शाह का स्पष्टीकरण नहीं है DMK की जीत! BJP की यह है बड़ी रणनीति
जपा सरकार ने राज्यपाल से अनुरोध किया था कि वो विरोध वापस लेने के लिए डीएमके को मना लें। इसके पीछे कि वजह 30 सितंबर को पीएम मोदी का आईआईटी मद्रास कार्यक्रम बताया जा रहा है। भाजपा नहीं चाहती कि पीएम मोदी कि यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार का विरोध वहां देखने को मिले। इसके साथ ही भारत-चीन अनौपचारिक शिखर सम्मेलन का दूसरा संस्करण मामल्लपुरम में आयोजित किया जा सकता है।
भारत में हिंदी के साथ-साथ बहुत सारी भाषाएं और बोलियां बोली जाती हैं, सबका अपना समृद्ध इतिहास है, उपलब्धि है, खूबसूरती भी हैं। हिंदी एक ऐसी भाषा है, जिसका विकास बहुभाषी राष्ट्र में सहअस्तित्व की भावना के साथ हुआ है। हिन्दी दिवस का मौका था अमित शाह ने कहा कि पूरे देश कि एक ही भाषा होनी चाहिए। फिर क्या था इसको लेकर राजनीतिक बयानबाजी का दौर शुरू हो गया। वैसे तो दक्षिण के नेता, असदुद्दीन ओवैसी समेत विपक्ष के कई बड़े नेताओं ने अमित शाह के बयान की निंदा की। लेकिन शाह के बयान को लेकर दक्षिण भारत के राज्यों से तीखी प्रतिक्रियाएं आईं और 20 सितंबर को डीएमके द्वारा प्रदर्शन की बात भी कही गई। इसके बाद स्टालिन ने पार्टी द्वारा आंदोलन की घोषणा करने के दो दिनों बाद पत्रकारों से कहा, ‘‘हम पार्टी के प्रदर्शन की घोषणा के बाद उनके (शाह) स्पष्टीकरण को द्रमुक के लिए बड़ी जीत मानते हैं।’’ हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि अगर हिंदी थोपी जाती है तो द्रमुक हर समय इसका विरोध करेगी।
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