मध्य प्रदेश के शहडोल में छह बच्चों की मौत, मुख्यमंत्री ने दिए जाँच के निर्देश
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शहडोल जिले में बच्चों की मृत्यु की घटना को गंभीरता से लेते हुए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि इस घटना की जांच कर प्रतिवेदन सौंपा जाए।
भोपाल। भोपाल। मध्य प्रदेश के शहडोल जिला अस्पताल में 48 घंटे में छह बच्चों की मौत के बाद राज्य में हड़कंप मच गया है। स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली से नवजातों की मौत ने तूल पकड़ लिया है। वही अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही पर प्रशासन के कान खड़े हो गए और संभागायुक्त नरेश पाल ने आपातकालीन बैठक बुलाकर मामले की समीक्षा की है। सीएमएचओ डॉ. राजेश पांडेय ने सिविल सर्जन को पत्र लिखकर उच्च स्तरीय जांच करने तथा जल्द ही रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिए। बच्चों की मौत की वजह मैदानी अमले की लापरवाही और बच्चों का समय पर उनका जिला अस्पताल न पहुंचना बताया जा रहा है। यही नहीं अस्पताल में वेंटिलेटर सहित एसएनसीयू और पीआईसीयू में बिस्तरों की कमी है।
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जिन बच्चों की मौत हुई है उसमें में लगभग सभी जिला अस्पताल पहुंचे थे। ऐसा माना जा रहा है कि बच्चों के बीमार होने के बाद जमीनी स्तर पर काम कर रहे स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और प्राथमिक व उप स्वास्थ्य केंद्रों के कर्मचारियों की लापरवाही इन प्रकरणों के बिगड़ने का प्रमुख कारण रही है। बताया जा रहा है कि विकासखंडों के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मैदानी अमले के कर्मचारियों से जमीनी स्तर पर न तो उतना काम ले पा रहे हैं जितनी उन्हें जिम्मेदारी दी गई है। महज कागजी कोरम पूरा कर आंकड़े भरे जा रहे हैं जिस कारण इस तरह के मामले सामने आते हैं। जिला अस्पताल में चिकित्सकों की टीम और पर्याप्त दवाइयां तो हैं, लेकिन एसएनसीयू और पीआईसीयू में मरीजों का जितना दबाव है उसके अनुपात में वेंटिलेटर और बेड नहीं है। एसएनसीयू में सिर्फ 4 वेंटिलेटर हैं और बेड 20 हैं लेकिन भर्ती बच्चों की संख्या 40 है। यही स्थिति पीआईसीयू की है जिसमें 10 बेड है और सभी भरे हुए हैं।
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वही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शहडोल जिले में बच्चों की मृत्यु की घटना को गंभीरता से लेते हुए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि इस घटना की जांच कर प्रतिवेदन सौंपा जाए। यदि चिकित्सक और स्टॉफ दोषी पाए जाएं तो ऐसे लोगों को दंडित किया जाए। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को मुख्यमंत्री निवास पर बुलाई बैठक में निर्देश दिए कि बच्चों के इलाज में कहीं भी व्यवस्थाओं में कमी है तो उसे दूर किया जाए। वेंटिलेटर एवं अन्य उपकरणों का समुचित प्रबंध हो। आवश्यक हो तो विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवाएं लेकर रोगियों को स्वास्थ्य लाभ दिया जाए।
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मुख्यमंत्री ने कहा शहडोल में बच्चों की मृत्यु के मामले में यह देखें कि इसकी जड़ में कहीं लापरवाही तो नहीं। जिला, संभाग और राजधानी के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इस घटना को गंभीरता से लें और आवश्यक हो तो जबलपुर से चिकित्सा विशेषज्ञ भेज कर अन्य ऐसे रोगी बच्चों का उपचार कार्य किया जाए। उन्होंंने कहा कि लोगों की जिंदगी बचाना बहुत आवश्यक है। सभी अस्पतालों में व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया जाए। उन्होंने कहा कि कोरोना के अलावा अन्य रोगों से ग्रस्त रोगियों विशेषकर बच्चों में निमोनिया आदि की स्थिति पर नजर रखते हुए स्वास्थ्य विभाग का अमला चुस्त और चौकस रहे। इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य मोहम्मद सुलेमान ने बताया कि शहडोल अस्पताल के चिकित्सकों से प्रतिवेदन मांगा गया है। लापरवाही का मामला होने पर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। बैठक में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री मनीष रस्तोगी भी उपस्थित रहे।
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