कमलनाथ की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, SIT ने फिर खोले 1984 सिख विरोधी दंगों से जुड़े मामले
अधिसूचना के सार्वजनिक होने के बाद दिल्ली के विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कथित तौर पर इन सात मामलों में से एक में आरोपी पांच लोगों को कथित तौर पर शरण दी थी।
नयी दिल्ली। केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा गठित विशेष जांच दल ने सिख विरोधी दंगों से जुड़े सात मामलों को फिर से खोलने का फैसला किया है। इस बारे में एक आधिकारिक अधिसूचना के मुताबिक इन मामलों में आरोपियों को या तो बरी कर दिया गया या मुकदमा बंद हो चुका है। अधिसूचना के सार्वजनिक होने के बाद दिल्ली के विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कथित तौर पर इन सात मामलों में से एक में आरोपी पांच लोगों को कथित तौर पर शरण दी थी।
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सिरसा ने बताया कि नयी दिल्ली के संसद मार्ग थाने में दर्ज प्राथमिकी में नाथ का नाम कभी नहीं आया। मामले (एफआईआर संख्या-601/84) में आरोपी के तौर पर नामित पांच लोगों को नाथ के आवास में ठहराया गया था। इन सभी आरोपियों को साक्ष्यों के आभाव में बरी कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि एसआईटी अब क्योंकि इस मामले की भी फिर से जांच करेगी, दो गवाह एसआईटी के समक्ष पेश होंगे जहां वे दंगों में कमलनाथ की भूमिका के बारे में बताएंगे। उन्होंने कहा कि ये गवाह संजय सूरी और मुख्तियार सिंह हैं। सूरी अब इंग्लैंड में रहते हैं जबकि सिंह अब पटना में रहते हैं।
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सिरसा ने कहा कि मैंने दोनों गवाहों से बात की है और वे एसआईटी के समक्ष अपने बयान दर्ज कराने के लिये तैयार हैं। यह मामला दंगाइयों की एक भीड़ के यहां गुरद्वारा रकाबगंज साहिब में घुसने से संबंधित है। नाथ पूर्व में आरोपों से इनकार कर चुके हैं। गृह मंत्रालय की अधिसूचना के मुताबिक एसआईटी ने समीक्षा या प्रारंभिक जांच के लिये उन मामलों को लिया है जिसमें आरोपी बरी हुए थे। सिख विरोधी दंगों से जुड़े सात मामले 1984 में वसंत विहार, सन लाइट कालोनी, कल्याणपुरी, संसद मार्ग, कनॉट प्लेस, पटेल नगर और शाहदरा पुलिस थानों में दर्ज किये गए थे। एसआईटी ने व्यक्तियों और संगठनों से इन सात मामलों से जुड़ी सूचनाएं उपलब्ध कराने के लिये सार्वजनिक नोटिस जारी किया है।
Reopening of the case against Madhya Pradesh chief minister Kamal Nath in the #1984sikhgenocide is a victory for the Sikhs. This is the result of our sustained efforts to reopen cases wrongfully deemed as solved. Now, Kamal Nath will pay for his crimes./1
— Harsimrat Kaur Badal (@HarsimratBadal_) September 9, 2019
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