सिंधिया ने बदला इतिहास, पहुंचे रानी लक्ष्मीबाई समाधि स्थल, कांग्रेस ने कसा तंज
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पहली बार वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर पहुंचकर उन्हें नमन किया और पुष्पांजलि अर्पित की। सिंधिया के द्वारा रानी लक्ष्मीबाई को श्रद्धांजलि देना पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है।
भोपाल। मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में बिरंगना रानी लक्ष्मीबाई की मौत के बाद गद्दारी के आरोपों को झेल रहे सिंधिया राजवंश के मुखिया ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ऐसा कुछ कर दिखाया जिसने सबको चौका दिया।
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पहली बार वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर पहुंचकर उन्हें नमन किया और पुष्पांजलि अर्पित की। सिंधिया के द्वारा रानी लक्ष्मीबाई को श्रद्धांजलि देना पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है। इससे पहले कभी भी सिंधिया परिवार समाधि स्थल नहीं पहुंचा है। अब इसे लेकर राजनीति भी शुरू हो गई।
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दरअसल रानी लक्ष्मी बाई की मौत के बाद सिंधिया परिवार गद्दारी का आरोप झेल रहा है। और जब ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के नेता थे तब उस समय हिंदूवादी नेता जयभान सिंह पवैया खुलकर मंच से उन्हें गद्दार शब्द से संबोधित करते थे। इसके साथ ही उस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर बीजेपी के तमाम नेता सिंधिया परिवार को गद्दार बताते थे।
आपको बता दें कि रानी लक्ष्मीबाई से सिंधिया परिवार द्वारा की गई गद्दारी कई किताबों में दर्ज है। 1857 से सिंधिया परिवार गद्दारी का आरोप झेल रहा है। और यही वजह है कि कभी भी सिंधिया परिवार ने वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की समाधि स्थल पर कदम नहीं रखा है।
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लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि सिंधिया परिवार का मुखिया वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई समाधि स्थल पर पहुंचा और उन्होंने पुष्पांजलि अर्पित की। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ उनके समर्थक मंत्री प्रदुमन सिंह भी मौजूद रहे।
वहीं रानी लक्ष्मी बाई समाधि स्थल पर पहुंचे केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद अब कांग्रेस की लगातार हमलावर हो गई है। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता के के मिश्रा ने ट्वीट कर ज्योतिरादित्य सिंधिया पर कई सवाल खड़े किए है।
उन्होंने ट्वीट में लिखा है कि "रानी लक्ष्मीबाई अपना दर्द भी बयां नहीं कर सकती कि कल जो मेरा कत्ल करके मेरी हार पर खुश थे। आज वही कातिल मेरे बुत पर हार पहना कर खुश हो रहें हैं। दौर बदला है,कातिल के मंसूबे आज भी वही के वही हैं!गद्दारी-कत्ल चाहे वीरांगना का हो या लोकतंत्र का,दर पर आना ही पड़ता है।
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