गांधी और मोदी सरकार की प्रखर मंत्री स्मृति ईरानी के बीच झगड़ा हुआ। ये झगड़ा बीच सदन में हुआ। सत्ता विपक्ष और विपक्ष दोनों के सांसद इसके साक्षी भी बने। सदन में यूं तो बहस और आरोप-प्रत्यारोप के बीच जुबानी जंग हमेशा से होती आई है। मनमोहन और सुषमा स्वराज का शायराना अंदाज भी देखने को मिला है। लेकिन बात जब भी संसद की कार्यवाही की होती है तो एक शख्स का जिक्र हमेशा से होता है। जिनके भाषणों को विरोधी भी दम साध कर सुना करते थे। जिनकी वाकपटुता और हाजिरजवाबी के सभी कायल थे। ऐसी ही शख्सियत थे भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जिन्हें जब विपक्षी दलों की किसी तीखी बात पर गुस्सा भी आता था तो भी उन्होंने कभी भी सदन की मर्यादा न टूटने दी। बल्कि आंखें मूंद मानों खुद से संवाद करके गुस्से को पी जाते थे।
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एक ऐसा ही वीडियो स्मृति बनाम सोनिया विवाद के बीच वायरल हो रहा है जब अटल बिहारी वाजपेयी संसद में अपनी बात रख रहे थे तो विरोधियों द्वारा बार-बार टोके जाने पर वो नाराज हो गए थे। क्या था पूरा मामला आपको बताते हैं। दरअसल, ये इंद्र कुमार गुजराल सरकार के दौर की बात है। अटल बिहारी वाजपेयी बिहार के राजनीतिक हालात को लेकर बोल रहे थे। उन्होंने कोर्ट के आदेश को उल्लेखित करते हुए व्यंग्य भरे लहजे में कहा था कि पटना में पानी भर गया है और वर्तमान सरकार उस पानी को निकाल नहीं पा रही है। कोर्ट आदेश दे रहा है कि सेना की मदद से पानी को निकालो तो इसमें मेरा क्या दोष है। बिहार में प्राइवेट सेनाएं बनी हुई हैं और कत्लेआम हो रहा है। अटल जब बोल रहे थे तो सत्ता पक्ष की ओर से लगातार टोकाटाकी जारी थी। लगातार ये सिलसिला चलता रहा जिसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी नाराज हो गए औऱ कहा कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो मैं नहीं बोलूंगा। फिर वो नाराज होकर अपनी सीट पर बैठ गए। अटल जी का ये गुस्सा किसी ने नहीं देखा था। फिर पूरे सदन में शांति छा गई थी।
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अटल जी की नाराजगी के बाद पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर उठ खड़े हुए और उन्होंने कहा कि हम जैसे बहुत सारे लोग अटल जी का भाषण पूरा सुनना चाहते हैं। फिर उन्होंने सभी से आग्रह किया की अटल जी के भाषण में बार-बार हस्तक्षेप न करें। अटल बिहार वाजपेयी की नाराजगी भी पलभर में दूर हो गई। सभी के चुप होने के बाद अटल जी ने अपने भाषण को पूरा किया। इस दौरान उन्होंने गुजराल सरकार पर कई तीखे व्यंगों के तीर भी चलाए। लेकिन सबकुछ मर्यादित ढंग से चला।
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