कोरोना लॉकडाउन के दौरान बुजुर्गों ने सीखा ऑनलाइन सोशल होना
न्युजपेपर का साथ छोड़ जब घर के बुजुर्गों के हाथ में स्मार्ट फोन आया तो सीखने की तलब भी बढ़ी। इस लॉकडाउन के दौरान घर के बुजुर्गों ने या तो स्मार्ट फोन, या लैपटॉप नहीं तो वॉटसऐप पर ग्रुप कॉल करना सीखा है।
कोरोना महमारी के बीच देश में लॉकडाउन लागू हुआ जिसके बाद लोग अपनी बोरियत मिटाने के लिए इंडोर गेम का सहारा लेने लगे। इस लॉकडाउन में लोगों का सही टाइम पास मुमकिन सिर्फ स्मार्ट फोन की वजह से ही हो पाया है। न्युजपेपर का साथ छोड़ जब घर के बुजुर्गों के हाथ में स्मार्ट फोन आया तो सीखने की तलब भी बढ़ी। सीखने और सीखाने की कोई उम्र नहीं होती, सीखने वाला चाहे बुजुर्ग हो और सीखाने वाला चाहे युवा या बच्चा ही क्यों न हो। इस लॉकडाउन के दौरान घर के बुजुर्गों ने या तो स्मार्ट फोन, या लैपटॉप नहीं तो वॉटसऐप पर ग्रुप कॉल करना सीखा है।
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ऐसा ही कुछ सेक्टर 57 में रहने वाले घर के एक सदस्य का हाल है। इस घर में रह रहे पिता और बेटे जब अपने काम के लिए मोबाइल और लेपटॉप का इस्तेमाल करते है तो इस घर के एक सदस्य के अदंर भी मोबाइल और लेपटॉप को चलाने की जिज्ञासा पैदा हो जाती है। जी हां, रवि और उनके बेटे रक्षित लॉकडाउन के कारण घर से ही लैपटॉप और मोबाइल से ऑफिस का काम कर रहे है। इसी को देखते हुए रवि की 82 लैपटॉप और मोबाइल से ऑफिस का काम कर रहे है। इसी को देखते हुए रवि की 82 साल की मां कुसम भी अब अपने पोते को गुरू मान कर लैपटॉप चलाना सीख रही है। पोते रवि ने अपनी दादी को लैपटॉप को चालू करने से लेकर डॉक्टर से एडवाइज लेने का तरीका व ग्रुप में मीटिंग तक सीखा दिया है। रवि के अनुसार उनकी दादी ने 1959 में ही बीए पास किया था और अब इस उम्र में लैपटॉप को चलाना सीखकर वह काफी खुश है। वह इस लैपटॉप के जरिए ऑनलाइन धार्मिक प्रोग्रामों में शामिल होती है। लैपटॉप में वह कम से कम 2-3 घंटे तक का समय बीताती है। इस लॉकडाउन में लैपटॉप सीखना कुसम के लिए यादगार साबित हो गया है।
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दूसरी और सेक्टर- 10 में रहने वाले पवन ठाकुर की मां कल्याणी ठाकुर अपने साधारण फोन को छोड़कर स्मार्ट फोन को चलाना चाहती है। जब वह अपने बेटे को स्मार्ट फोन पर मिटिंग अंटेंड करते हुए देखती है तो उनके अंदर भी स्मार्ट फोन को चलाने की जिज्ञासा पैदा हो जाती है। इसी को देखते हुए अब स्मार्ट फोन को चलाने में कल्याणी की मदद अब उनके पोते वैभव कर रहे है। उनके पोते ने अपनी दादी को स्मार्ट फोन पर फेस बुक देखना, वाट्सऐप पर वीडियो कॉल करना सिखा दिया है। वह अब वीडियो कॉल से ही सबसे बात करती है। बता दें की कोरोना की वजह से लोग अब सैर पर भी कम निकल रहे है जिसकी वजह से अब सीनियर सिटीजन घरों पर ही रहते है। अपना दिल बहलाने के लिए सीनियर सिटीजन वाट्स ऐप पर ग्रुप में वीडिया कॉल के जरिए एक दूसरे से बात कर रहे हैं। सीनियर सिटीजन फोरम के प्रेजीडेंट ओपी शर्मा ने बताया कि लॉकडाउन काफी यादगार रहा। लोगों ने काफी वक्त अपने पोते, पोतियों और घर के सभी सदस्यों के साथ रहकर बिताया साथ ही उनसे नए टेक्निक के बारे में भी काफी कुछ सीख लिया है।
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